JDU के भीतर केसी त्‍यागी की तरह कभी FDI के चक्‍कर में नप गए थे उपेंद्र कुशवाहा

एक दिन पहले वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार की राजनीति और उनसे अदावत की कहानियां चल रही हैं. माना जा रहा है कि पार्टी के नेतृत्व को भरोसे में लिए बिना बयान जारी करने की वजह से त्यागी को इस्तीफा देना पड़ा है.

JDU के भीतर केसी त्‍यागी की तरह कभी FDI के चक्‍कर में नप गए थे उपेंद्र कुशवाहा
जदयू के मुख्य प्रवक्ता पद से एक दिन पहले वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने इस्तीफा दे दिया था. राष्ट्रीय मीडिया में त्यागी लंबे समय तक जदयू का एक प्रभावी चेहरा रहे. उन्होंने अपने इस्तीफे में अपनी उम्र को कारण बताया था. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि युवा चेहरे आए आएं और अहम जिम्मेदारी संभालें. लेकिन, परदे के पीछे की कहानी कुछ और है. रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ महीनों से केसी त्यागी पार्टी आलाकमान को भरोसे में लिए बिना काम कर रहे थे. ऐसे में कई बार नेतृत्व असहज स्थिति में आ गया. बीते दिनों इजरायल-हमास युद्ध के मसले पर केसी त्यागी ने विपक्षी दलों के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया. इससे जेडीयू काफी असहज हो गई, क्योंकि वह केंद्र सी मौजूदा सरकार में साझेदार है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जेडीयू के सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार में एक सहयोगी दल होने के कारण आमतौर पर विदेश नीति के मसले पर कोई मतभेद नहीं होता. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले हैं और केंद्र सरकार तमाम कारकों को ध्यान में रखकर फैसला लेती है. ऐसे में विपक्ष के नेताओं के साथ मिलकर बयान जारी करना ठीक नहीं है. सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर यह बात निजी तौर पर कही गई होती तो भी ठीक था लेकिन उन्होंने यह बयान जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता की हैसियत से जारी किया था. इसी तरह केसी त्यागी ने आरक्षण और अन्य मसले पर बयान जारी किया जो पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाला था. सूत्रों का दावा है कि पार्टी नेतृत्व के कहने पर उन्हें मुख्य प्रवक्ता पद से इस्तीफा देना पड़ा. कुशवाहा की हुई थी छुट्टी केसी त्यागी के जेडीयू में किनारे किए जाने की घटना नई नहीं है. कुछ ऐसी ही स्थिति 2012 में जेडीयू के राज्यसभा सांसद रहे उपेंद्र कुशवाहा को झेलनी पड़ी थी. दरअसल, कुशवाहा ने पार्टी लाइन से इतर राज्यसभा में मल्टी ब्रांड एफडीआई के पक्ष में वोटिंग किया था. उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी. वोटिंग के तुरंत बाद कुशवाहा ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया. फिर उन्होंने अपनी अलग पार्टी बनाने की घोषणा थी. हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा और जेडीयू का रिश्ता काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित कुशवाहा को 2004 में विपक्ष का नेता बनाया था. उन्होंने राज्य में कुशवाहा वोटरों को साधने के लिए ऐसा किया था. लेकिन, 2007 में मतभेद के बाद कुशवाह पहली बार जेडीयू से बाहर कर दिए गए. अब तक कुशवाहा तीन बार जेडीयू में आ-जा चुके हैं. Tags: JDU news, KC tyagi, Nitish kumar, Upendra kushwahaFIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 20:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed