1 एकड़ में 10 क्विंटल पैदावार कम लागत में छप्पर फाड़ कमाई

एक एकड़ में 8-10 क्विंटल तक काली तुलसी के बीज प्राप्त होते हैं, जिनकी बाजार में कीमत 80 से 150 रुपए प्रति किलो तक होती है.

1 एकड़ में 10 क्विंटल पैदावार कम लागत में छप्पर फाड़ कमाई
प्रयागराज: अमेरिकन तुलसी, जिसे काली तुलसी भी कहा जाता है, किसानों के लिए एक लाभदायक फसल साबित हो सकती है. इस फसल में किसी तरह की बीमारी का खतरा नहीं होता और न ही अधिक खाद-पानी की आवश्यकता पड़ती है. एक एकड़ में 8-10 क्विंटल तक काली तुलसी के बीज प्राप्त होते हैं, जिनकी बाजार में कीमत 80 से 150 रुपए प्रति किलो तक होती है. एक एकड़ की खेती में लगभग 40 से 50 हजार रुपए का खर्च आता है, जबकि मुनाफा इससे कहीं अधिक होता है. खेती की तैयारी कैसे करें जून में काली तुलसी की खेती की तैयारी शुरू करनी चाहिए. इस समय नर्सरी लगाई जाती है और एक महीने बाद पौधे खेत में रोपित किए जाते हैं. इससे पहले खेत को तैयार करने के लिए 5-6 टन प्रति एकड़ गोबर की सड़ी खाद डालकर जुताई करें. इसके बाद वेड बनाकर पौधों को रोपें. लाइन से लाइन की दूरी 50 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी रखनी चाहिए. काली तुलसी की फसल का समय यदि पत्तियों का अर्क बनाना हो तो 60 दिनों में इसकी पहली कटाई की जा सकती है, जबकि पूरी फसल 120 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है. एक एकड़ में लगभग 8 क्विंटल बीज तैयार होता है, जबकि बिना कटाई वाली फसल से 10 क्विंटल तक बीज मिल सकता है. बाजार में बीज 80 से 150 रुपए प्रति किलो की दर से बिकता है, जबकि तुलसी का भूसा 5 से 8 रुपए प्रति किलो की दर से अगरबत्ती और हवन सामग्री के लिए बिकता है. कम लागत, अधिक मुनाफा प्रयागराज के प्रगतिशील किसान रवि मौर्य बताते हैं कि काली तुलसी की खेती में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है. प्रति एकड़ 80 किलो नाइट्रोजन और 25 किलो डीएपी खाद शुरू में डालना होता है, जबकि 10 टन गोबर की सड़ी खाद की आवश्यकता होती है. फसल के शुरुआती समय में खरपतवार नियंत्रण आवश्यक होता है, लेकिन तुलसी के बड़े होने पर खरपतवार की समस्या खत्म हो जाती है. काली तुलसी में क्या है खास काली तुलसी की पत्तियां हरी होती हैं, जबकि इसके बीज काले और तिकोने आकार के होते हैं. इसकी महक सौंफ जैसी होती है. इसके विपरीत, राम तुलसी के बीज भूरे रंग के होते हैं और इसका उपयोग कफ सिरप में होता है. औषधीय और स्वाद के लिए उपयोग लोकल 18 से बातचीत के दौरान रवि मौर्य बताते हैं कि फालूदा, आइसक्रीम और कफ सिरप में भी काली तुलसी के बीज का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा, यूरिन संबंधी समस्याओं के लिए भी इसका प्रयोग औषधियों में किया जाता है. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 10:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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