नौकरी छोड़ी खोली किताबों वाली चाय की दुकानयहां स्टूडेंट्स का लगता है अड्डा

South Bengal: महिषादल की अनोखी चाय की दुकान ने किताबों और चाय को जोड़ा. सुदीप जाना की इस पहल से यह दुकान किताब प्रेमियों और छात्रों का केंद्र बन गई, जहां साहित्य से लेकर रसोई तक हर विषय पर किताबें मिलती हैं.

नौकरी छोड़ी खोली किताबों वाली चाय की दुकानयहां स्टूडेंट्स का लगता है अड्डा
महिषादल की इस अनोखी चाय की दुकान पर पहली बार कदम रखते ही आपको लगेगा कि यह सिर्फ एक चाय की दुकान नहीं है, बल्कि एक पूरी लाइब्रेरी है. दीवारों पर बनी अलमारियों में सजी किताबें यह अहसास दिलाती हैं. यहां लोग सिर्फ चाय पीने नहीं, बल्कि किताब पढ़ने भी आते हैं. साहित्य, धार्मिक ग्रंथ, रसोई की किताबें, और ध्यान से जुड़ी पुस्तकें – यहां हर विषय पर किताबें मिलती हैं. चाय की चुस्कियों के साथ किताब पढ़ने का यह विचार महिषादल के सुदीप जाना का है, जिन्होंने इसे नई पीढ़ी को पढ़ने के लिए प्रेरित करने का जरिया बनाया है. नौकरी छोड़ी, खोली किताबों वाली चाय की दुकान सुदीप जाना ने एक निजी कंपनी की नौकरी छोड़कर महिषादल के छोलाबाड़ी इलाके में यह चाय की दुकान खोली. यहां आने वाले लोग अक्सर सोचते हैं कि यह चाय की दुकान है या कोई लाइब्रेरी. सुदीप की दुकान में साहित्य, धर्म, यात्रा, और रसोई जैसे विषयों पर किताबें उपलब्ध हैं. इस दुकान ने एक सामान्य चाय की दुकान से बढ़कर एक पुस्तकालय का रूप ले लिया है. सुबह से शाम तक यह दुकान आठ साल के बच्चों से लेकर अस्सी साल के बुजुर्गों तक के लिए ज्ञान और चाय का अद्भुत संगम बन चुकी है. शरतचंद्र से शेक्सपियर तक, सब मौजूद दुकान में शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, बंकिमचंद्र, रस्किन बॉन्ड, और विलियम शेक्सपियर जैसे लेखकों की किताबें व्यवस्थित रूप से रखी गई हैं. यहां का माहौल भी खास है—दुकान के अंदर धूम्रपान पूरी तरह वर्जित है, और फोन का बेस भी काम नहीं करता. सुदीप खुद भी दिन का कुछ समय किताबों के साथ बिताते हैं. उनका कहना है, “बचपन में मैंने अपनी मां को किताबें पढ़ते देखा. लेकिन आज की पीढ़ी किताबों से दूर होती जा रही है. इसलिए मैंने यह चाय की दुकान खोली ताकि नई पीढ़ी को किताबों के करीब ला सकूं.” महिषादल का आकर्षण बना किताबों वाला चायघर आज यह चाय की दुकान महिषादल का आकर्षण केंद्र बन चुकी है. शुरुआत में यह यात्रा कुछ किताबों से शुरू हुई थी, लेकिन अब यहां लगभग 1,000 किताबें हैं. दूर-दूर से लोग यहां किताबें लेकर आते हैं और सुदीप की इस पहल की तारीफ करते हैं. यह दुकान छात्रों, कवियों, और लेखकों का भी अड्डा बन गई है. इतना ही नहीं, इस चाय की दुकान में कई पुस्तक प्रकाशन कार्यक्रम भी हो चुके हैं. Tags: Ajab Gajab, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 23:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed