इस विधि से कर ली लौकी की खेती तो लाइफ झिंगालाला उपज और क्वालिटी होगी जबरदस्त

Bottle Gourd Farming: फर्रुखाबाद के प्रगतिशील किसान बताते हैं कि वह पिछले 25 सालों से लौकी की फसल करते आ रहे हैं. वह हर वर्ष इस खेती से लाखों रुपये की कमाई करते हैं. तो दूसरी ओर इस फसल में अत्यधिक लागत भी नहीं आती है. इसमें मात्र दो हजार से यह पचास से एक लाख रुपये तक की डबल कमाई कर रहे हैं.

इस विधि से कर ली लौकी की खेती तो लाइफ झिंगालाला उपज और क्वालिटी होगी जबरदस्त
फर्रुखाबाद /सत्यम कटियार: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के किसान अब वैज्ञानिक विधि से अपने खेतों में लौकी की फसल तैयार करके कम समय में ही लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. यहां के किसान इस समय अपने 25 बीघा खेत में लौकी की फसल कर रहे हैं. वह इसे एक समय पर डबल कमाई भी करते हैं, तो दूसरी ओर फसल तैयार हो जाने के बाद निकलने वाली हरी जैविक खाद से अपने खेत को उपजाऊ बनाते हैं. फर्रुखाबाद के न्यामतपुर ठाकुरान के निवासी प्रगतिशील किसान शिशुपाल सिंह बताते हैं कि वह पिछले 25 वर्षों से अपने खेतों में गेहूं और मक्के की जगह पर अपने खेतों में लौकी उगाते आ रहे हैं. यह फसल किसानों के लिए इसलिए लाभदायक है, क्योंकि इसको तैयार करने में मात्र एक बीघा में दो हजार की लागत आती है. इसमें 150 रुपये का बीज और शेष बचा हुआ खर्च सिंचाई में आता है. वहीं, एक बार आलू की खुदाई के बाद इस फसल के बीजों को समतल खेत में प्रति एक फिट की दूरी पर बीज को बो दिया जाता है. इसके बाद 3 महीने के इंतजार के बाद उसकी फसल तैयार होने लगती है. इसको बाजार में बेचा जाता है. वहीं, जब फसल पककर तैयार होती है तो इस लौकी के अंदर निकलने वाले बीजों की बाजार में बिक्री होती है. इस समय पर लौकी के बीजों को निकाल कर स्थानीय बाजार में बाहर से आने वाले खरीददार 300 रुपये प्रति किलो की दर से खरीद रहे हैं. इससे लौकी के किसानों को एक बीघा में हरी लौकी और बीजों की बिक्री से होने वाली डबल कमाई से 60 हजार से एक लाख रुपये तक की आसानी से कमाई हो रही है. लौकी की खास है यह किस्म बंपर पैदावार करने के लिए अर्का नूतन, श्रेयस, बहार, पूसा, कुंडल, सम्राट और हाइब्रिड किस्मों के द्वारा बंपर उत्पादन होता है. यह 55 से 60 दिनों में पैदावार देने लगती हैं. वहीं, लौकी की फसल की हरी बाजार में बिक्री और पककर तैयार होने पर इसके बीजों को निकाल कर भी बेचा जाता है. इस भूमि पर मुफीद है यह फसल किसान शिशुपाल सिंह बताते हैं कि लौकी की फसल में अत्यधिक लागत नहीं आती है. इसको आलू की खुदाई के बाद खेत में बोया जाता है. इसमें सबसे उचित यह है कि इस समतल भूमि पर किया जाता है. ताकि, जलभराव की स्थिति न बने. वहीं, इसमें सिंचाई के साथ ही मिट्टी में जीवाश्म युक्त दोमट मिट्टी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस प्रकार लौकी की बुवाई गर्मी एवं वर्ष के समय पर होती है तो दूसरी ओर लौकी की फसल की डिमांड हर समय बनी रहती है. ऐसे समय पर किसान खेत से हरी लौकी को बिक्री करने के साथ ही जब यह पक जाती है, तो इसके बीजों को निकाल करके भी बिक्री करके तगड़ी कमाई करते हैं. Tags: Farrukhabad news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 12:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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