क्या होती है नजूल की जमीन UP सरकार के नए बिल से क्या होंगे बड़े बदलाव जानें

Nazul Land Bill: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने ध्वनिमत से ‘उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक’ 2024 को पारित कर दिया है. इस नए विधेयक के कानून बनने के बाद से नजूल की जमीनों को लेकर कई बड़े बदलाव होंगे.

क्या होती है नजूल की जमीन UP सरकार के नए बिल से क्या होंगे बड़े बदलाव जानें
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के विरोध के बीच ‘उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक’ 2024 ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद से नजूल की जमीनों को लेकर कई बड़े बदलाव हो सकते हैं. इस एक्ट के प्रभावी होने के बाद से उत्तर प्रदेश में किसी भी नजूल जमीन को किसी निजी शख्स अथवा निजी संस्था के पक्ष में फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा. अब नजूल भूमि का अनुदान केवल सार्वजनिक संस्थाओं को ही दिया जाएगा. जिसमें किसी भी केंद्रीय या राज्य सरकार के विभाग या शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सहायता के क्षेत्र में सेवा करने वाली सार्वजनिक सेवा संस्थाएं शामिल हैं. नए विधेयक के मुताबिक खाली पड़ी नजूल भूमि जिसकी लीज का समय खत्म हो रहा है, उसे फ्री होल्ड न करके सार्वजनिक हित की परियोजनाओं जैसे अस्पताल, विद्यालय, सरकारी कार्यालय आदि के लिए उपयोग किया जाएगा. ऐसे पट्टाधारक जिन्होंने 27, जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड के लिए आवेदन कर दिया है और निर्धारित शुल्क जमा कर दिया है, उनके पास यह विकल्प होगा कि वह लीज अवधि समाप्त होने के बाद अगले 30 वर्ष की अवधि के नवीनीकरण करा सकें. बशर्ते, उनके द्वारा मूल लीज डीड का उल्लंघन न किया गया हो. ऐसी किसी भी भूमि पर जहां कि आबादी निवासरत है, अथवा जिसका व्यापक जनहित में उपयोग किया जा रहा है, उसे नहीं हटाया जाएगा. वर्तमान में उपयोग लाई जा रही भूमि से किसी की बेदखली नहीं की जाएगी. किसी आबादी को बेदखल नहीं किया जाएगा ऐसे सभी पट्टाधारक जिन्होंने लीज अवधि में लीज डीड का उल्लंघन नहीं किया है, उनका पट्टा नियमानुसार जारी रहेगा. कोई भी भवन जो कि नजूल की भूमि पर बनाई गई है और व्यापक जनहित में यदि उसे हटाया जाना आवश्यक होगा तो सरकार द्वारा प्रभावित व्यक्ति, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 के अनुसार यथोचित मुआवजा और पुनर्वास पाने का अधिकारी होगा. यह अधिनियम सरकार को अधिकार देती है कि वह नजूल की भूमि पर काबिज गरीब तबके के हितों को संरक्षण देते हुए उनके पक्ष में कानून बना सके एवं उनका पुनर्वास कर सके. क्या है नजूल की जमीन? नजूल जमीन का स्वामित्व सरकार के पास होता है, लेकिन इसे अक्सर राज्य की संपत्ति के रूप में सीधे प्रशासित नहीं किया जाता है. राज्य आमतौर पर ऐसी भूमि को किसी शख्स या संस्था को एक निश्चित समय के लिए पट्टे पर आवंटित करता है, जो आमतौर पर 15 से 99 साल के बीच होती है. अगर पट्टे का समय खत्म हो रहा है, तो कोई स्थानीय विकास प्राधिकरण के राजस्व विभाग को एक लिखित आवेदन पेश करके पट्टे को नवीनीकृत करने के लिए प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है. सरकार पट्टे को नवीनीकृत करने या इसे रद्द करके नजूल जमीन को वापस लेना के लिए आजाद है. भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में, नजूल भूमि को विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न संस्थाओं को आवंटित किया गया है. नजूल भूमि का जन्म नजूल भूमि का जन्म ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ. जो राजा और राज्य अंग्रेजों का विरोध करते थे, अक्सर उनके खिलाफ विद्रोह करते थे. जिसके कारण उनके और ब्रिटिश सेना के बीच कई युद्ध हुए. युद्ध में इन राजाओं को हराने के बाद अंग्रेज अक्सर उनकी जमीन उनसे छीन लेते थे. भारत को आजादी मिलने के बाद अंग्रेजों ने इन जमीनों को खाली कर दिया. लेकिन राजाओं और राजघरानों के पास इनका स्वामित्व साबित करने के लिए अक्सर उचित दस्तावेज नहीं होने के कारण इन जमीनों को नजूल भूमि के रूप में चिह्नित किया गया. जिसका स्वामित्व संबंधित राज्य सरकारों के पास था. Tags: CM Yogi, CM Yogi Adityanath, UP news, UP news updatesFIRST PUBLISHED : August 3, 2024, 07:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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