घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 4 लाख से अधिक मामले लंबित उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा केस
घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत 4 लाख से अधिक मामले लंबित उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा केस
देश में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में 30 जून, 2022 तक 7,27,788 केस का निपटारा हुआ है. वहीं, 4,71,684 केस अब भी अदालतों में लंबित हैं. नालसा के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अधिनियम की अधिसूचना के बाद से कुल 2,02,880 मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे यह सबसे अधिक मामला दर्ज करने वाला राज्य बन गया है, इसके बाद महाराष्ट्र में 1,96,717 मामले दर्ज किए गए हैं.
हाइलाइट्सउत्तर प्रदेश में अधिनियम की अधिसूचना के बाद से 2,02,880 मामले दर्ज किए गए1 जुलाई तक मूल मामलों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश में 1,19,684 लंबित हैमहाराष्ट्र में 84,637, राजस्थान में 27212 मामले और दिल्ली में 27043 मामले लंबित
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के समक्ष राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, देश में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कुल 4,71,684 मूल मामले और 21,088 अपीलें लंबित हैं. नालसा ने 1 जुलाई, 2022 तक घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत लंबित मामलों के निपटान के संबंध में राज्यवार डेटा प्रस्तुत किया है. आंकड़ों के अनुसार, अधिनियम की अधिसूचना के बाद से 1 जुलाई 2022 तक देश भर में घरेलू हिंसा के कुल 1,193,359 मामले दर्ज किए गए हैं.
देश में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में 30 जून, 2022 तक 7,27,788 केस का निपटारा हुआ है. वहीं, 4,71,684 केस अब भी अदालतों में लंबित हैं. नालसा के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अधिनियम की अधिसूचना के बाद से कुल 2,02,880 मामले दर्ज किए गए हैं, जिससे यह सबसे अधिक मामला दर्ज करने वाला राज्य बन गया है, इसके बाद महाराष्ट्र में 1,96,717 मामले दर्ज किए गए हैं. 1 जुलाई तक मूल मामलों की अधिकतम संख्या उत्तर प्रदेश में 1,19,684 लंबित है, इसके बाद महाराष्ट्र में 84,637 मामले, राजस्थान में 27212 मामले और दिल्ली में 27043 मामले लंबित हैं.
अदालत ने मामलों का विवरण मांगा
एनजीओ ‘वी द वीमेन ऑफ इंडिया’ द्वारा दायर एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट से घरेलू हिंसा अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए दिशा.निर्देश देने को कहा गया है. अदालत ने पहले नालसा को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत अब तक शुरू किए गए और लंबित मामलों की संख्या बताने के लिए कहा था. अदालत ने यह भी ब्योरा मांगा था कि कितने मामलों में संरक्षण अधिकारी या सेवा प्रदाता या आश्रय गृहों की सेवाओं को बढ़ाया जाना आवश्यक था.
देश में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महाराष्ट्र में 1,96,717 केस, केरल में 95,267 केस दर्ज हुए. दिल्ली में 57,941 केस दर्ज हुए और 32,583 केस का निपटारा हुआ. पंजाब में 52,334 केस, हरियाणा में 56,908 केस दर्ज हुए. पंजाब में 15,286 केस और हरियाण में 19,911 केस लंबित हैं. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि सुंदर और भव्य कानून बनाना एक बात है, लेकिन आप घरेलू हिंसा के मामलों पर लगाम कसने के लिए, प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए जमीन पर कैसा तंत्र बनाते हैं, सबकुछ उसपर निर्भर करता है.
अदालत ने केंद्र सरकार से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की विचाराधीन परियोजना ’शक्ति’ का विवरण प्रदान करने के लिए भी कहा. सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कानून एवं न्याय मंत्रालय के तत्वावधान में अन्य परियोजनाओं के साथ ’मिशन शक्ति’ परियोजना भी औपचारिकता के चरण में है और इसे कैबिनेट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इससे संबंधित विवरण की मांग की.
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Tags: Domestic violence, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 03, 2022, 14:05 IST