कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाना क्यों है जरूरी बता रहे हैं आईसीएमआर विशेषज्ञ
कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाना क्यों है जरूरी बता रहे हैं आईसीएमआर विशेषज्ञ
आईसीएमआर से जुड़े डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि यह कोई पहली वैक्सीन नहीं है जिसमें बूस्टर डोज की जरूरत पड़ रही है. कई ऐसी वैक्सीन हैं जैसे मीजल्स की वैक्सीन आदि जो जीवन में एक ही बार बचपन में लगती है, और उसकी बूस्टर डोज भी लगाई जाती है. बच्चों के टीकाकरण में ऐसी कई बूस्टर डोज शामिल हैं. इसी तरह कोरोना को लेकर शरीर में इम्यूनिटी को बरकरार रखने के लिए भी बूस्टर डोज की जरूरत महसूस की गई है.
नई दिल्ली. भारत में पिछले साल जनवरी में शुरू हुआ कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है. देश की अधिकांश जनसंख्या को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं. वहीं अब प्रीकॉशन डोज यानि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने के लिए केंद्र सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से लगातार अपील की जा रही है. जहां 7 जुलाई तक 198.88 करोड़ वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी हैं. वहीं बूस्टर डोज अभी तक सिर्फ 5 करोड़ ही लगाई गई हैं. बूस्टर डोज लेने वालों में सबसे ज्यादा संख्या 60 साल ऊपर के लोगों की है जिन्हें सरकारी अस्पतालों और वैक्सीनेशन सेंटरों में फ्री वैक्सीन लगाई जा रही है. जबकि अन्य श्रेणियों में बूस्टर डोज या प्रीकॉशन डोज लगवाने वालों की संख्या काफी कम है.
आईसीएमआर, जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्प्लीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि केंद्र सरकार की ओर से कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया. जिसके तहत कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज निशुल्क दी गईं. इसके बाद 60 साल तक के बुजुर्गों को मुफ्त बूस्टर डोज लगाने के अलावा अन्य सभी श्रेणियों के लोगों को शुल्क देकर निजी वैक्सीनेशन सेंटरों पर वैक्सीन लगवाने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में संभव है कि शुल्क के कारण लोग बूस्टर डोज लगवाने में ढील बरत रहे हैं लेकिन यह सही नहीं है. लोगों को बूस्टर डोज लगवाना चाहिए.
डॉ. अरुण कहते हैं कि कोरोना वैक्सीन की पहली डोज के बाद देखा गया कि शरीर में एंटीबॉडीज बनीं लेकिन कई अध्ययनों में यह महसूस किया गया कि कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज बनेंगी जो कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होंगी. लिहाजा वैक्सीन की दो डोज निश्चित की गईं. इस दौरान दोनों डोज के बीच अंतराल को भी कई बार बदला गया और सही अंतराल को चुना गया लेकिन दोनों डोज के बाद देखा गया कि एंटीबॉडीज एक समय के बाद घटने लगीं. ऐसे में तीसरी डोज यानि प्रीकॉशन डोज या बूस्टर डोज की जरूरत महसूस की गई.
डॉ. कहते हैं कि यह कोई पहली वैक्सीन नहीं है जिसमें बूस्टर डोज की जरूरत पड़ रही है. कई ऐसी वैक्सीन हैं जैसे मीजल्स की वैक्सीन आदि जो जीवन में एक ही बार बचपन में लगती है, और उसकी बूस्टर डोज भी लगाई जाती है. बच्चों के टीकाकरण में ऐसी कई बूस्टर डोज शामिल हैं. इसी तरह कोरोना को लेकर शरीर में इम्यूनिटी को बरकरार रखने के लिए भी बूस्टर डोज की जरूरत महसूस की गई है. हालांकि अभी तक यह तो साफ नहीं है कि आखिर कितने समय में दोनों डोज के बाद एंटीबॉडीज खत्म हो जाती हैं लेकिन कम हो जाती हैं ऐसा सामने आया है. ऐसे में कोरोना के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडीज को बरकरार रखने के लिए बूस्टर डोज लगवाना जरूरी है.
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Tags: Booster Dose, Corona vaccination, Corona vaccine, Corona VirusFIRST PUBLISHED : July 11, 2022, 14:00 IST