अक्टूबर-नवंबर महीने में करें इस फसल की बुवाई दोगुनी होगी कमाई ऐसे डालें खाद
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बदलते दौर की अगर बात की जाए तो भारत सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं. इसको लेकर भी सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं. ताकि किसान खेती में भी वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण करते हुए उन्नत किसान बन सके. (रिपोर्टः विशाल भटनागर)
अयोध्या: हिंदू धर्म में राधा रानी की पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. राधा और कृष्ण की जोड़ी के प्रेम कहानी को आज भी धार्मिक ग्रंथों में पढ़ा देखा और सुना जाता है .मान्यता है कि राधा कृष्ण की जोड़ी की आराधना करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. लेकिन विशेष कृपा प्राप्ति के लिए प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन राधा रानी का जन्म बरसाने में हुआ था. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और राधा रानी की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करते हैं. ठीक इसके 15 दिन पहले भगवान कृष्ण का जन्मदिन भी मनाया जाता है यानी की 15 दिन के अंतराल में भगवान कृष्ण और राधा जी का जन्मोत्सव पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि राधा अष्टमी का क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस वर्ष राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन प्रीति योग भी बन रहा है, जो रात्रि 11:54 तक रहेगा. इस योग में राधा रानी की पूजा आराधना से हर मनोकामना पूरी होगी. इसके अलावा इस दिन कई अद्भुत संयोग का निर्माण भी हो रहा है, जिसमें की गयी पूजा से कई गुना फल की प्राप्ति होगी. राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा आराधना की जाती है.
राधाअष्टमी के दिन राधा रानी का विधि-विधान से पूजा आराधना की जाती है. इसलिए पूजा से पहले ही पूजन सामग्री तैयार कर लें. राधा रानी की पूजा में फूल, अक्षत, चंदन, लाल चंदन, सिंदूर, रोली, सुगंध, धूप, दीप, फल, खीर, मिठाई और सबसे महत्वपूर्ण है अरबी. क्योंकि राधा रानी का पूजन करते समय उन्हें अरबी का भोग लगाना अनिवार्य माना गया है.
श्री राधा रानी जी की आरती
श्री राधारानी की आरतीआरती राधाजी की कीजै।
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
आरती रास रसाई की कीजै। आरती
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की कीजै
Tags: Hindi news, Local18, Radha ashtami, Religion 18FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 09:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है. Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed