पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन ऑटोबायोग्राफी पर छिड़ गया था विवाद
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन ऑटोबायोग्राफी पर छिड़ गया था विवाद
Natwar Singh: नटवर सिंह ने 1953 में एक भारतीय विदेश सेवा अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1984 में उस वक्त रिटायरमेंट ले ली, जब उन्होंने राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़ा और लोकसभा सांसद बने. उन्होंने राजीव गांधी सरकार में इस्पात राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया और बाद में 1986 में विदेश राज्य मंत्री बने.
नई दिल्ली. पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह का शनिवार 11 अगस्त को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे और नई दिल्ली के पास ही गुरुग्राम के एक क्लिनिक में लगभग दो सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती थे. पूर्व कांग्रेस सांसद, नटवर सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-I सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री का कार्यभार संभाला था.
नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था. एक पारिवारिक सूत्र ने शनिवार देर रात पीटीआई को बताया, “नटवर सिंह के बेटे अस्पताल में हैं और परिवार के कई अन्य सदस्य रविवार को दिल्ली में होने वाले अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक राज्य से दिल्ली आ रहे हैं. वह कुछ समय से ठीक नहीं थे.” सूत्र ने बताया कि शनिवार देर रात उनका निधन हो गया.
विदेश मंत्री रहने के दौरान ही नटवर सिंह को ‘इराकी तेल के बदले अनाज’ घोटाले के मद्देनजर 2005 में यूपीए-1 सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था. गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले नटवर सिंह ने 2008 में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था.
नटवर सिंह ने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी काम किया और 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे थे. उन्हें 1984 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. सिंह ने अपनी आत्मकथा ‘वन लाइफ इज़ नॉट इनफ’ सहित कई किताबें भी लिखीं. उनकी इस किताब ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया था.
उन्होंने अपनी आत्मकथा One Life Is Not Enough में यह दावा कर सनसनी फैला दी थी कि 2004 में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी की वजह से प्रधानमंत्री का पद नहीं संभाला. उन्होंने किताब में लिखा, “राहुल गांधी की जिद थी कि सोनिया गांधी को किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री का पद नहीं संभालना चाहिए क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि उनकी मां सोनिया गांधी भी उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की तरह मार दी जाएंगी.’
यह सोनिया गांधी के उस बयान के बिल्कुल विपरीत था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह उनकी ‘अंतरआत्मा की आवाज’ थी, जिसे सुनने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वह प्रधानमंत्री पद नहीं संभालेंगी. नटवर सिंह की आत्मकथा से उठे विवाद के बाद सोनिया गांधी को भी सफाई देनी पड़ी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपनी खुद की किताब लेकर आएंगी, जो ‘सच्चाई’ सामने लाएंगी.
Tags: Manmohan singh, Medanta Hospital, Sonia GandhiFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 02:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed