पति के निधन के बाद भी नहीं टूटीं सुशीला परंपरा को संभाला परिवार को बचाया
पति के निधन के बाद भी नहीं टूटीं सुशीला परंपरा को संभाला परिवार को बचाया
Success Story of Sushila Devi: सर्दियों की शुरुआत साथ ही लोगों को तेज ठंड और ठिठुरन का सामना करना पड़ता है. जहां कई लोग हीटर का उपयोग करते हैं, वहीं हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में आज भी घरों को गर्म रखने के लिए अंगीठी और खाना बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का पारंपरिक इस्तेमाल जारी है. अंबाला की सुशीला देवी पिछले करीब 30 सालों से अंगीठी, तंदूर और चूल्हे बनाकर बेचने का काम कर रही हैं. मिट्टी के बर्तनों की कारीगर सुशीला के बनाए चूल्हों की सर्दियों में आसपास के क्षेत्रों में भारी मांग रहती है और इसी पुश्तैनी काम से वह अपनी दो बेटियों का पालन-पोषण वर्षों से करती आ रही हैं. Local 18 से बातचीत में सुशीला देवी प्रजापति ने बताया कि वह बचपन से मिट्टी से चूल्हे, तंदूर और अंगेठी बनाती आ रही हैं और शादी के बाद अपनी सास से यह विरासत संभाली. छोटे चूल्हे 300 रुपए और अंगीठियां 500 रुपए से बिकनी शुरू हो जाती हैं.