कौन हैं मोहन स्वरूप भाटिया ब्रज के लोकगीतों को संजोने में है अहम भूमिका

Mathura News: मोहन स्वरूप भाटिया का जन्म 9 जून 1935 को मथुरा में हुआ, जो राधा-कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है. उनके पिता श्री गिरधर लाल भाटिया एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन सहित कई अन्य आंदोलनों में भाग लिया था.

कौन हैं मोहन स्वरूप भाटिया ब्रज के लोकगीतों को संजोने में है अहम भूमिका
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा: ब्रज की संस्कृति और लोकगीतों को धरोहर माना गया है. इस धरोहर को संजोए रखने का श्रेय मोहन स्वरूप भाटिया को जाता है. मोहन स्वरूप भाटिया का जन्म 9 जून 1935 को मथुरा में हुआ, जो राधा-कृष्ण की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है. उनके पिता श्री गिरधर लाल भाटिया एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन सहित कई अन्य आंदोलनों में भाग लिया था. मोहन स्वरूप भाटिया की रुचि साहित्य में बचपन से ही थी. वे नियमित रूप से मथुरा के देश बन्धु पुस्तकालय में जाकर अध्ययन करते थे. साहित्य के प्रति उनकी यह रुचि आगे चलकर उन्हें ब्रज के लोकगीतों को संजोने और उन्हें संरक्षित रखने के लिए प्रेरित करती रही. 41 वर्ष की उम्र में उन्होंने आकाशवाणी मथुरा के लिए ‘रंगमहल’ नामक नाटक लिखा, जिसे 12 सितंबर 1976 को प्रसारित किया गया. इस नाटक में नायिका की भूमिका सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री अमृतलाल नागर की पुत्री डा० अचला नागर ने निभाई थी. पत्रकारिता में अविस्मरणीय योगदान मोहन स्वरूप भाटिया ने 22 वर्ष की उम्र में पत्रकारिता में कदम रखा और कई प्रमुख समाचार पत्रों के लिए काम किया. इसके अलावा वे आकाशवाणी और दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों से भी जुड़े रहे. उनकी पत्रकारिता ने उन्हें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, वी. पी. सिंह, विजय लक्ष्मी पंडित जैसी हस्तियों से भेंट वार्ताएं करने का अवसर भी प्रदान किया. विदेश यात्राएं और सम्मान मोहन स्वरूप भाटिया ने नेपाल, मॉरीशस, कनाडा, अमेरिका, तंजानिया, केन्या, थाईलैंड, कम्बोडिया, दक्षिण अफ्रीका, और श्रीलंका जैसे देशों की सांस्कृतिक यात्राएँ की हैं. उनके योगदान के लिए उन्हें 200 से अधिक सम्मान मिले हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का लोक भूषण सम्मान, इंदिरा गांधी नेशनल अवार्ड, ब्रज विभूति सम्मान और पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं. शोधार्थियों का मार्गदर्शन और साहित्यिक योगदान पिछले चार दशकों में मोहन स्वरूप भाटिया ने लगभग 30 शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया. उनके मार्गदर्शन में पीएचडी. की उपाधियां प्राप्त की हैं. उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान ने ब्रज की धरोहर को संरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई है. Tags: Local18, Mathura news, UP newsFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 14:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed