बॉस हो तो ऐसा अपने 400 कर्मचारियों को बना दिया करोड़पति लिया बड़ा फैसला
बॉस हो तो ऐसा अपने 400 कर्मचारियों को बना दिया करोड़पति लिया बड़ा फैसला
OMG News: भारती मूल के अमेरिकी बिजनेसमैन ने एक ऐसा फैसला लिया कि एक झटके में उनके 400 से अधिक कर्मचारी करोड़पति बन गए. हालांकि, उन्होंने यह फैसला दिल पर पत्थर रख कर किया था. उस बॉस का नाम है ज्योति बंसल.
नई दिल्ली: हर एंटरप्रेन्योर का सपना और विजन होता- एक सक्सेफुल स्टार्टअप बनाना. ऐपडायनामिक्स (AppDynamics) के फाउंडर ज्योति बंसल का भी ऐसा ही सपना था. मगर उन्होंने दिल पर पत्थर रखकर एक मुश्किल भरा फैसला लिया. उन्होंने अपनी कंपनी को 3.7 बिलियन डॉलर में बेचने का फैसला किया. CNBC मेक इट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जो शुरुआत में एक बड़ी उपलब्धि की तरह लग रहा था, वह उनके सबसे बड़े पछतावे में से एक बन गया. ज्योति बंसल ने अपने कर्मचारियों की भलाई को ध्यान में रखते हुए अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी को बेचने का फैसला किया था.
साल 2017 में जब ज्योति बंसल ने ऐपडायनामिक्स को 3.7 बिलियन डॉलर में बेचा तो उन्होंने अपने 400 कर्मचारियों को करोड़पति बना दिया. सैन फ्रांसिस्को में रहने वाले भारत में जन्मे उद्यमी ने बिक्री को अपने करियर का सबसे कठिन फैसला बताया, लेकिन उन्होंने अपने कर्मचारियों की भलाई के लिए ऐसा किया. 2017 में जब ऐपडायनामिक्स पब्लिक में जाने की तैयारी कर रहा था, टेक दिग्गज सिस्को ने कंपनी को 3.7 बिलियन डॉलर में खरीदने की पेशकश की.
कौन हैं ज्योति बंसल?
दरअसल, ज्योति बंसल भारत में जन्में भारतीय-अमेरिकी बिजनेसमैन हैं. ज्योति बंसल हमेशा से एक उद्यमी यानीएंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे. वह आईआईटी दिल्ली के ग्रेजुएट हैं. उन्हें 20 से अधिक अमेरिकी पेटेंट के लीड इन्वेंटर के रूप में जाना जाता है. सिलिकॉन वैली में आठ साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद उन्हें आखिरकार अपना ग्रीन कार्ड मिला और उन्होंने अपना स्टार्टअप लॉन्च किया. उन्होंने एक इंजीनियर के रूप में आने वाली सबसे बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए ऐपडायनामिक्स की स्थापना की. सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन में आने वाली खामियों को दूर करने और उन्हें ठीक करने के लिए टूल्स डेवलप किए.
ऐपडायनैमिक्स क्या है?
कई सॉफ्टवेयर स्टार्टअप्स के उलट ऐपडायनैमिक्स को एंटरप्राइज मार्केट को ध्यान में रखकर बनाया गया था. यानी ऐसी बड़ी कंपनियां जो हर साल लाखों डॉलर तो नहीं तो हजारों डॉलर खर्च करने की क्षमता रखती हैं. खासतौर पर कंपनी ने बड़े कॉरपोरेशन को उनके खराब ऐप्स को ठीक करने में मदद करके एक अलग पहचान बनाई. उनकी आधिकारिक वेबसाइट कहती है, ‘सिस्को द्वारा संचालित, ऐपडायनैमिक्स कंपनियों को उनके टेक्नोलॉजी को व्यापार के नजरिए से देखने में मदद करने के मिशन पर है ताकि वे सबसे महत्वपूर्ण चीजों को प्राथमिकता दे सकें. हम ऑब्जर्वेबिलिटी स्पेस को फिर से बना रहे हैं और दुनिया के सबसे बड़े उद्यमों के लिए डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की चुनौती को आसान बना रहे हैं. हम प्रदर्शन को मुनाफे में बदलकर व्यवसायों को फलने-फूलने में मदद करते हैं.’
ऐपडायनैमिक्स क्यों बेचा?
करीब 40 की उम्र वाले पड़ाव में ज्योति बंसल ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की अपनी स्किल्स को निखारने में कई साल लगा दिए और उसके बाद ही उनकी महत्वाकांक्षी उद्यमिता असल रूप में सामने आई. ऐपडायनामिक्स को बेचने का उनका फैसला कई कारणों से प्रेरित था. इनमें कंपनी के सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स का सिस्को के पोर्टफोलियो के साथ तालमेल और इसके लगभग 1,200 कर्मचारियों पर पड़ने वाले संभावित वित्तीय और सांस्कृतिक प्रभाव शामिल हैं. अधिग्रहण से पहले अपने द्वारा विचार किए गए कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि हम सिस्को जैसे बड़े प्लेटफॉर्म और उनके ग्राहकों के आधार और बाजार का हिस्सा बन सकते हैं. ये एक कारण था. दूसरा कारण संस्कृति थी, आपके कर्मचारियों को किस तरह का माहौल मिलता है. सिस्को ने ऐपडायनामिक्स यूनिट को काफी हद तक आजादी दी और उन्हें इसका श्रेय जाता है.
उन्होंने कहा कि तीसरा कारण आर्थिक था. एकमात्र संस्थापक होने के नाते मैं भाग्यशाली था कि आर्थिक रूप से कोई भी नतीजा मेरे लिए ठीक रहता. (लेकिन) हमारे लगभग 300 या उससे ज्यादा कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने हमें मिलने वाले आखिरी ऑफर को स्वीकार करने के बाद दस लाख डॉलर से ज्यादा कमाए. हमारे दर्जनों कर्मचारी ऐसे थे, जिन्हें पचास लाख डॉलर से ज्यादा मिले.’
बंसल को अपने इस फैसले पर ‘अफसोस’ क्यों है?
कंपनी बेचने के बाद के अनुभव को बंसल ने नींद हराम करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लग सकता है कि कंपनी बेचना आसान था, लेकिन यह उनके करियर का सबसे कठिन फैसला था. उन्होंने मीडिया को बताया कि सेलिब्रेशन पार्टी के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें घर भी नहीं जाना है. उन्होंने इस पल को खुशी और गम से भरा बताया. उन्होंने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी के नौ साल पूरी तरह से इस काम में लगा दिए जो हम वहां बना रहे थे. अचानक, यह एक अध्याय का अंत है.
उन्होंने कहा, ‘कंपनी बिकने के बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे वास्तव में कंपनी बनाना, प्रोडक्ट बनाना, परेशानियों को सुलझाना, मार्केट में मुकाबला करना, कंपनी बनाने से जुड़ा हर वो काम पसंद था जिससे मैं गुजरा था. यह बहुत मुश्किल और तनाव भरा था, लेकिन मुझे यह बहुत पसंद था. मुझे यह भी लगा कि हमने वो पूरी तरह से खत्म नहीं किया जो हम कर सकते थे.’ हालांकि, बंसल ने स्वीकार किया कि उस समय उपलब्ध जानकारी को देखते हुए ऐपडायनामिक्स को सिस्को को बेचना सही फैसला था. यह सौदा उनके लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद था, क्योंकि उनके पास कंपनी के 14 प्रतिशत से अधिक शेयर थे.
उन्होंने यह भी आकलन करने के लिए कि कौन सा विकल्प आर्थिक रूप से बेहतर था, अपने पोस्ट-आईपीओ अनुमानों की तुलना सिस्को के स्टार्टअप के मूल्यांकन से की. उन्होंने कहा कि 3.7 बिलियन डॉलर का बाजार पूंजीकरण हासिल करने में तीन से चार साल का बेहतरीन काम लगता. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि तीन से चार साल का जोखिम जिसे हमने…वहां के सभी कर्मचारियों के लिए कम कर दिया. यह एक अहम प्रभाव है.
Tags: Special Project, US News, World newsFIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 14:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed