अलग-अलग आम खाने का शौक था एक ही पेड़ पर उगा दिए 24 किस्म के आम

नदीम बताते हैं कि उनका आम का पेड़ उनके क्षेत्र में चर्चा का विषय भी बना हुआ है. काफी लोग इस पेड़ को देखने के लिए उनके घर पर आते हैं कि कैसे एक ही पेड़ पर 24 प्रकार के आम उगते हैं. उन्होंने आमों की किस्मों के नाम बताते हुए कहा कि उनके पेड़ पर चौसा, लंगड़ा, बीजू, गुलाब जामुन, हमरा, दशहरी, सफेदा, मुंबई, रटोल, आफुस सहित अन्य किस्म के आम उगते हैं.

अलग-अलग आम खाने का शौक था एक ही पेड़ पर उगा दिए 24 किस्म के आम
मेरठ. काफी लोग अपने घरों में अलग-अलग फलों के पेड़ लगाते हैं, जिससे उन्हें केमिकल रहित फल खाने को मिल सकें. इनमें आम के पेड़ सबसे ज्यादा देखे जाते हैं. जाहिर है कि आम की कई किस्में होती हैं और एक पेड़ पर एक ही किस्म का आम उगता है लेकिन आज हम आपको मेरठ के एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिनके घर में एक पेड़ पर एक नहीं बल्कि 24 प्रकार की वैरायटी के आम उगते हैं. इनका नाम नदीम खान हैं. लोकल 18 से बातचीत में नदीम ने कहा कि वह आम के काफी शौकीन हैं. इसी के चलते उन्होंने अपने घर में ही आम के पेड़ लगाए लेकिन एक पेड़ पर सिर्फ एक ही तरह के आम आते हैं. जिसके बाद उन्होंने ग्राफ्टिंग विधि से एक ही पेड़ पर 30 से अधिक वैरायटी की कलम का उपयोग किया. वह बताते हैं कि उनकी इस विधि से अब हर साल 24 प्रकार की किस्मों के आम देखने को मिल रहे हैं, जिससे वह काफी संतुष्ट हैं क्योंकि अब जिस किस्म का आम खाने का उनका मन होता है, वह उसे खा सकते हैं. नदीम बताते हैं कि उनका आम का पेड़ उनके क्षेत्र में चर्चा का विषय भी बना हुआ है. काफी लोग इस पेड़ को देखने के लिए उनके घर पर आते हैं कि कैसे एक ही पेड़ पर 24 प्रकार के आम उगते हैं. उन्होंने आमों की किस्मों के नाम बताते हुए कहा कि उनके पेड़ पर चौसा, लंगड़ा, बीजू, गुलाब जामुन, हमरा, दशहरी, सफेदा, मुंबई, रटोल, आफुस सहित अन्य किस्म के आम उगते हैं. खास होती है ग्राफ्टिंग विधि मेरठ जिला उद्यान अधिकारी संजय कुमार ने लोकल 18 को बताया कि ग्राफ्टिंग विधि बेहद खास होती है. इस विधि के माध्यम से एक ही पेड़ पर तरह-तरह की वैरायटी के फल उगा सकते हैं. वह बताते हैं कि जिस प्रकार नदीम ने एक ही पेड़ पर आम की विभिन्न वैरायटी उगाई है, इसी विधि का इस्तेमाल कर काफी किसान भी फलों को उगाते हैं. यह एक ऐसी विधि होती है, जिसमें कलम को बांधकर उसका बेहद ख्याल रखना पड़ता है. जब यह उसमें समाहित हो जाती है, तो यह उसी पेड़ के माध्यम से ऑक्सीजन सहित अन्य प्रकार की वस्तुओं को ग्रहण करते हुए आगे बढ़ती है. बताते चलें कि वैसे तो यह विधि काफी कठिन होती है लेकिन अगर इस विधि के माध्यम से किसान खेती की तरफ आगे बढ़ें, तो उन्हें काफी फायदा भी हो सकता है. Tags: Local18, Meerut news, UP newsFIRST PUBLISHED : July 2, 2024, 11:30 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed