चावल संकट की आहट! रहस्यमयी बीमारी से पंजाब-हरियाणा में धान की फसल हो सकती है तबाह
चावल संकट की आहट! रहस्यमयी बीमारी से पंजाब-हरियाणा में धान की फसल हो सकती है तबाह
खरीफ के मौसम में 18 अगस्त तक पूरे भारत में 343.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में काफी कम है. धान की फसल औसतन 2.7 टन प्रति हेक्टर होती है, उस लिहाज़ से करीब 8.5 मिलियन टन उत्पादन कम होने की संभावना है.
देश में हरित क्रांति लाने वाले राज्य पंजाब और हरियाणा के खेत इन दिनों एक अजीब बीमारी का सामना कर रहे हैं. ये प्रमुख चावल उत्पादक राज्य हैं लेकिन रहस्यमयी बीमारी की वजह से धान की फसल बढ़ नहीं रही है. हालांकि कृषि वैज्ञानिक इस बीमारी के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. लेकिन इन दो राज्यों के अलावा उत्तराखंड और पश्चिमी यूपी में भी इस बीमारी के चलते धान की फसल बढ़ नहीं पा रही है.
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट में कुछ किसानों से बातचीत से पता चलता है कि एक किसान ने धान की वेरायटी पूसा बासमती 1509 की बुआई 20 मई को की थी लेकिन चार जुलाई तक उनके खेत में 10 फीसदी ऐसे पौधे थे जो कि बौने या कम कद के थे. ऐसा ही कुछ और किसानों के साथ हुआ है. जानकार कहते हैं कि बासमती धान के पौधे आमतौर पर बुआई के 60 दिन के भीतर 70 सेंटीमीटर से ऊपर चले जाते हैं जबकि गैर बासमती 55 सेंटीमीटर तक जाते हैं. लेकिन वर्तमान हालात में ये पौधे, सामान्य ऊंचाई का 33-60 फीसदी ही हासिल कर पाए.
बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने पहले तो इसके पीछे का कारण ज़िंक की कमी बताया लेकिन इस पर दलील ये भी दी गई कि अगर ये किसी कमी की वजह से हो रहा होता तो पूरा खेत ही प्रभावित होता, न कि कुछ पौधों तक सीमित रहता. हालांकि पंजाब कृषि विभाग के कहने पर कुछ किसानों ने ज़िंक का छिड़काव भी किया लेकिन बेहतर होने के बजाय रुके हुए पौधे कमज़ोर और फीके पड़ने लगे. कृषि विभाग ने भी माना है कि इस तरह की समस्या पठानकोट, होशियारपुर, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला समेत अलग-अलग हिस्सों से आ रही है.
इस बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्था के वैज्ञानिकों ने पंजाब और हरियाणा के खेतों का जायज़ा लिया है और पौधों के सैंपल भी लिए हैं. इन्हें डीएनए सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है ताकि जांच की जा सके कि किसी तरह के वायरस या पौष्टिकता की कमी से तो पौधे नहीं जूझ रहे हैं. यही नहीं पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने भी 10 सदस्यों की समिति बनाई है ताकि इस अज्ञात बीमारी का पता लगाया जा सके.
खरीफ के मौसम में 18 अगस्त तक पूरे भारत में 343.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में काफी कम है. पिछले साल इस अवधि में 374.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई थी. इस तरह करीब 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस बार कम बुआई हुई है. गैर बासमती चावल की फसल औसतन 2.7 टन प्रति हेक्टर होती है, उस लिहाज़ से करीब 8.5 मिलियन टन उत्पादन कम होने की संभावना है. ऐसे में पंजाब और हरियाणा पर सबकी निगाहें हैं जहां गैर बासमती धान का उत्पादन 4.5 हेक्टर तक जाता है लेकिन इस रहस्यमयी बीमारी ने किसानों और विभाग को चिंता में डाल दिया है.
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Tags: Paddy crop, Paddy HarvestingFIRST PUBLISHED : August 22, 2022, 17:25 IST