लड़कियों से ज्यादा लड़कों को काटता है डेंगू का मच्छर! इस उम्र में खतरा
लड़कियों से ज्यादा लड़कों को काटता है डेंगू का मच्छर! इस उम्र में खतरा
डेंगू को लेकर भारत के ओडिसा में हुई रिसर्च बताती है कि डेंगू का मच्छर लड़कियों के मुकाबले लड़कों को ज्यादा काटता है. खासतौर पर 8 से 11 साल के लड़कों में डेंगू मॉस्कीटो बाइट ज्यादा देखी गई है. ऐसा सामाजिक और वातावरणीय कारणों की वजह से है.
Dengue Fever Causes: डेंगू का मच्छर लड़कियों से ज्यादा लड़कों को काटता है. एक इंडियन रिसर्च स्टडी में यह बात सामने आई है. अब आपके मन में तमाम तरह के सवाल आ रहे होंगे कि आखिर डेंगू का मच्छर काटने से पहले पहचानता कैसे होगा कि ये लड़का है तो इसको काटना है, ये लड़की है तो इसको नहीं काटना है? क्या लड़कों का खून ज्यादा मीठा होता है और लड़कियों का कड़वा होता है? … तो आप ज्यादा मत सोचिए. इनमें से कोई भी बात सही नहीं है. न तो मच्छर पहचानता है और न ही लड़के-लड़कियों के खून में कुछ अंदर होता है लेकिन इसके बावजूद मच्छरों के काटने और डेंगू होने का खतरा भारत में 8 से 11 साल के लड़कों को ज्यादा होता है, बनिस्वत लड़कियों के. आइए जानते हैं ऐसा क्यों है?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एनएलएम में छपी दक्षिणी ओडिसा, इंडिया की एक रिसर्च के मुताबिक भारत में लड़कियों के मुकाबले लड़कों में एडीज मच्छर के काटने और डेंगू होने की संभावना ज्यादा होती है. रिसर्च में रेंडमली शामिल किए गए बच्चों में देखा गया कि डेंगू वायरस के संक्रमण का अनुपात लड़कों और लड़कियों में 3.4 : 1 का देखा गया. इतना ही नहीं जिस उम्र में लड़कों को डेंगू होने की आंशका सबसे ज्यादा देखी गई, वह उम्र भी 8 से 11 साल के बीच की उम्र थी. भारत में पहला डेंगू बुखार 1956 में वेल्लोर में रिपोर्ट हुआ था और पहला डेंगू हैमरेजिक फीवर कोलकाता में 1963 में पता चला था. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक डेंगू से मृत्यु दर 5 फीसदी के आसपास है. जबकि सीवियर डेंगू में आने वाले डेंगू हैमरेजिक फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम से मौत का आंकड़ा 44 फीसदी तक है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस बारे में दिल्ली एमसीडी में डेंगू-मलेरिया-चिकनगुनिया जैसी वैक्टर बॉर्न डिजीज के नोडल अधिकारी रह चुके रिटायर्ड डॉ. सतपाल बताते हैं कि आमतौर पर बारिश का मौसम शुरू होने के बाद जुलाई से लेकर नवंबर तक डेंगू का पीक सीजन होता है, हालांकि साफ पानी का स्टोरेज किसी भी महीने में और कहीं भी होने पर वहां डेंगू के मच्छर का लार्वा पनपने की संभावना होती है और यही वजह है कि इन महीनों के अलावा भी डेंगू के मामले देखे गए हैं.
जहां तक लड़कों को लड़कियों से ज्यादा डेंगू एक्सपोजर होने की आशंका की बात है तो ऐसा होना संभव है. हालांकि इसके पीछे कोई बायोलॉजिकल कारण नहीं है लेकिन स्ट्रॉंग इनवायरमेंटल और सोसियोलॉजिकल कारण है. यह बीमारी भी वातावरण जनित है. यह पानी में पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है. अगर वातावरण को ठीक कर लिया जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. ऐसे में जिस वर्ग या आयु वर्ग में मच्छरों के प्रति जितना एक्सपोजर होता है, यह बीमारी भी उतनी ज्यादा होती है.
ये है वजह..
डॉ. सतपाल कहते हैं कि भारत में लड़कों का एक्सपोजर खुले वायुमंडल के प्रति ज्यादा है. पार्क से लेकर घर के बाहर तक, स्कूलों के मैदानों में या अन्य जगहों पर आपको लड़के ज्यादा संख्या में मिलेंगे, बनिस्वत लड़कियों के. लड़कियां ज्यादातर घर के अंदर रहती हैं. फिर चाहे वह किसी भी उम्र की हैं. जिसकी वजह से लड़कों में एडीज मच्छरों की फ्रीक्वेंट या एक से ज्यादा बाइट होना कॉमन है और डेंगू का खतरा ज्यादा होता है.
वहीं दूसरा फैक्टर है कपड़े. भारत में लड़कियां और लड़कों के कपड़ों में भी थोड़ा अंतर है. सिर्फ बड़े शहरों को छोड़ दें तो गांव, देहात, कस्बों और छोटे शहरों में लड़कियां लड़कों के मुकाबले ज्यादा ढके हुए कपड़े पहनती हैं, जिसका फायदा यह होता है कि मच्छरों का एक्सपोजर कम होता है. जबकि लड़कों का पहनावा भी मच्छरों के लिए अनुकूल होता है.
कैसे करें बचाव
डॉ. सतपाल कहते हैं कि जब भी डेंगू सीजन शुरू होता है, उससे पहले ही ये एडवाइजरी जारी की जाती है कि बच्चों को घर, स्कूल, पार्क सहित सभी जगहों पर पूरी आस्तीन और पूरे पैर तक ढके हुए कपड़े पहनाएं. घर के अंदर या घर के बाहर, कूलर, गमलों आदि में कहीं भी पानी जमा न होने दें. अगर कहीं बारिश का साफ पानी जमा है तो उसे हटाने की व्यवस्था करें. घर में मच्छरों से बचाव की व्यवस्था करें. छोटे बच्चों का खास ध्यान रखें और उन्हें मॉस्कीटो बाइट के प्रति जागरुक भी करें.
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Tags: Dengue, Dengue death, Dengue fever, Dengue in Delhi, Dengue outbreakFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 14:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed