हौसला छोड़ छूटने लगा सबका साथ तभी परमवीर ने लगाई दुश्मन के बंकर में छलांग फिर

Kargil war: अब तक राइफलमैन संजय कुमार के पैर में दो और पीठ में एक गोलियां धंस चुकी थीं. रात का इंतजार मौत को दावत देने जैसा हो गया था. इसी बीच, राइफलमैन संजय कुमार ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर दुश्‍मन की रुह तक कांप गई. मश्‍कोह वैली के फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 में क्‍या हुआ, जानने के लिए पढ़ें आगे...  

हौसला छोड़ छूटने लगा सबका साथ तभी परमवीर ने लगाई दुश्मन के बंकर में छलांग फिर
Kargil War: घुसपैठियों के भेष में जम्‍मू और कश्‍मीर की मश्‍कोह वैली तक पहुंच चुकी पाकिस्‍तानी सेना ने फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 पर अपने पैर जमा लिए थे. मश्‍कोह वैली के फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 पर दुश्‍मन न केवल अपने संगर बना चुका था, बल्कि नेशनल हाईवे वन को पूरी तरह से अपने निशाने पर ले लिया था. इस हरकत के पीछे दुश्‍मन का पहला नापाक मंसूबा था लेह-लद्दाख को अलग-थलग करना. इन नापाक इरादों की भनक लगते ही भारतीय सेना ने फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 पर बैठे दुश्‍मन को वहीं जमींदोज करने की ठान ली. इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्‍मेदारी 13 जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स को सौंपी गई. इस दौरान, फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 को फतेह करने के लिए जिस टीम का चयन किया गया, उसमें 13 जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स में बतौर राइफलमैन तैनात संजय कुमार भी शामिल थे. अपनी व्‍यूह रचना को आखिरी रूप देने के बाद 4 जुलाई 1999 को राइफलमैन संजय कुमार अपने 11 अन्‍य साथियों के साथ 15990 फीट की ऊंचाई पर स्थिति फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 पर भारतीय तिरंगा फहराने के लिए निकल पड़े. राइफलमैन संजय कुमार और उनके साथियों के लिए आसमान छूते फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 तक पहुंचना आसान नहीं था. दरअसल, जमीन से फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 तक की पूरी खड़ी चढ़ाई थी. साथ ही, रास्‍ते में लंबी दूरी तक ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसकी ओट लेकर भारतीय सैनिक आगे बढ़ सकें. इसके अलावा, पूरा रास्‍ता पर दुश्‍मन की मशीनगनों की सीधी जद में था. यहां पर यह कहना बिल्‍कुल गलत नहीं होगा कि भारतीय सेना की इस टीम का दुश्‍मन की तरफ बढ़ना मौत को सीधे तौर पर गले लगाने जैसा था. यह भी पढ़ें: कनाडा के सपनों के बीच आया ‘वियतनाम’, पल भर में खड़ी कर दी ऐसी मुसीबत, 22 साल के युवक की बर्बाद हो गई जिंदगी… अपना सपना सच करने के लिए करमिंदर रात-दिन इंटरनेट पर कनाडा जाने के तरीके खोजता रहता. इसी बीच, करमिंदर को इंटरनेट पर जगजीत सिंह उर्फ जग्‍गी नामक एक ऐसे शख्‍स का मोबाइल नंबर मिल गया. अब जगजीत के जाल में फंसकर करमिंदर की जिंदगी कैसे बर्बाद हुई, जानने के लिए क्लिक करें. बावजूद इसके, राइफलमैन संजय कुमार ने अपने साथियों के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया. भारतीय सैनिकों ने रात के अंधेरे में दबे पांव आगे बढ़ना शुरू किया. लंबी चढ़ाई के बाद अब दुश्‍मन से भारतीय सैनिकों की दूरी सिर्फ 150 मीटर ही बची थी. अब तक सबेरा हो चुका था और दुश्‍मन आंखे चौंड़ी कर भारतीय सेना की गतिविधियों को टटोलने लगा था. इसी बीच, अचानक दुश्‍मन की निगाह राइफलमैन संजय और उनके साथ‍ियों पर पड़ गई और उसने मशीनगन से लगभग गोलियों की बरसात शुरू कर दी. दुश्‍मन के इस हमले में राइफलमैन संजय कुमार के 11 साथियों में दो साथियों ने देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्‍च बलिदान दे दिया, जबकि अन्‍य आठ जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. इस बीच, राइफलमैन संजय कुमार की टांगों में दो गोली और पीठ पर एक गोली धंस चुकी थी. ऐसे में, अब रात का इंतजार करना अब भारतीय जांबाजों के लिए मौत को दावत देने जैसा ही था. इस बीच, राइफलमैन संजय कुमार ने एक कड़ा फैसला लिया और अपने एक साथी के साथ दुश्‍मन के संगर की तरफ आगे बढ़ गए. यह भी पढ़ें: खुलासा सुन सुरक्षा एजेंसियां भी रह गई दंग, पंजाब-यूपी के कई ठिकानों में हुई छापेमारी, अबतक 3 अरेस्‍ट… कनाडा बॉर्डर सर्विस एजेंसी के लाइजन ऑफिसर की तरफ से इशारा मिलते ही वियतनाम से डिपोर्ट किए गए यात्री को ब्‍यूरो ऑफ इमिग्रेशन के अफसरों ने हिरासत में ले लिया. इसके बाद, इस यात्री ने जो खुलासा किया, उसे सुनने के बाद तमाम अधिकारी दंग रह गए. क्‍या है पूरा मामला, जानने के लिए क्लिक करें. वह स्‍क्रोल करते हुए दुश्‍मन के संगर के बेहद करीब तक पहुंचने में सफल हो गए. संगर के करीब पहुंचने के बाद उनके साथी ने ग्रेनेड से पहला हमला किया. यह ग्रेनेड दुश्‍मन के संगर के अंदर गिरने की जगह बाहर ही गिर गया. जिससे दुश्‍मन का ध्‍यान उनकी तरफ चला गया. दुश्‍मन ने राइफलमैन संजय कुमार और उनके साथी को निशाना बनाकर गोली बरसाना शुरू कर दी. इस बीच, राइफलमैन संजय ने ग्रेनेड से दूसरा हमला किया और इस बार ग्रेनेड निशाने पर जा गिरा. ग्रेनेड फटते ही कई पाक सैनिकों के शरीर हवा में उड़ गए. वहीं ग्रेनेड फटने के बाद कुछ पलों के सन्‍नाटे में राइफलमैन संजय कुमार को एक और मौका मिल गया. इस बार उन्‍होंने दुश्‍मन के संगर पर लगी मशीनगन को बाहर खींच लिया और अपनी राइफल से संगर के अंदर मौजूद दुश्‍मन पर गोलियां बरसा दी. देखते ही देखते, भारतीय सेना के इस जांबाज ने दुश्‍मनों को उनके अंजाम तक पहुंचाकर फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 में भारतीय परचम लहरा दिया. राइफलमैन संजय कुमार की इस बहादुरी को देखते हुए उन्‍हें वीरता के लिए सर्वोच्‍च पुरस्‍कार परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया था. Tags: Indian army, Indian Army Heroes, Kargil war, Know your ArmyFIRST PUBLISHED : July 10, 2024, 13:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed