कर्नाटक हिजाब केस: स्कूली छात्रा आलिया के वकील ने ऐसा क्या कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दी यह सलाह
कर्नाटक हिजाब केस: स्कूली छात्रा आलिया के वकील ने ऐसा क्या कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दी यह सलाह
कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को सुनवाई हुई. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. वकील आदित्य सोंधी ने कहा कि यह मामला भारत के लिए स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं के अधिकार से संबंधित था. उस संदर्भ में कोर्ट ने माना कि जो सहज और तटस्थ प्रतीत होता है, उसका अप्रत्यक्ष रूप से एक समूह के साथ भेदभाव करने का प्रभाव हो सकता है और यदि ऐसा है तो कोर्ट द्वारा इसका विरोध किया जाएगा.
नई दिल्ली: कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को सुनवाई हुई. जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. हिजाब के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करने वाले वकील आदित्य सोंधी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हिजाब पहनने वालों के साथ धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें पेश करते हुए उन्होंने डॉ. अंबेडकर से लेकर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र किया. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि हिजाब, जो एक जानी मानी परंपरा है मुस्लिम धर्म में, उसे कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले के आधार पर रद्द कर दिया.
हिजाब के पक्ष में आदित्य सोंधी ने क्या दलीलें दीं
वकील आदित्य सोंधी ने कहा कि यह मामला भारत के लिए स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं के अधिकार से संबंधित था. उस संदर्भ में कोर्ट ने माना कि जो सहज और तटस्थ प्रतीत होता है, उसका अप्रत्यक्ष रूप से एक समूह के साथ भेदभाव करने का प्रभाव हो सकता है और यदि ऐसा है तो कोर्ट द्वारा इसका विरोध किया जाएगा. सोंधी ने कहा कि मेरा एक साथी पीयूसीएल की रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखेगा, जो हिजाब का स्कूलों और कॉलेजों में भाग लेने वाली मुस्लिम लड़कियों पर प्रतिकूल प्रभाव दिखाती है. लॉ कॉलेज में मेरे ऐसी दोस्त हैं, जिन्होंने कभी हिजाब नहीं पहना. यह अंततः व्यक्तिगत पसंद का मामला है, लेकिन यहां हम उन छात्रों के साथ काम कर रहे हैं, जो शायद परिवार में पहले शिक्षार्थी हों. हमें सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखना होगा.
वकील सोंधी ने कोर्ट में एक कहानी सुनाई
वकील सोंधी ने एक कहानी सुनाई, जिसमें एक उथले कटोरे पर एक लोमड़ी और एक सारस को सूप परोसा जाता है. हालांकि उथला कटोरा तटस्थ प्रतीत होता है, लेकिन लंबी चोंच के कारण सारस सूप नहीं पी सकता. इसलिए प्रतीत होता है कि तटस्थ उपाय कुछ श्रेणियों पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. इतना ही नहीं, वकील सोंधी ने अमेरिका के फैसले का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य सरकार को राज्य के हित में काम करने के दौरान धार्मिक मामले में न्यायोचित दिखाना चाहिए.
हिजाब की वजह से मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव!
वकील सोंधी ने कहा कि अंतर-धार्मिक मतभेद हो सकते हैं, इसलिए तथ्य यह है कि कुछ लड़कियां न पहनने का विकल्प चुनती हैं, यह बात अलग है. वास्तव में कई लड़कियों को चुनाव करने के लिए मजबूर किया गया है और उन्हें शिक्षा से बाहर कर दिया गया है. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति को संदर्भित करता है कहता है कि यह समावेशी शिक्षा पर जोर देता है. उन्होंने सच्चर समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह निष्कर्ष निकाला गया कि हिजाब, बुर्का पहनने की प्रथा के कारण मुस्लिम महिलाओं को भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था.
अंबेडकर के कथन का भी वकील ने किया जिक्र
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए सोंधी ने कहा कि कुछ महिलाओं ने हिजाब पहनने के कारण कॉर्पोरेट कार्यालयों में भेदभाव का सामना करने की शिकायत की. कुछ महिलाओं ने बुर्का पहनने के कारण सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव की बात कही. सोंधी ने डॉ. अम्बेडकर के उस कथन का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि बिना रोजगार वाले व्यक्ति को कम नौकरियों और अधिकारों वाली नौकरी चुनने के लिए मजबूर किया जा सकता है. बेरोजगारों को मौलिक अधिकारों को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है.
जस्टिस सुधांशु ने पूछा- अंबेडकर का कथन यहां प्रासंगिक कैसे?
इसके बाद जस्टिस सुधांशु धूलिया ने वकील से पूछा कि आखिर डॉ. अम्बेडकर का उद्धरण यहां कैसे प्रासंगिक है? इस पर सोंधी ने जवाब दिया कि एक नागरिक पर दो अधिकारों में से किसी एक को चुनने का बोझ नहीं होना चाहिए. यही वह स्थिति है, जिसका सामना लड़कियां कर रही हैं. सोंधी ने नाइजीरिया के सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि स्कूलों में हिजाब पहनने की सलाह अवैध थी. इतना ही नहीं, सोंधी ने नाइजीरिया के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कुछ अंश पढ़ें, जिसमें कहा गया है कि कुरान की आयतों में कहा गया है कि महिला मुसलमानों को अपने सिर को ढंकना चाहिए.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: Karnataka, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 11:43 IST