5 खतरनाक बैक्टीरिया ने देश में 68 लाख लोगों की ले ली जान जानिए कौन सी बीमारी फैलाती हैं ये और क्या है बचने के उपाय
5 खतरनाक बैक्टीरिया ने देश में 68 लाख लोगों की ले ली जान जानिए कौन सी बीमारी फैलाती हैं ये और क्या है बचने के उपाय
5 Dangerous bacteria: पांच तरह के बैक्टीरिया ने भारत में तबाही मचा रखी है. इन पांचों बैक्टीरिया ने 2019 में भारत में 6.8 लाख लोगों की जान ले ली है. इन बैक्टीरिया के नाम हैं - ई.कोलाई, एस न्यूमोनिया, के. न्यूमोनिया, एस.ऑरियस और ए.बाउमनी.
हाइलाइट्सलैंसेट की यह रिपोर्ट उन मौतों पर आधारित है जो 33 प्रजातियों के बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण हुई हैई कोलाई ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया है जो इंसान की आंत में पाया जाता है
Deadly bacteria killed 6.8 lakhs people in India: बैक्टीरिया के कारण पनपने वाली कुछ बीमारियां जैसे टीवी, न्यूमोनिया, टेटनस, कौलरा, पेट में इंफेक्शन, डायरिया, मेनिनजाइटिस, गोनोरिया, प्लेग और सिफलिस को अक्सर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं. लेकिन आप जानते हैं कि इनमें से कई बीमारियां घातक बीमारियों का कारण बनती हैं. भारत में 2019 में 6.8 लाख लोगों की जान इन घातक बीमारियों की वजह से गई थी . यह चौंकाने वाला खुलासा लैंसेट पत्रिका में हुआ है. ये पांच बैक्टीरिया हैं– ई.कोलाई, एस न्यूमोनिया, के. न्यूमोनिया, एस.ऑरियस और ए.बाउमनी है. इनमें सबसे ज्यादा तबाही ई. कोलाई बैक्टीरिया ने मचाई है. ई कोलाई (E. coli) के कारण डायरिया, पेशाब में इंफेक्शन और अन्य कई तरह के संक्रमण होते हैं. ई. कोलाई बैक्टीरिया के संक्रमण से भारत में 1.6 लाख लोगों की मौत 2019 में हुई थी.
टीओआई की खबर के मुताबिक लैंसेट की यह रिपोर्ट उन मौतों पर आधारित है जो 33 प्रजातियों के बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण हुई है. इनमें पांच सबसे घातक बैक्टीरिया से हुई मौतों का आंकड़ा सामने आया है. इन पांच बैक्टीरिया के अलावा साल्मोनेला टाइफी, गैर-टाइफाइड साल्मोनेला और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा ने भी संक्रमण से काफी लोगों की जान ली है.
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5 खतरनाक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी और बचाव के तरीके
ई.कोलाई-
ई कोलाई (Escherichia coli (E. coli) ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया है. यह बैक्टीरिया इंसान की आंत में होते हैं. आमतौर पर अधिकांश ई. कोलाई खतरनाक नहीं होते लेकिन ई कोलाई के कुछ स्ट्रेन खतरनाक साबित हो सकते हैं. इससे पेट में क्रैंप, मरोड़, खूनी डायरिया और उल्टी हो सकती है. खतरनाक स्ट्रेन का संक्रमण संक्रमित जल से होता है.
लक्षण-डायरिया, पेट में मरोड़, खूनी दस्त, पेट में क्रैंप, बेचैनी, उल्टी.
बचाव के उपाय-साफ पानी पीएं. जल जनित रोग होने के कारण घर में पानी का हमेशा ख्याल रखे कि इसमें बैक्टीरिया न आ जाएं. जब एंटीबायोटिक से ठीक न हो तो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
एस न्यूमोनिया
स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनिया (Streptococcus pneumoniae) ग्राम पोजिटिव बैक्टीरिया है. इसके सौ से ज्यादा तरह के प्रकार हैं. ज्यादातर एस न्यूमोनिया बैक्टीरिया बीमारी फैलाते हैं. यह बैक्टीरिया नाक और गले में पाए जाते हैं. बच्चों को यह बैक्टीरिया ज्यादा परेशान करते हैं.
बीमारी-मध्य कान में इंफेक्शन, बच्चों और बुजुर्गों में सेप्सिस, न्यूमोनिया और इम्यूनिटी को प्रभावित करता है.
लक्षण-अचानक बुखार, शरीर में अचानक ठंडा लगना, सिर दर्द, कफ, चेस्ट पेन, भटकाव, सांस की तकलीफ, कमजोरी और कभी-कभी गर्दन में अकड़न.
बचाव के उपाय-हाथ को सही तरीके से धोएं. छींकने के दौरान मुंह पर मास्क लगाएं. समय पर साधारण एंटीबायोटिक से ठीक हो जाता है. ज्यादा समय लगाने पर बीमारी जटिल हो सकती है.
के न्यूमोनिया
क्लेबसिएला न्यूमोनिया (Klebsiella pneumoniae) ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया है. यह बैक्टीरिया आंत और मल में पाया जाता है. यह बैक्टीरिया यदि आंत और स्टूल में है तो इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर यह अन्य अंग में पहुंच जाता है तो इससे इंफेक्शन हो सकता है.
बीमारी-पेशाब में इंफेक्शन, पेट में इंफेक्शन, मेनिनजाइटिस, लिवर में फोड़ा, खून की नलियों में इंफेक्शन.
लक्षण-बुखार, बहुत अधिक ठंड, कफ, खून बलगम, सांस लेने में तकलीफ, चेस्ट पेन.
बचाव के उपाय-लक्षण दिखने पर तुरंत एंटीबायोटिक लें. हालांकि इस बैक्टीरिया को एंटीबायोटिक से ठीक करना थोड़ा मुश्किल है. इसलिए तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
एस.ऑरियस
स्टेफायलोकॉकल ऑरियस (Staphylococcus aureus) ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया है. इस बैक्टीरिया से आम तौर पर स्किन से संबंधित बीमारियां होती हैं. यह बैक्टीरिया श्वसन नली, आंत और स्किन में पाया जाता है.
बीमारी-फूड प्वाजनिंग, बोन और ज्वाइंट इंफेक्शन, खून की नली में इंफेक्शन, स्किन इंफेक्शन, फॉलिकुलाइटिस, इंपर्टिगो, सेलुलिटिस आदि.
लक्षण-स्किन में इंफेक्शन, जैसे फोड़े की तरह निकलना, लाल दाने, स्किन में दर्द, सूजन, दर्द, बैक्टेरेमिया, सेप्टिक अर्थराइटिस, न्यूमोनिया, सांस लेने में तकलीफ, बुखार आदि.
बचाव के उपाय-हाथ को हमेशा साफ रखें. शरीर में कटी हुई जगहों को ढक कर रखें. घाव पर पट्टी लगाएं. हाईजीन का ख्याल रखें. कपड़े को साफ रखें और हमेशा ढका हुआ भोजन करें.
एसिनोबेक्टर बाउमनी
एसिनोबेक्टर बाउमनी (Acinetobacter) बैक्टीरिया भी ग्राम बैक्टीरिया है जो मिट्टी, पानी और कभी-कभी स्वस्थ्य व्यक्ति की स्किन में पाया जाता है. इसकी कई प्रजातियां हैं. यह आईसीयू में भी मिल सकता है. हालांकि अधिकांश मामलों में यह इंसान को संक्रमित नहीं करता है लेकिन कभी-कभी घातक बन जाता है.
बीमारी-एसिनोबेक्टर बैक्टीरिया से न्यूमोनिया, खून में इंफेक्शन, घाव, पेशाब में इंफेक्शन हो सकता है.
लक्षण-न्यूमोनिया में बुखार आम लक्षण है. खून में इंफेक्शन हो तो बुखार, अनाचक ठंड, उल्टी और कंफ्यूजन होने लगता है. घाव की स्थिति में बहुत तेज बुखा और लाल दाने और दर्द होता है. पेशाब में इंफेक्शन हो जाए तो दर्द होता है, बार-बार पेशाब लगता है, जटिल स्थिति में पेशाब से खून भी आ सकता है.
बचाव के उपाय-यह बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति या वातावरण से लोगों को संक्रमित करता है. इसमें एंटीबायोटिक से ठीक किया जाता है लेकिन कुछ स्ट्रेन एंटीबायोटिक का प्रतिरोध करता है. इसलिए अस्पताल जाना जरूरी होता है.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle, Trending newsFIRST PUBLISHED : November 22, 2022, 14:04 IST