मद्रास हाईकोर्ट ने वीसीके नेता थिरुमावलवन के खिलाफ मामला किया खारिज कहा- विशिष्ट परिस्थिति में लोगों का जमावड़ा गैरकानूनी कैसे
मद्रास हाईकोर्ट ने वीसीके नेता थिरुमावलवन के खिलाफ मामला किया खारिज कहा- विशिष्ट परिस्थिति में लोगों का जमावड़ा गैरकानूनी कैसे
Madras High Court : वीसीके नेता थिरुमावलवन पर आरोप था कि जब निषेधाज्ञा लागू थी, तब थिरुमावलवन कोविड-19 महामारी के दौरान अन्य आरोपियों के साथ अवैध रूप से इकट्ठे हुए और तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
हाइलाइट्सहाई कोर्ट ने कहा अगर किसी विशिष्ट परिस्थिति में लोगों का जमावड़ा होता है तो क्या इसे गैरकानूनी माना जा सकता है. वीसीके नेता थिरुमावलवन पर आरोप था कि वह कोविड-19 महामारी के दौरान अवैध रूप से इकट्ठे हुए थे.
चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन को लेकर सांसद थोल थिरुमावलवन के खिलाफ चेन्नई की एक विशेष अदालत के समक्ष लंबित मामला को खारिज कर दिया है. विदुथलाई चिरुथाईगल काची (वीसीके) के संस्थापक और लोकसभा सदस्य थिरुमावलवन पर पहले तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए मामला दर्ज किया गया था. यह मामला सांसदों और विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत के समक्ष लंबित था.
थिरुमावलवन पर मामले को खारिज करते हुए अपने आदेश में न्यायमूर्ति एन सतीश कुमार ने कहा कि अभियोजन जारी रखना निरर्थक है और यदि अंतिम रिपोर्ट में पूरे आरोप को एक साथ लिया जाता है, तो यह कोई अपराध नहीं होगा.
वीसीके नेता थिरुमावलवन पर क्या था आरोप
अंतिम रिपोर्ट में आरोप यह था कि जब निषेधाज्ञा लागू थी, तब याचिकाकर्ता थिरुमावलवन कोविड-19 महामारी के दौरान अन्य आरोपियों के साथ अवैध रूप से इकट्ठे हुए और तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए. जुलूसों का आयोजन करने के आरोप में चेन्नई पुलिस अधिनियम के तहत भी उन पर मामला दर्ज किया गया था.
विशिष्ट परिस्थिति में लोगों का जमावड़ा गैरकानूनी कैसे
गैरकानूनी सभा की परिभाषा पर चर्चा करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी विशिष्ट परिस्थिति में लोगों का जमावड़ा होता है तो क्या इसे गैरकानूनी माना जा सकता है. न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि अभियोजन द्वारा एकत्र की गई सामग्री यह नहीं दर्शाती है कि आरोपी ने कोई शरारत, अपराध या कोई अपराध करने के इरादे या आपराधिक बल का प्रयोग किया हो अथवा संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की हो.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के साथ-साथ अन्य आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 269 के तहत लगाए गए आरोप पर कहा कि यह अपराध तभी माना जाता जब अभियुक्तों द्वारा जीवन के लिए घातक किसी भी रोग के प्रसारित होने की आशंका होती, तभी इस धारा के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.
गौरतलब है कि राज्य में कोविड-19 का प्रसार चरम पर होने और वायरस से संक्रमित होने की आशंका के बावजूद गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने के आरोप पर सांसद एवं अन्य पर आईपीसी की धारा 269 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
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Tags: Covid Protocol, Tamil naduFIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 15:29 IST