कर्नाटक ही नहीं इन राज्यों में भी प्राइवेट जॉब कोटा देने की कोशिश मगर फिर

Reservation in pvt job for locals: आखिर क्या वजहें हैं कि विभिन्न राज्यों द्वारा अपने अपने राज्य में लोकल लोगों को प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण देने की कोशिश की गई. लेकिन अब तक का रिकॉर्ड तो यह देखा जा रहा है हर कोशिश असफल हुई.. आखिर ऐसा क्यों है.. आइए समझें...

कर्नाटक ही नहीं इन राज्यों में भी प्राइवेट जॉब कोटा देने की कोशिश मगर फिर
Reservation Quota news update: कर्नाटक में लोकल लोगों (कन्नड़) को प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण देने के मसले पर सिद्धारमैया सरकार ने अपने हाथ जला लिए. उद्योगपतियों और नेताओ के तगड़े विरोध के बाद कर्नाटक सरकार ने इस मसले पर आगे बढ़ने से कदम पीछे खींच लिए हैं. सरकार ने कहा कि मंत्रिमंडल प्रस्तावित कानून पर व्यापक रूप से चर्चा करेगा और फिर इसे कर्नाटक विधानसभा में पेश करेगा. हालांकि, यह पहला राज्य नहीं है जो स्थानीय लोगों के लिए इस तरह का कोटा लागू करना चाहता है. तीन और राज्यों ने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की थी. आइए जानें कर्नाटक के अलावा ऐसे तीन राज्य कौन से थे जिन्होंने नौकरियों में आरक्षण की कोशिश की और इसका क्या नतीजा रहा: कर्नाटक- राज्य में नौकरियों में लोकल लोगों को आरक्षण के मसले से अगर आप वाकिफ नहीं हैं तो जान लें कि कर्नाटक राज्य सरकार ने ‘कर्नाटक राज्य उद्योग, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार विधेयक, 2024’ को मंजूरी दी थी. इसमें स्थानीय लोगों के लिए गैर-प्रबंधन नौकरियों में 75 प्रतिशत और प्रबंधन नौकरियों में 50 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य कर दिया था. प्रस्तावित विधेयक को लेकर तत्काल तीखी प्रतिक्रिया हुई. आंध्र प्रदेश- साल 2019 की बात होगी जब वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी भागीदारी कंपनियों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए 75 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित करने वाला विधेयक पारित किया. आंध्र प्रदेश उद्योग और कारखानों में स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम 2019 ने सभी औद्योगिक इकाइयों, कारखानों और संयुक्त उद्यमों में तीन-चौथाई निजी नौकरियों को आरक्षित करने का आदेश दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कानून में कहा गया कि अगर कुशल स्थानीय लोग (skilled local candidate) उपलब्ध नहीं हैं तो कंपनियां राज्य सरकार के साथ मिलकर उन्हें प्रशिक्षित करेंगी और फिर उन्हें काम पर रखेंगी. कंपनियों को छूट थी कि अगर उन्हें स्पेशलाइज्ड मैनपावर की आवश्यकता होगी जो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं होगी तो उन्हें राज्य को इसकी सूचना देनी होगी. इसकी जांच की जाती. इस कानून को 2020 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसमें अदालत ने कहा था कि यह ‘असंवैधानिक हो सकता है’. हरियाणा- भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार 2020 में 30,000 रुपये से कम मासिक वेतन वाली निजी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत कोटा लेकर आई थी. इस विधेयक को मार्च 2021 में राज्यपाल की मंजूरी मिली और जनवरी 2022 में इसे लागू किया गया. यह कानून सभी कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों, सीमित देयता भागीदारी फर्मों, साझेदारी फर्मों पर लागू होता. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा अधिसूचित किसी भी इकाई के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग या किसी सर्विस के लिए वेतन, मजदूरी या अन्य पारिश्रमिक पर 10 या अधिक लोगों को रोजगार देने वाला कोई भी व्यक्ति भी इस अधिनियम के दायरे में आता. कानून में ‘हरियाणा राज्य में निवास करने वाले (domiciled in State of Haryana)’ उम्मीदवार को इसी काम के लिए तैयार ऑनलाइन पोर्टल पर खुद को रजिस्टर्ड करना होता जिसके जरिए भर्तियां करनी होती. अपवाद के लिए छूट थी. मगर उन अपवादों के लिए काफी लंबी प्रक्रिया होती. हमारी सहयोगी साइट फर्स्टपोस्ट ने इस बारे में जो रिपोर्ट छापी है उसके मुताबिक, इसका खूब विरोध इस आधार पर हुआ कि राज्य सरकार ‘भूमिपुत्रों’ की नीति के माध्यम से निजी क्षेत्र में आरक्षण देना चाहती है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी गई और दावा किया गया कि यह कानून हरियाणा में कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. हरियाणा सरकार ने तर्क दिया कि वह संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत इस तरह के आरक्षण बना सकती है. पिछले नवंबर में अदालत ने कोटा विधेयक को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य ‘इस तथ्य के आधार पर व्यक्तियों के साथ भेदभाव नहीं कर सकता कि वे किसी निश्चित राज्य से संबंधित नहीं हैं.’ इसके बाद मामला लेकर हरियाणा सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई. झारखंड- साल 2021 में झारखंड सरकार ने निजी क्षेत्र में 40,000 रुपये मासिक वेतन तक के पदों पर स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण संबंधी विधेयक पारित कर दिया था. झारखंड के इस विधेयक के अनुसार, प्रत्येक नियोक्ता ऐसे कर्मचारियों को जिनका ग्रॉस मंथली वेतन 40,000 रुपये से अधिक नहीं है, अधिनियम के लागू होने के तीन महीने के भीतर खास पोर्टल पर रजिस्टर करेगें. साथ ही, प्रत्येक एम्पलॉयर ऐसे पदों के संबंध में जहां वेतन या मजदूरी 40,000 रुपये से अधिक नहीं है, इस अधिनियम के नोटिफिकेशन की तारीख और उसके बाद कुल मौजूदा वैकेंसी में से 75 प्रतिशत को स्थानीय उम्मीदवारों द्वारा भरेगी. इस विधेयक को भी उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. कर्नाटक से जुड़ा पूरा मामला यहां से पढ़ सकते हैं- प्राइवेट नौकरी में 100% देना होगा रिजर्वेशन, कंपन‍ियों के व‍िरोध के बावजूद इस सरकार ने ल‍िया बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट का क्या है कहना… सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के आरक्षण देने की चाहत रखने वाले राज्यों के मामले में कहा कि वह हरियाणा, आंध्र प्रदेश और झारखंड में इस कोटे की वैधता तय करने के लिए तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस पर जवाब मांगा है ताकि इन मामलों पर एक साथ विचार किया जा सके. Tags: Bengaluru News, Gurugram news, Hyderabad News, India news, Ranchi news, Reservation newsFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 16:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed