सोहराबुद्दीन जजमेंट से पहले हुई जज लोया की मौत कौन थे वह महुआ क्यों फंस गईं
सोहराबुद्दीन जजमेंट से पहले हुई जज लोया की मौत कौन थे वह महुआ क्यों फंस गईं
Mahua Moitra News: महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में जज लोया का जिक्र कर हंगामा मचा दिया. अब उनके इस बयान को लेकर सत्ता पक्ष के लोग एक्शन की मांग कर रहे हैं. चलिए जानते हैं कि आखिर वह जज लोया कौन थे?
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. लोकसभा में शुक्रवार को संविधान दिवस पर चर्चा हुई. टीएमसी सांसद महुई मोइत्रा को भी बोलने का मौका मिला. हर बार की तरह इस बार भी महुई मोइत्रा हमलावर दिखीं. वह जब भी कुछ बोलती हैं विवाद खड़ा होता है. तो इस बार ऐसा क्यों नहीं होता. हुआ और अच्छे से हुआ. महुआ मोइत्रा ने एक जज का जिक्र जैसे ही किया, लोकसभा में हंगामा मच गया. इसकी वजह से अब वह बुरी तरह फंस चुकी हैं. उनके ऊपर एक्शन की तलवार लट गई है. वह भाजपा के निशाने पर हैं. दरअसल, महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को पूर्व जस्टिस जज बृजपाल हरकिशन लोया का जिक्र किया. उन्हों जज लोया का जिक्र सत्ता पक्ष के प्रति आलोचनात्मक तरीके से किया.
सबसे पहले जानते हैं कि महुई मोइत्रा ने क्या कहा, जिस पर लोकसभा में हंगामा हुआ. भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित बहस में महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को भाग लिया. इस दौरान महुआ मोइत्रा ने पूर्व जज बीएच लोया की मौत का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हमारे संविधान निर्माताओं ने कभी सोचा होगा कि जज किसी फैसले को लिखने के लिए कानून और संविधान के तर्कों को छोड़कर भगवान के साथ निजी बातचीत पर भरोसा करेंगे. आज सुबह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिवंगत जस्टिस एचआर खन्ना के साहस का जिक्र किया, जिन्होंने 1976 के फैसले में असहमति जताई थी. मैं सभी को याद दिलाना चाहती हूं कि जस्टिस खन्ना 1976 के बाद भी 32 साल तक रहे, जब अधिकतर समय कांग्रेस की सरकार थी. उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी. इसके उलट, जज लोया अपने समय से बहुत पहले इस दुनिया से विदा हो गए.’
जज लोया के जिक्र पर लोकसभा में हंगामा
लोकसभा में महुआ मोइत्रा का भाषण ठीक चल रहा था. सब आराम से सुन रहे थे. मगर जैसे ही जज लोया का जिक्र हुआ, सदन में हंगामा मच गया. भाजपा वाले हमलावर हो गए. तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ के भाषण के बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया और आपत्ति जताई. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जब यह मुद्दा उठाने का प्रयास किया तो पीठासीन सभापति कुमारी सैलजा ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. बाद में आसन पर अध्यक्ष ओम बिरला आसीन हुए और उनके अनुमति देने के बाद दुबे ने कहा कि न्यायमूर्ति बी एच लोया की मौत का जिक्र तृणमूल कांग्रेस सांसद ने किया है, जबकि उनकी असामयिक मौत की पुष्टि अन्य न्यायाधीशों ने भी की थी.
महुआ पर एक्शन की चेतावनी
वहीं, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा, ‘सदस्य ने जज लोया के बारे में जो कहा वह बहुत गंभीर विषय है. न्यायपालिका में सारा मामला खत्म हो चुका है. यह एक ‘सेटल्ड केस (सुलझ चुका मामला)’ है…इसमें किसी हस्तक्षेप का सवाल ही नहीं उठता.’ उन्होंने कहा कि सदस्य ने जिस तरह का बयान दिया है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. रीजीजू ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, ‘अध्यक्ष ने मामले को संज्ञान में लिया है. मैं सदन को सूचित करना चाहता हूं कि इस पर कार्रवाई होगी. हम लोग की तरफ से उचित संसदीय कार्रवाई की जाएगी. इस तरह की टिप्पणी पर आप बच नहीं सकते. यह गलत परंपरा है.’ इसके बाद बवाल ऐसा हुआ कि फिर कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.
कौन थे जज लोया
अब जानते हैं कि आखिर जज लोया कौन हैं, जिनके जिक्र मात्र से सदन में हंगामा मच गया. जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले के जज थे. वह सीबीआई की स्पेशल बेंच के जज थे. मौत से पहले वही सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे थे. नवंबर 2014 में जज लोया की मौत हो गई थी. उनकी मौत नागपुर में हुई थी. एक मैग्जिन ने उनकी मौत को संदिग्ध बताया था. इसके बाद इस पर खूब सियासी बवाल हुए. इसकी वजह थी कि वह सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे और इस मामले में अमित शाह भी आरोपी थे. हालांकि, बाद में अमित शाह इस मामले से बरी हो गए थे. हालांकि, साल 2018 में खुद सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि जज लोया की मौत में किसी तरह की कोई गड़बड़ी या साजिश नहीं थी.
क्या था मामला
जज लोया जिस केस की सुनवाई कर रहे थे वह फर्जी एनकाउंटर से जुड़ा था. यह मुठभेड़ गुजरात में हुई थी. साल 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर की मौत को फेक एनकाउंटर बताया गया था. सोहराबुद्दीन के भाई ने इसे फेक एनकाउंटर बताकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से बाहर इस केस की सुनवाई के आदेश दिए थे. इसके बाद यह केस महाराष्ट्र ट्रांसफर हुआ. तभी सीबीआई के स्पेशल जज जस्टिस लोया के पास यह केस आया था. हालांकि, जज लोया की मौत के बाद कई जांच हुईं. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को बंद कर दिया था.
Tags: Kiren rijiju, Mahua Moitra, Parliament sessionFIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 08:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed