मान-मनौव्वल के बाद निकली मां भंडारी की डोली 3 साल में एक बार जाती हैं ससुराल
मान-मनौव्वल के बाद निकली मां भंडारी की डोली 3 साल में एक बार जाती हैं ससुराल
Ma Bhandari devi Mirzapur: मां भंडारी देवी भाड़ंव नामक राक्षस का वध करने के बाद अहरौरा खासडीह पहाड़ी पर विराजमान हो गईं. मां अपने नैहर से ससुराल आती हैं. तीन वर्ष में एक बार मां राजा कर्णपाल सिंह के पहाड़ से डोली पर सवार होकर ससुराल आती हैं. भव्य पूजन-अर्चन व मान मनौव्वल के बाद मां डोली पर सवार हुई. इसके बाद कहार उन्हें लेकर धाम आएं.
मुकेश पांडेय /मिर्जापुर: अभी तक आपने दुल्हन को डोली से जाते हुए देखा होगा, जिसे कहार कंधों पर उठाकर ले जाते हैं. ऐसे ही मिर्जापुर में मां भंडारी भी डोली पर सवार होकर ससुराल जाती हैं. बड़े मान मनोव्वल के बाद मां डोली पर सवार होकर निकलती हैं. जिन खेतों से मां की डोली जाती है, उन खेतों में अत्यधिक पैदावार होती है. ऐतिहासिक मेले में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. दूर-दूर से भक्त मां की डोली का दीदार के लिए पहुंचते हैं.
मां भंडारी देवी भाड़ंव नामक राक्षस का वध करने के बाद अहरौरा खासडीह पहाड़ी पर विराजमान हो गईं. मां अपने नैहर से ससुराल आती हैं. तीन वर्ष में एक बार मां राजा कर्णपाल सिंह के पहाड़ से डोली पर सवार होकर ससुराल आती हैं. भव्य पूजन-अर्चन व मान मनौव्वल के बाद मां डोली पर सवार हुई. इसके बाद कहार उन्हें लेकर धाम आएं. मनौना डोली यात्रा में दूर-दूर से आए भक्त अक्षत व फूल की वर्षा करते रहे. वहीं, महिलाओं के द्वारा मां की विदाई पर सोहर व मंगल गीत गाकर सुख और समृद्धि के लिए मंगल कामना की.
खेत में होती है अधिक पैदावार
पं. शिवशंकर पांडेय ने बताया कि बाराती सभी सीयूर में स्थित राजा कर्ण पाल सिंह के किले पर जाते हैं. मान-मनौव्वल के बाद मां डोली पर सवार होती हैं. कई बार मां बीच रास्ते से ही वापस चली गईं, जिसके बाद उन्हें पुनः मान-मनौव्वल करके डोली पर बैठाया जाता है. मां के स्वरूप को मानकर एक नारियल को डोली में रखा जाता है. मान्यता है कि मां की डोली जिस खेत से होकर गुजरती है, उसमें दोगुना पैदावार होती है. वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है.
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भक्तों का भंडार भरती हैं मां भंडारी
उमेश यादव ने बताया कि हम लोगों के खेत से डोली होकर गुजरती है. इसमें अधिक पैदावार होती है. किसानों के फसलों का नुकसान भले होता है. लेकिन पैदावार भी अधिक होती है. मां भंडारी देवी को अन्नपूर्णा माता का स्वरूप माना जाता है. दर्शन मात्र से ही भक्तों के भंडार को भर देती हैं. सावन माह में दर्शन के लिए देश के अलग-अलग जनपदों से भक्त आते हैं.
Tags: Dharma Culture, Local18, Mirzapur newsFIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 10:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed