लखनऊ. पूरे देश में लखनऊ शहर गजब है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज जब चारों ओर लोग महंगाई को लेकर परेशान हैं तो वहीं इस नवाबी नगरी में आज भी लोग 250 रुपए की सोने की चाय पीते हैं. सोने की 56000 रुपए किलो मिठाई खाते हैं और तो और 4000 रुपये से ज्यादा खर्च करके सोने का दांत तक लगवाते हैं. यही नहीं आपको यकीन नहीं होगा कि यहां पर 1100 रुपये का सोने का पान भी खूब खाया रहा है. क्या लखनऊ के लिए यह रईसी नई है या पुरानी?
ये जानने के लिए जब देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लखनऊ शहर को नवाबों का शहर यूं ही नहीं कहा जाता. बल्कि जो रईसी नवाबों के वक्त कायम थी उसकी कुछ झलक आज भी यहां कायम है. उन्होंने बताया कि नवाबों के वक्त लखनऊ शहर देश का सबसे रईस शहर था. मुंबई, कोलकाता और मद्रास से भी ज्यादा रईसी यहां थी. खूब धन दौलत यहां के नवाबों के पास हुआ करती थी.
दस से ज्यादा थे नौकर
इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि 1764 में नबाबमीर कासिम, अवध के नबाबशुजाउद्दौला और मुगल बादशाहशाह आलम द्वितीय की संयुक्त सेना अंग्रेज कम्पनी से लड़ रही थी. लड़ाई में अंग्रेजों की जीत हुई. इसके बाद अंग्रेजों ने राज्य लौटने की शर्त यह रखी थी कि अंग्रेज अवध की सीमा की सुरक्षा की गारंटी देते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें एक फौज बनानी होगी इस फौज का पूरा खर्चा नवाब उठाएंगे. नवाबों ने यह शर्त मान ली थी.
दस से ज्यादा थे नौकर
इतिहासकार के मुताबिक उस वक्त लगभग 40% धन और समय एक राजा का अपनी सीमा की सुरक्षा करने में जाता था. ऐसे में जब अंग्रेजों के हाथ में सुरक्षा आ गई तो 40% वक्त नवाबों का बचने लगा. इस बचे हुए समय को उन्होंने अपनी दौलत खर्च करने में लगाया क्योंकि नवाबों के पास खूब पैसा था. उन्होंने यहां की संस्कृति, यहां के कल्चर पर खूब पैसा बहाया और तो और आपको जानकर हैरानी होगी कि सभी नवाब और राजाओं ने अपने यहां नौकरों की संख्या काफी बढ़ा दी थी. हर एक काम के लिए एक अलग नौकर रखने लगे. रसोइयों को भी बहुत शाही अंदाज में रखने लगे. इसका परिणाम यह निकला की सभी नवाब और राजा बेहद आरामतलब हो गए. वो आरामतलबी भी आज तक लखनऊ के लोगों के अंदर है.
पकवानों पर भी खूब हुआ खर्च
इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि जब नवाबों के पास वक्त अधिक था और पैसा भी खूब था. इसीलिए नवाबों ने लखनऊ शहर में खाने-पीने पर भी खूब पैसा बहाया. कई ऐसी डिश सिर्फ यहां पर ईजाद हुई जैसे कि शीरमाल जो देश में कहीं नहीं बनती थीं. खाने पीने में भी उस वक्त भी सोने चांदी का लोग खूब इस्तेमाल करते थे. यह सब कुछ आज तक बरकरार है.
Tags: Gold, Local18, Lucknow cityFIRST PUBLISHED : June 8, 2024, 08:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed