एसी-कूलर के बिना मिलेगी ठंडक बिना पानी पीए शरीर हो जाएगा हाइड्रेट बस
एसी-कूलर के बिना मिलेगी ठंडक बिना पानी पीए शरीर हो जाएगा हाइड्रेट बस
गर्मी में शरीर को ठंडा रखने के लिए बहुत ज्यादा पानी पीने या एसी कूलर में बैठने की जरूरत नहीं है. अगर आप सिर्फ 15 मिनट रोजाना गौतम बुद्ध की तरह इस मुद्रा में बैठते हैं तो इस भीषण गर्मी में भी आप कूल रहेंगे और आपके शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी.
हाइलाइट्स योग चिकित्सा में स्वास्थ्य की तमाम कठिनाइयों का रामबाण इलाज मौजूद हैे. योग की मुद्राएं इतनी कारगर हैं कि इनका असर किसी चमत्कार से कम नहीं होता.
ऐसी गर्मी पड़ रही है कि घरों के अंदर एसी-कूलर भी फेल हो गए हैं. वहीं घरों से बाहर निकलते ही शरीर का पानी सूख रहा है. इस बढ़ते तापमान और सनसनाती हीट वेव्स से हर कोई परेशान है. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स लोगों को खूब पानी पीने, ठंडक भरे वातावरण में रहने और ज्यादा धूप में न निकलने की सलाह दे रहे हैं. लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि आपको ऐसी गर्मी में न एसी-कूलर की जरूरत पड़ेगी और न ही बहुत ज्यादा पानी पीते रहने की, बस आपको 15-20 मिनट आराम से घर में बैठना होगा और आपकी गर्मी छूमंतर हो जाएगी तो शायद आपको भरोसा ही नहीं होगा, लेकिन ये सच है.
आपको बता दें कि कितनी ही बड़ी मुश्किल क्यों न हो, योग चिकित्सा ऐसी उपचार पद्धति है, जो ऐसी कठिनाइयों में चमत्कार की तरह काम करती है. गर्मी के लिए भी योग के पास रामबाण उपाय है और वह है योग की जल मुद्रा. आपको बस इस मुद्रा में कुछ देर के लिए शांति से बैठना है और फिर आपके अंदर ही इतनी शीतलता आ जाएगी कि आपको न गर्मी महसूस होगी और न ही डिहाइड्रेशन की समस्या होगी. आइए जानते हैं इसके बारे में..
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एसएम योग रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड नेचुरोपैथी अस्पताल इंडिया के सचिव और जाने माने योग एक्सपर्ट डॉ. बालमुकुंद शास्त्री बताते हैं कि जल मुद्रा को वरुण मुद्रा भी कहते हैं, क्योंकि वरुण देवता को ही जल, वर्षा, समुद्र का देवता माना गया है. जल मुद्रा योग की ऐसी मुद्रा है जो शरीर में जल की मात्रा को पर्याप्त स्तर तक पहुंचाती है. यह मुद्रा हमारे शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करती है. जल का बेसिक काम सफाई और शुद्धि करना है, ऐसे में इस मुद्रा को लगाने से शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन का भी काम होता है. इससे चेहरे पर ग्लो, शरीर पर तेज, वजन कम होना आदि का लाभ होता है. यह इतनी प्रभावी है कि कुछ ही दिन में आपको इसका असर भी देखने को मिल सकता है.
क्या है ये मुद्रा, कैसे बनती है?
योग की इस मुद्रा को गौतम बुद्ध भी अपनाते थे. उनकी कई मूर्तियां इस मुद्रा में बैठे हुए हैं. यह मुद्रा हाथ की सबसे छोटी उंगली कनिष्ठा और अंगूठे के अग्र भाग को मिलाने से बनती है. इसके लिए हमें किसी भी ध्यानासन यानि पद्मासन, सुखासन, वज्रासन या सिद्धासन में बैठकर, कमर सीधी रख के, छोटी उंगली को अंगूठे से मिलाते हुए बैठना होगा. आप चाहें तो आंख बंद करके, ध्यान की स्थिति में बैठ सकते हैं और फिर चमत्कार देख सकते हैं.
ये भी हैं इस मुद्रा के लाभ..
जल मुद्रा आंखों की रोशनी बढ़ाने, आंखों की सफाई करने, आंसू निकालने में हमारी मदद करती है. यह सलाइवा यानि लार के प्रोडक्शन में भी मदद करती है. यह शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को भी घटाने का काम करती है. ब्लड को प्यूरीफाई करने, खून के स्तर को बढ़ाने और खून को साफ रखने में भी मदद करती है.
कितनी देर करें ये मुद्रा
इस मुद्रा को नियमित रूप से 15 से 20 मिनट अभ्यास करने से तमाम तरह के बताए गए लाभ मिलते हैं. अगर इस मुद्रा का ज्यादा लाभ लेना है तो इस मुद्रा में आप रोजाना सुबह-शाम बैठकर कर सकते हैं. खाना खाने के तुरंत बाद इस मुद्रा को न करें. कम से कम 4 घंटे का अंतराल जरूर रखें.
कौन लोग न करें इस मुद्रा का अभ्यास
हालांकि जिन लोगों का कफ और पित्त बढ़ा हुआ है, वे लोग इसका अभ्यास न करें. यानि अगर किसी को कफ, कोल्ड, सर्दी, खांसी या जुकाम है तो वे लोग इसे न करें क्योंकि शरीर में जल की मात्रा बढ़ने से उनकी ये परेशानी भी बढ़ सकती है. लेकिन जिन लोगों का वात बढ़ा हुआ है, ऐसे लोग इस मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं.
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Tags: Benefits of yoga, Heat stress, Heat Wave, International Day of Yoga, International Yoga Day, Summer vacationFIRST PUBLISHED : June 1, 2024, 15:08 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed