जाओ और साइन लेकर आओ… जमानत के लिए ऐसी शर्त युवक पकड़कर बैठ गया माथा

Ahmedabad News: यह मामला अहमदाबाद में सामने आया. शख्‍स को पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में अरेस्‍ट किया था. वो खुद को पुलिस का मुखबिर बता रहा था. सेशन कोर्ट ने उसे जमानत देते वक्‍त जो शर्तें रखी वो हैरान करने वाली थी.

जाओ और साइन लेकर आओ… जमानत के लिए ऐसी शर्त युवक पकड़कर बैठ गया माथा
हाइलाइट्स अहमदाबाद पुलिस ने इस शख्‍स को अरेस्‍ट किया था. युवक खुद को पुलिस का ही मुखबिर बताता रहा. कोर्ट ने जमानत के लिए अनोखी शर्त रखी है. नई दिल्‍ली. अहमदाबाद की एक जिला अदालत ने ड्रग्‍स तस्‍करी के मामले में पकड़े गए एक शख्‍स के सामने जमानत के लिए ऐसी शर्त रखी, जिसके बाद वो खुद भी हैरान हो गया. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस युवक को कहा कि वो शहर में ड्रग्‍स के खतरे के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाए. लोगों को इसके खतरे और कठोर कानूनी प्रणाली के बारे में एजुकेशन दे. उसे बातचीत करने वाले हर एक शख्‍स के साइन लेने होंगे और उसे कोर्ट में जमा कराना . अगर वो ऐसा करने में फेल होता है तो जमानत नहीं दी जाएगी और उसे फिर से सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा. पुलिस ने वसीम शेख उर्फ ​​वासियो नाम के शख्‍स को पिछले महीने की 13 तारीख को अरेस्‍ट किया था. उसके कब्जे से 3.6 ग्राम मेफेड्रोन ड्रग्‍स बरामद हुआ था. जिसके बाद उसपर  नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट की धारा 8सी, 21बी और 29 के तहत मुकदमा दर्ज यिा गया. इस युवक ने खुद को निर्दोष करार देते हुए कहा कि वटवा पुलिस ने उसे झूठे केस में फंसाया है. खुद को मुखबिर बता रहा शख्‍स उसके वकील ने सेशन कोर्ट को बताया कि शेख एसओजी अपराध शाखा के लिए मुखबिर के रूप में काम करता है, लेकिन जोन-6 के डीसीपी के लिए नहीं. डीसीपी को सूचना देने से इनकार करने के कारण उसे मामले में गलत फंसाया गया. जब्ती किया गया ड्रग्‍स बेहद कम मात्रा में है. एक मुखबिर के रूप में उसकी भूमिका को देखते हुए न्यायिक हिरासत में भेजते समय अदालत ने उसे एक अलग बैरक में रखने का निर्देश दिया. 60 दिन तक करना होगा काम सेशन जज बी एल चोइथानी ने कहा कि उसके पास से जब्त की गई नशीली दवाओं की मात्रा कम है. न तो जांच एजेंसी और न ही अभियोजन पक्ष ने उसके पुलिस अधिकारी होने के दावे पर कोई उचित जवाब दिया. लिहाजा उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया. कहा गया कि जमानत लगाने वाले शख्‍स को स्वेच्छा से जितने लोगों को हो सके, उन्हें नशीली दवाओं की लत की गंभीरता और एनडीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के बारे में बताना . उसे युवाओं को भी यह समझाना होगा और उनके हस्ताक्षर प्राप्त करके 60 दिनों में अदालत में सूची जमा करनी होगी. अगर वो इस शर्त का पालन नहीं करता है, तो भी यह जमानत रद्द करने का कारण नहीं. Tags: Ahmedabad News, Hindi newsFIRST PUBLISHED : January 5, 2025, 11:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed