मेक इन इंडिया के 10 साल का कमालपीएम मोदी का सपना हो रहा है सच
मेक इन इंडिया के 10 साल का कमालपीएम मोदी का सपना हो रहा है सच
Make In India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पद संभालने के बाद भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मेक इन इंडिया मुहिम की शुरआत की थी. अब इसका फल दिखने लगा है. रक्षा क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है.
नई दिल्ली. दस साल पहले केन्द्र में सत्ता संभालने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था, जिसके तहत मेक इन इंडिया कैंपेन की शुरुआत की गई थी. इसके साथ ही पीएम मोदी के नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने का काम शुरू हो गया. एक वक्त वो था जब देश में इस्तेमाल हो रही 65-70 फीसदी रक्षा सामग्री आयात की जा रही थी. आज तस्वीर बदल गई है. अब देश में केवल 35 फीसदी रक्षा सामान ही आयात हो रहा है. बाक़ी 65 फीसदी रक्षा सामान का भारत में ही निर्माण हो रहा है. इतना ही नहीं, अब हम भारत में बने रक्षा उपकरणों का एक्सपोर्ट भी कर रहे हैं. साल 2023-24 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 21,000 करोड़ रुपये को पार कर गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व मे मंत्रालय ने एक लक्ष्य निर्धारित किया, जिसमें साल 2029 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा.
सेना की ओर से 509 रक्षा सामग्री और रक्षा पर काम कर रही पीएसयू की 5012 सामग्रियों की 5 पॉजिटिव इंडिजेनाइजेशन लिस्ट जारी की गई है. हमारे देश का रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ के पार जा चुका है. रक्षा मंत्रालय का इस वित्तीय वर्ष में टारगेट है कि ये रक्षा उत्पादन 1.75 लाख करोड़ तक पहुंचे और साल 2029 तक हम इसको दोगुना यानि 3 से 3.5 लाख करोड़ तक कर लें. पहले डिफेंस एक्सपोर्ट्स बमुश्किल 500-600 करोड़ रुपये के आसपास था. आज भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट्स 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को पार कर चुके हैं. आज भारत 100 से अधिक देशों को डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट कर रहा है. इसमें प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों का भी काफ़ी बड़ा योगदान है. लगभग 60 फीसदी डिफेंस एक्सपोर्ट्स प्राइवेट कंपनियों द्वारा किए जा रहे हैं.
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को बढावा देने के लिए दो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी बनाए गए हैं. एक उत्तर प्रदेश में और दूसरा तमिलनाडु में बनाया गया है. उनमें काम करने वालों लोगों के लिए मोदी सरकार ने हर संभव सहायता देने का ऐलान भी कर दिया है. खुद ही हथियार बनाने का लंबे समय से प्रतिक्षित भारत का सपना पूरा होता नजर आ रहा है. मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत का नारा उड़ान भऱ चुका है. रक्षा मंत्रालय ने करीब 310 रक्षा सामग्री बनाने का सौदा घरेलू उद्योगों के लिए सुरक्षित कर दिया है. रक्षा सामग्री की खरीद के लिए 2022-23 में कुल आंवटन का 68 फीसदी हिस्सा घरेलू उद्योगों के लिए रिजर्व किया गया है. यानि अब घरेलू उद्योग 84,598 करोड़ रुपये का सामान अपने ही देश में बेच पाएंगे. घरेलू रक्षा उद्योग के लिए आवंटित कुल लागत का 25 फीसदी हिस्सा निजी उद्योग, मध्यम और सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप के लिए रखा गया है. खऱीद की प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक कर दिया गया है. रक्षा के क्षेत्र में रिसर्च और डेवेलपमेंट पर जोर दिया जा रहा है.
रिसर्च, स्टार्टअप के लिए रक्षा बजट का 25 फीसद आवंटन
उद्योग जगत, स्टार्टअप्स और रिसर्च में लगे लोगों के लिए रिसर्च और डेवेलपमेंट का बजट का 25 फीसदी रखा गया है. डिफेंस इनोवेशन स्टार्टअप चैलेंज जैसी अनूठी प्रतियोगिताएं लॉन्च की गई हैं, ताकि आर्म्ड फोर्सेज के लिए उनकी जरूरत के मुताबिक सामान मिल सके. रक्षा सामग्री के निर्यात में साल 2014-15 में 1941 करोड़ रुपये से अब तक 334 फीसदी की बढोत्तरी हुई है. यानि अब निर्यात 2020-21 में 8434 करोड़ तक पहुंच गया है. अब भारत में बने रक्षा के सामान 84 देशों को निर्यात किए जा रहे हैं. मेक इन इंडिया औऱ मेक फॉर वर्ल्ड के तहत जो कंपनियां स्थानीय कंपनियों के साथ मिल कर रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करना चाहती हैं, उनके लिए मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश 74 फीसदी कर दिया है. कंपनियां अगर सीधा सरकार से समझौता करतीं हैं तो 100 फीसदी निवेश कर सकती हैं.
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जरूरी
सरकार की रिसर्च और डेवेलपमेंट नीति के तहत सेना के लिए रुस्तम-2 जैसे यूएवी, निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित किए जा रहे हैं जो 1000 किमी तक 300 वार हेड ले जाकर मार सकते हैं. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण सुखोई-30 से किया जा चुका है. मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली जमीन से हवा में मारने वाली मिसाइलों का सफल परीक्षण एईएनएस कोच्चि से किया जा चुका है. पिनाका रॉकेट सिस्टम, आस्ट्रा-हवा से हवा में सुपरसोनिक टारगेट्स को मारने वाली मिसाइलों को विकसित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त जिन विदेशी कंपनियों से करार हो रहे हैं, उन्हें भारतीय उद्योगों के लिए भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का करार करना जरूरी हो गया है. फ्रांस से 32 लडाकू फाइटर प्लेन ऱाफेल खरीद कर दो स्क्वाड्रन तैयार किए गए हैं. भारत में ही विकसित लाइट कॉमबैट एयरक्राफ्ट तेजस की दो स्क्वाड्रन तैयार किए गए हैं. लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में चिनूक और हमला करने वाले अपाचेहे लीकॉप्टर ने ताकत को और मजबूत किया है. आकाश से जमीन पर मारने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का वायुसेना में जोड़ा जाना और आस्ट्रा यानि रडार से संचालित हवा से हवा में मारने वाले मिसाइलों को नई SU-30MKI स्क्वाड्रन पर लगाया जाना साबित कर रहा है कि हिंद महासागर में भारत की सामरिक क्षमता अब किसी से कम नहीं है. स्पेन की एयरबस से 56 सी-295MW पोर्ट एयरक्राफ्ट की खरीद की गयी है. रक्षा मंत्रालय ने वायुसेना में मीडियम रेंज वाली जमीन से हवा में मारने वाली मिसाइलों को एयरफोर्स में इस्तेमाल के लिए दिया है. साथ ही बारमेर, राजस्थान के सत्ता-गांधव में राष्ट्रीय राजमार्ग-925ए में लडाकू विमानों की आपातकालीन लैंडिंग की सुविधा का उद्घाटन किया जा चुका है.
इंडियन आर्मी की मारक क्षमता को मिली और ताकत
भारत में बने मेन बैटल टैंक अर्जुन की खरीद के लिए 7523 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया है, जिसमें चेन्नई की हेवी व्हिकल फैक्ट्री जल्दी ही 118 युनिट सप्लाई करेगा. एक भारतीय विक्रेता से 1.86 लाख बुलेट प्रुफ जैकेट्स खरीद गए हैं. अमेठी में 5100 करोड़ का प्रोजेक्ट लगाया गया है, जिसमें एके-203 राइफलें बनाई जाएंगी. हल्के वजन के जवानों के कंधों पर ले जा सकने वाले जमीन से हवा में मार करने वाले एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया है. मध्यम रेंज के जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का सफल परीक्षण ओडिशा के तट पर किया गया है. ऊंचे स्थानों पर जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया है. हाई एल्टीट्यूड इलाकों में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाले भारत में बनी एंटी टैंक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया जा चुका है.
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इंडियन नेवी और ताकतवर
भारत में ही बना पहला विमानवाहक युद्धपोत का ट्रायल पूरा हो चुका है और इसे आजादी के 75 साल के दौरान ही नेवी में कमीशन कर दिया जाएगा. साथ ही आईएनएस विशाखापट्टनम को कमीशन किया जा चुका है. आईएनएस कलवारी एस-21 स्कॉर्पियन क्लास पनडुब्बी को पीएम मोदी खुद कमीशन कर चुके हैं. ऐसी पांच पनडुब्बियां नेवी को दी जाएंगी. पश्चिमी तट पर करंज और वेला पनडुब्बी की तैनाती की गई है. इन सब के साथ दो भारतीय युद्धपोत सूरत और उदयगिरी को कमीशन किया जा चुका है. हर मौके पर खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मौजूद रह कर पूरी टीम का मनोबल बढाया है. सरकार ने कोस्ट गार्ड के लिए 16 एएलएच (एडवांस्ड लाइट हेलीकाप्टर) की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ साल 2017 में समझौता किया था. अब तक 8 हेलीकॉप्टर कोस्ट गॉर्ड को सौंप दिए गए हैं और बाकी जल्द ही सौंप दिए जाएंगे. इनको 4 हेलीकॉप्टर वाले 4 स्क्वाड्रनों में बांट दिया गया है, जिन्हें भुवनेश्वर, पोरबंदर, कोच्चि, और चेन्नई से ऑपरेट किया जाएगा. आठ ऑफशोर पेट्रोल वेसल, 4 इंटरसेप्टर बोट, 2020-21 में बनाए भी गए और बेड़े में शामिल भी कर लिया गया. गोवा शिपयार्ड से 473 करोड़ रुपय का करार कर के 8 तेज पेट्रोलिंग वेसल बनाने का ऑर्डर दिया गया है.
मोदी सरकार ने सेना में किए कई सुधार
मोदी सरकार का एक बड़ा फैसला था सीडीसी यानि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति. इसके पीछे सोच यही थी कि सेना के तीनों अंगों में समन्वय रहे. कई ऐसे सुधार किए गए जो कि सेना के लिए काफी अहम रहे. इससे रिसोर्स का सही इस्तेमाल भी शुरू हुआ. आपातकाल में कलपुर्जे औऱ गोला बारूद की खरीद करने की ताकत भी सेना को दे दी गई है. अब कोई भी सर्विस हेडक्वार्टर 300 करोड़ रुपये तक की खरीद खुद ही कर सकता है. रक्षा मंत्रालय को भी अब 2000 करोड़ रुपये के रक्षा समझौते के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेने की जरुरत नहीं पड़ती है. अक्टूबर 2021 में 41 ऑर्डिनेंस कंपनियों को एकीकृत कर 7 नई कंपनियां बनाई गईं, जिन्हें खासी ताकत दी गई. इस काम में कोई रुकावट नहीं आई और इन 7 में से 6 कंपनियों ने पहले 6 महीने में ही मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है. 100 करोड़ रुपये का एक कॉर्प्स फंड बनाया गया है, ताकि रक्षा उत्पादन में लगे भारतीय उद्योग खासकर मध्यम और सूक्ष्म उद्योग रक्षा उत्पादों के भारतीयकरण पर काम कर सकें.
यूपीए सरकार की पॉलिसी पैरालिसिस से नुकसान
साल 2014 के पहले यूपीए सरकार की पॉलिसी पैरालिसिस ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया. आलम यह था कि 10 साल तक रक्षा समझौते तक ताक पर रख दिए गए थे. सेना के आधुनिकीकरण की बात तो दूर, सेना के इस्तेमाल में आने वाले सामान की खरीदारी भी बंद हो गई थी. इसी माहौल में जब पीएम मोदी ने सत्ता संभाली तो साफ कर दिया गया कि अब देश के चारों तरफ एक मजबूत रक्षा कवच तो रहेगा ही और साथ में एक मजबूत सेना आत्मविश्वास से भरे भारत का प्रतीक होगी. इसलिए पीएम मोदी के मेक इन इंडिया के 10 साल तो बेमिसाल हैं ही. ये न सिर्फ सेना के आधुनिकीकरण के लिए, बल्कि ऐसे सुधारों के लिए भी जिसने सेना के आधुनिकीकरण के काम को और आसान बना दिया. अब भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है जो आधुनिक हथियारों से लैस है. सरकार जवानों के साथ है. सेना की कमियों को दूर करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. नए साल का मौका हो या फिर दिपावली का त्योहार पीएम मोदी खुद जवानों के बीच जाकर समय बीताते हैं और उनका मनोबल बढाते हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पूर्वोत्तर से लेकर सियाचिन, कच्छ से लेकर अंडमान तक यात्रा कर सेना के साथ सरकार का संदेश दे रहे हैं. अपने शौर्य और बहादुरी के लिए भारतीय सेना का कोई मुकाबला नहीं है. अब जब उनकी छोटी मोटी मुश्किलों पर मोदी सरकार ध्यान दे रही हैं तो साफ है कि अब कोई विदेशी सेना हमारी सीमाओं को भेद नहीं पाएगी.
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 17:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed