मेरठ के अखिलेश वर्मा हौसलों की उड़ान से रच रहे इतिहास

मेरठ आईआईएमटी विश्वविद्यालय से फिल्मी क्षेत्र में पीएचडी करने वाले अखिलेश वर्मा की कहानी युवाओं के लिए प्रेरित करने वाली है. कभी एक घटना ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया था. लेकिन उन्होंने इस घटना से सबक लेते हुए एक बेहतर मुकाम हासिल किया है.

मेरठ के अखिलेश वर्मा हौसलों की उड़ान से रच रहे इतिहास
विशाल भटनागर/मेरठः जीवन में कई बार नोबल, किताबें मनुष्य को कठिन समय में भी राह दिखाने का कार्य करती है. जिसकी बदौलत वह एक नई कीर्तिमान हासिल करता है. कुछ इसी तरह का नजारा गंगानगर में देखने को मिल रहा है. जहां 30 वर्षीय फिल्मकार अखिलेश वर्मा के जीवन में वर्ष 2017 में एक ऐसा दौर आया था. जब एक एक्सीडेंट के कारण जहां उनका एक पर डैमेज हो गया था. वहीं लंबे समय तक अस्पताल में भी रहना पड़ा था. लेकिन परिवार के साथ और अखिलेश ने हिम्मत से उस हारी हुई बाजी को भी जीत में बदल दिया. आज वह बतौर फिल्म निर्माता युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए हैं. लोकल-18 की टीम से खास बातचीत करते हुए फिल्मकार अखिलेश वर्मा बताते हैं फिल्मी क्षेत्र में आने का मन हुआ. जिसके लिए उन्होंने वर्ष 2016 में नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता करने के लिए एडमिशन लिया. इसके बाद वर्ष 2017 में एक न्यूज़ चैनल का ही वर्कशॉप होनी थी .जिसकी फीस जमा करने के लिए वह अपने संस्थान गए हुए थे. लेकिन वापस आते समय अचानक से बस और ट्रक के बीच में आने के कारण उनका एक्सीडेंट हो गया था. उस घटना के 2 महीने बाद उन्हें आईसीयू में होश आया. वह बताते हैं कि उनके जीवन में एक सबसे कठिन क्षण वह था जब डॉक्टर सर्जरी की बात कर रहे थे. तब उन्होंने अपनी बहन से पूछा क्या मेरे किसी अंग की सर्जरी हुई है. तो उसने बताया कि तुम्हारा एक पर घटना में बिल्कुल डैमेज हो गया है. जिसको सर्जरी करनी पड़ी. वह कहते हैं. यह सुनते ही वह सन्न रह गए. लेकिन उनकी बहन ने उनका हौसला बढ़ाया और सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार की ऐसी दिव्यांगों की वीडियो दिखाई. जिससे उन्हें अपने द्वारा लिखी किताब के वह पहलू याद आ गए. जीवन में अगर संघर्ष उसे लड़ना सीखे. तभी एक नया इतिहास बनता है. वह बताते हैं कि उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 20000 रुपए के बजट में बना चुके हैं शॉर्ट फिल्म अखिलेश वर्मा बताते हैं उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 20000 की बजट गाइन द ब्लू नाम से शार्ट फिल्म बनाई. जिसकी धूम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी देखने को मिली. वह कहते हैं कि इतने बजट की तो यह फिल्म भी नहीं थी. जिससे अधिक के टिकट खरीद कर विदेशों में इसे देखा गया. इसके बाद से वह लगातार अब तक 10 से अधिक शॉर्ट फिल्म बना चुके हैं. जिसमें से चार फिल्में इंटरनेशनल फेस्टिवल में भी शामिल हो चुकी है.वह कहते हैं कि जो भी फिल्में बनाते हैं. उसमें नए कलाकारों को ही मौका देते हैं. फिल्मी क्षेत्र में ही कर रहे हैं पीएचडी वर्तमान समय में वह आईआईएमटी विश्वविद्यालय से फिल्मी क्षेत्र में ही पीएचडी भी कर रहे हैं. जिसमें उनका टॉपिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के युवाओं का योगदानहै. उन्होंने बतिया की पीएचडी करने में सबसे ज्यादा मार्गदर्शन पत्रकारिता विभाग में ही कार्यरत प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा का मिलता है. जो हर पल उनके साथ खड़े हुए दिखाई देते हैं. बताते चलें अखिलेश वर्मा के पिता मुकेश कुमार वर्मा व पुष्पा वर्मा दोनों ही मुजफ्फरनगर की कंपोजिट विद्यालय में कार्यरत है. साथ‌ ही उनकी सिस्टर डॉक्टरवामाक्षीफिजियोथैरेपी में उपाधि हासिल कर चुकी है. Tags: Local18, Meerut newsFIRST PUBLISHED : May 25, 2024, 11:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed