सफ़ेद सागर की भंवर में फंसी पाक सेना छटपटाहट में कोई कोशिश न आई काम

Kargil Vijay Diwas 2024: 25 मई 1999 को एयर स्‍ट्राइक की इजाजत मिलने के बाद भारतीय वायु सेना ने दुश्‍मन के तमाम रसद और सैन्‍य ठिकानों को तबाह कर दिया. इस ऑपरेशन को किस तरह अंजाम दिया गया, जानने के लिए पढ़ें आगे...

सफ़ेद सागर की भंवर में फंसी पाक सेना छटपटाहट में कोई कोशिश न आई काम
Kargil Vijay Diwas 2024: घुसपैठियों के भेष में आए पाकिस्‍तानी सेना के स्‍पेशल कमांडोज ने मश्‍कोह से लेकर बटालिक सेक्‍टर तक अपने पैर जमाने की कोशिश में लगे हुए थे. वहीं, 19 मई 1999 को काकसार में मौजूद इन घुसपैठियों की भनक लगने के बाद 4 जाट रेजिमेंट के कैप्‍टन सौरभ कालिया को पांच जवानों को उनकी खबर लेने के लिए भेजा गया था. लेकिन, घात लगाकर बैठे दुश्‍मन ने कैप्‍टन सौरभ कालिया सहित पांचों जवानों का अपहरण कर लिया. मानवीयता की सारी हदें पार करते हुए पाकिस्‍तानी सैनिकों ने सौरभ कालिया सहित सभी भारतीय जवानों की निमृम हत्‍या कर दी. इस वाकये के बाद, पीक पर मौजूद दुश्‍मन को यह अहसास हो चुका था कि उनका साजिश का पर्दाफाश हो चुका है, लिहाजा उसने पाकिस्‍तान में बैठे अपने आकाओं को इस पूरे वाकए की जानकारी दे दी. इसके बाद, पाकिस्‍तानी आर्टलरी ने भारतीय सैन्‍य ठिकानों पर सटीक गोलाबारी शुरू कर दी. इस बीच, तत्‍कालीन सेनाध्‍यक्ष वीपी मलिक विदेश दौरे से भारत वापस आ गए. यह भी पढ़ें: भारतीय सेना की तोलोलिंग में मना रही थी जीत का जश्‍न, अचानक… एक झटके में जाने वाली थी सबकी जान, लेकिन तभी… भारतीय जांबाजों ने तोलोलिंग की पीक पर तो सफलतापूर्वक कब्‍जा कर लिया था, लेकिन उनके लिए वहां एक नई मुसीबत इंतजार कर रही थी. इस मुसीबत के बीच एक जवान ने जैसे ही अपनी प्‍यास बुझाने के लिए बर्फ का गोला उठाया, तभी … क्‍या थी जवानों के सामने मुसीबत और बर्फ का गोला उठाने के बाद क्‍या हुआ… जानने के लिए क्लिक करें. 25 मई को तत्‍कालीन सेनाध्‍यक्ष वीपी मलिक ने वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एवाई टिपणिस से मुलाकात की. 26 मई को वायुसेनाध्‍यक्ष एवाई टिपणिस ने पूरे इलाके का हवाई दौरा किया और उसके बाद एयर स्‍ट्राइक की मंजूरी दे दी गई. 26 मई को ही वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर की शुरूआत कर दी. वायुसेना के जंगी जहाजों के श्रीनगर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद, जमीनी हमला करने के लिए मिग-27 की स्‍क्‍वाड्रन 9 ‘वुल्फ पैक’ को आदमपुर से रवाना कर दिया गया. अगले दिन बटालिक की मुंथोढालो की पहाडि़यों पर भारी संख्‍या में मौजूद दुश्‍मन, गोला बारूद और रसद भंडार पर हमला करने का फैसला किया गया. हमले की पहली जिम्‍मेदारी वुल्‍फ पैक को मिली थी. वहीं, आसमान में वुल्‍फ पैक के सुरक्षा की जिम्‍मेदारी श्रीनगर में तैनात स्क्वाड्रन 51 ‘स्वॉर्ड आर्म’ को सौंपी गई थी. वहीं हमले के बाद जायजा लेने की जिम्‍मेदारी बठिंडा में तैनात स्क्वाड्रन 17 ‘गोल्‍डन एरो’ के दो मिग-21 फाइटर प्‍लेन को दी गई थी. पुख्‍ता रणनीति के साथ भारतीय वायु सेना के जांबाज हमले के लिए तैयार थे. यह भी पढ़ें: 300 किमी की पीक्‍स पर किया कब्‍जा, इंटेलिजेंस एजेंसियों को नहीं लगने दी भनक, जानें पाक आर्मी कैसे कर पाई यह संभव… जब भी कारगिल युद्ध की बात होती है तो इंटेलिजेंस एजेंसीज की विफलता के आरोप एक बार फिर आ खड़े होते हैं. ऐसे में, सवाल यह है कि आखिर पाकिस्‍तानी सेना ने अपने प्‍लान को ऐसे कैसे एग्‍जिक्‍यूट किया कि दुनिया में किसी को खबर नहीं लगी. पाकिस्‍तानी का क्‍या था सीक्रेट प्‍लान, जानने के लिए क्लिक करें. रणनीति के तहत, सुबह करीब 10:30 बजे वुल्‍फ पैक में शामिल फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनुपम बनर्जी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए मोंडाकोट, फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता और फ्लाइट लेफ्टिनेंट बी खटाना अपने फाइटर जेट्स के साथ मुंथोढालो को तबाह करने के लिए उड़ गए थे. दुश्‍मन को चकमा देने के लिए वुल्‍फ पैक ने अपना रास्‍ता बदला और लंबा रास्‍ता लेते हुए लक्ष्‍य की तरफ बढ़ गए. सुबह करीब 11 बजे वुल्‍फ पैक ने मुंथोढालो पर मौजूद दुश्‍मन के ठिकानों पर बमों और रॉकेट्स से हमला बोल दिया. हमले के बाद फाइटर जेट श्रीनगर बेस की तरफ मुड़े ही थे, तभी फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता का जेट दुर्घटनाग्रस्त हो गया. मजबूरन फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को मजबूरन जेट से इजेक्‍ट होना पड़ा. वहीं, फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता के पेयर में चल रहे फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोंडोकोट ने उनको तलाशने की कोशिश की, लेकिन जेट का फ्यूल कम होने की वजह से उन्‍हें श्रीनगर बेस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी दौरान, ऑपरेशन का जायजा लेने के लिए निकले स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा और फ्लाइंग ऑफ़िसर रेड्डी को नचिकेता के जेट क्रैश होने की सूचना दी गई. यह भी पढ़ें: जब पाकिस्‍तान को लगा ‘मेघदूत’ का थप्‍पड़, हिम्‍मत जुटाने में लग गए 15 साल, फिर चली ‘बद्र’ की नाकाम चाल, नतीजा… आपरेशन मेघदूत में करारी हार झेलने के बाद बौखलाए पाकिस्‍तानी जनरल मिर्जा असलम वेग ने 1987 में कारगिल युद्ध की पृष्‍ठभूमि लिख दी थी. जनरल मिर्जा असलम वेग की लिखी इसी इबारत को परवेज मुशर्रफ ने 1999 में आपरेशन बद्र के तौर पर आगे बढ़ाया था. क्‍या है ऑपरेशन मेघदूत की कहानी, जानने के लिए क्लिक करें. इस सूचना के बाद मुंथोढालो पहुंचे इन दोनों जेट्स पर दुश्‍मन ने स्टिंगर मिसाइल से हमला कर दिया. मजबूरन स्क्वाड्रन लीडर आहुजा को जेट से इजेक्ट होना पड़ा. और जब उनका पैरासूट जमीन पर पहुंचा, तो उन्‍हें पता चला कि वह पाकिस्‍तान में हैं. पाकिस्‍तानी सेना ने उन्‍हें बंदी बना लिया. राज जानने के लिए उन्‍हें यातनाएं दी गई और आखिर में उनकी हत्‍या कर दी गई. हालांकि इस बीच फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को पाकिस्तानी सेना ने रिहा कर दिया और उन्‍हें 3 जून को वाघा बार्डर के रास्ते भारत लाया गया था. ऑपरेशन ‘सफ़ेद सागर’ के शुरूआत में मिली इन असफलताओं के बावजूद भारतीय वायु सेना ने हार नहीं मानी. बल्कि, कई गुना अधिक ताकत और जोश के साथ दुश्‍मन पर हमला बोल दिया. देखते ही देखते, द्रास, कारगिल और बटालिक की पीक्‍स पर मौजूद दुश्‍मन के ठिकानों को तहत नहस कर दिया गया. वहीं, भारतीय वायु सेना की इस कार्रवाई ने भारतीय थल सेना की कार्रवाई को भी बल मिल गया था. भारतीय सैन्‍य बलों के इसी हौसले का ही नतीजा था कि दुश्‍मन को महज दो महीनों में उल्‍टे पैर भागने पर मजबूत कर दिया था. Tags: Indian army, Indian Army Heroes, Indian Army Pride, Kargil day, Kargil war, Know your ArmyFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 15:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed