Shraddha Murder Case: Aftab के गुनाह की गवाही श्रद्धा की ये चैट ! | Latest News Updates

Shraddha Murder Case: Aftab के गुनाह की गवाही श्रद्धा की ये चैट.Aftab के घर में पुलिस ने की छानबीन, 3 घंटे तक चला सर्च ऑपरेशन..

Shraddha Murder Case: Aftab के गुनाह की गवाही श्रद्धा की ये चैट ! | Latest News Updates
हाइलाइट्ससूरत में हीरा उद्योग से जुड़े श्रमिक करीब 6 सीटों पर खेल बिगाड़ सकते हैं.गुजरात में दो चरणों में 182 सीटों पर विधानसभा चुनाव होगा.1 और 5 दिसंबर को मतदान कराया जाएगा. सूरत. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सूरत में हीरा उद्योग से जुड़े श्रमिक गुजरात की कम से कम छह सीटों पर चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं, जहां उनकी संख्या अच्छी खासी है. गुजरात में लगभग 15 लाख हीरा कामगार हैं, जिनमें से लगभग सात लाख सूरत की इकाइयों में कार्यरत हैं, जो हीरों को काटने और चमकाने का सबसे बड़ा केंद्र है. उद्योग के सूत्रों के अनुसार शेष श्रमिक भावनगर, राजकोट, अमरेली, जूनागढ़ और राज्य के कुछ अन्य उत्तरी जिलों में स्थित इकाइयों में कार्यरत हैं. सूरत में हीरा श्रमिकों के प्रतिनिधियों ने पहले ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) से स्थानीय निकाय द्वारा 200 रुपये के पेशेवर कर के बारे में उनकी चिंताओं को उठाने और हीरा उद्योग में श्रम कानूनों को लागू करने की मांग की. विश्लेषकों ने कहा कि इन मतदाताओं ने 2021 में सूरत नगर निगम चुनावों में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली ‘आप’ को कुल 120 में से 27 सीटें जीतने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और ये मतदाता गुजरात विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं. गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा. राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि लगभग सात लाख श्रमिक, जिन्हें ‘रत्न कलाकार’ के नाम से भी जाना जाता है, सूरत शहर में कच्चे हीरों को काटने और चमकाने में लगे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र से हैं और पाटीदार समुदाय से हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सौराष्ट्र के गैर-पाटीदार समुदायों के कार्यकर्ता भी सूरत में बसे हुए हैं. वे एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं और आपस में उनके बेहतर संबंध हैं… हीरा श्रमिकों के लिए किसी विशेष राजनीतिक दल के लिए समर्थन जुटाना आसान है. हीरा उद्योग से जुड़ी इकाइयों के मालिक, जिन्होंने पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थन किया है, अपने श्रमिकों के निर्णय को भी प्रभावित करते हैं कि किस पार्टी को समर्थन देना है.’ उन्होंने कहा कि सूरत में वराछा रोड, कटारगाम, करंज, कामरेज, और सूरत (उत्तर) विधानसभा सीटों के नतीजे वहां सौराष्ट्र के लोगों और हीरा उद्योग के साथ-साथ कढ़ाई तथा अन्य संबंधित नौकरियों में लगे लोगों से प्रभावित हुए हैं. गोहिल ने कहा कि पिछले साल ‘आप’ ने पाटीदार समुदाय और हीरा श्रमिकों के एक बड़े वर्ग के समर्थन के कारण इन विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में 27 निकाय सीटें जीती थीं. उन्होंने कहा कि ‘आप’ स्पष्ट रूप से इन्हें गुजरात में अपनी सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानती है क्योंकि इसने अपनी राज्य इकाई के प्रमुख गोपाल इटालिया को कतारगाम से मैदान में उतारा है. इसने वराछा रोड से प्रमुख पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता अल्पेश कथीरिया, सूरत (उत्तर) से महेंद्र नवादिया और कामरेज से पार्टी कार्यकर्ता राम धदुक को मैदान में उतारा है. भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनावों में इन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। उसने इन पांच में से चार सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों को ही टिकट दिया है. हीरा उद्योगपति और रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नवादिया ने दावा किया कि इन सीटों पर ‘आप’ की जीत की संभावनाएं उतनी अच्छी नहीं हैं जितनी दिखती हैं. उन्होंने कहा, ‘आम आदमी पार्टी के चुनाव में कोई असर छोड़ने की संभावना नहीं है. हीरा इकाई के मालिक भाजपा को अपना समर्थन जारी रखेंगे. निगम चुनाव में ‘आप’ ने कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर जीत हासिल की थी और इसका भाजपा पर ज्यादा असर नहीं पड़ा था.’ सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष भावेश टैंक ने कहा कि उन्होंने भाजपा, कांग्रेस और ‘आप’ से अनुरोध किया है कि वे सूरत नगर निकाय द्वारा लिये जा रहे पेशेवर कर और हीरा उद्योग में श्रम कानूनों के कार्यान्वयन के संबंध में अपने मुद्दों को उठाएं और उनका समाधान करें. उन्होंने कहा, ‘सूरत नगर निगम हर महीने पेशेवर कर के रूप में हीरा श्रमिकों से 36 करोड़ रुपये एकत्र करता है. हम सरकार से इसे पांच साल पहले पेश किए जाने के समय से इसे हटाने का अनुरोध कर रहे हैं। लेकिन उद्योगपतियों और सरकार की मिलीभगत से हमारा शोषण जारी है.’ उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि सूरत में ‘आप’ का दबदबा है, लेकिन पार्टी जमीन पर काम नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, ‘विपक्ष में होने के बावजूद ‘आप’ पेशेवर कर संग्रह जैसे हीरा श्रमिकों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाने में विफल रही है.’ उन्होंने कहा कि सूरत में लगभग 5,000 हीरा इकाइयों में करीब सात लाख कर्मचारी लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि इन 5,000 इकाइयों में से केवल 300 के पास राज्य के कारखाना अधिनियम के तहत लाइसेंस है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Gujarat Assembly Election, Gujarat ElectionFIRST PUBLISHED : November 20, 2022, 19:07 IST