ऐसा भी होता है जीजा-साली का रिश्ता बड़ी बहन के सुहाग के लिए उठाया ऐसा कदम
ऐसा भी होता है जीजा-साली का रिश्ता बड़ी बहन के सुहाग के लिए उठाया ऐसा कदम
जीजा साली का रिश्ता हर रिश्ते से बढ़कर एक दोस्त की तरह होता है. हालांकि, समाज में घटिया सोच रखने वाले लोग इस रिश्ते को कई बार कलंकित करने की कोशिश की है. खैर आज की कहानी एक ऐसे जीजा-साली की है जिसको पढ़कर आपकी आंखें नम हो सकती हैं.
समाज में जीजा-साली के रिश्ते को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं. लेकिन, वास्तव में आज की कहानी आपकी आंख खोलने वाली है. जीजा-साली के पवित्र रिश्ते की इस कहानी को पढ़कर आपकी आंखें नम जाएंगी. आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि बेहद स्वार्थी हो चुकी इस दुनिया में क्या कोई इंसान किसी दूसरे के लिए इतना कर सकता है. आज तो इंसान अपने मां-बाप के लिए भी कुछ करने से पहले दस बार गुणा-भाग करता है वहीं एक युवा महिला ने अपनी बड़ी बहन के सुगाह को बचाने के लिए अपनी जिंदगी को जोखिम में डाल दिया.
यह कहानी है मुंबई की. एक महिला के पति लीवर सिरोसिस बीमारी से पीड़ित थे. उनको लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी. लेकिन, उनके और उनकी पत्नी दोनों ही परिवारों में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो उन्हें लीवर डोनेट कर सके. इस कारण उनकी जिंदगी में निराशा छा गई थी. फिर महिला की छोटी बहन सामने आई. उससे अपनी बड़ी बहन का उजड़ता सुगाह देखा नहीं गया. लेकिन, यह बात यहीं नहीं थमी. छोटी बहन खुद कई तरह की परेशानियों से जूझ रही थी. उनका वजन इतना अधिक था कि वह लीवर डोनेट नहीं कर पातीं. यह सब देख पूरे परिवार पर एक बार फिर दुखों का पहाड़ टूट गया.
दांव पर लगाई जिंदगी
फिर छोटी बहन, जिनका नाम नम्रात जाधव है, ने बड़ी बहन की खुशी के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया. 30 वर्षीय नम्रता ने पहले अपना वजन कम करने का फैसला किया. उनका वजन 100 किलो था. नम्रता पनवेल के एक अस्पताल में अकाउंटेंट के रूप में काम करती है. उन्होंने अपना वजन कम करने के लिए ‘वेट लॉस सर्जरी’ करवाई. इससे उन्होंने अपना 35 किलो वजन कम किया. आमतौर पर ‘वेट लॉस सर्जरी’ करवाना एक जोखिम भरा काम है. इसके बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट भी होते हैं. इस तरह नम्रता को अपना वजन कम करने में करीब नौ महीने का समय लग गया. फिर नम्रता स्वस्थ हो गईं और वह लीवर डोनेट करने लायक हो गईं.
नानावटी हॉस्पिटल में हुआ ईलाज
इसके बाद नौ अप्रैल को जुहू के नानावटी हॉस्पिटल में लीवर ट्रांसप्लान किया गया. ऑपरेशन के पांचवे दिन नम्रता और 10वें दिन उनके जीजा को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. अब दोनों स्वस्थ हैं.
लीवर ट्रांसप्लांट करने वाले सर्जन डॉ. अनुराग श्रीमल का कहना है कि अपने देश में यह अपने तरह का पहला मामला है. इससे पहले संभवतः कभी भी लीवर ट्रांसप्लांट से पहले किसी डोनर का बैरिएट्रिक सर्जरी नहीं हुई है. इस बैरिएट्रिक सर्जरी में कई तरह की परेशानी आती है. इसमें इंसान के पाचन सिस्टम में बदलाव किया जाता है. उसकी बॉडी में फैट ऑबजर्ब करने क्षमता जैसे कई मेटाबोलिक बदलाव भी किए जाते हैं.
मिसाल बनी नम्रता
अपनी बहन के सुहाग के लिए नम्रता के इस त्याग की मिसाल दी जानी चाहिए. नम्रता खुद कई परेशानियों से जूझ रही थीं. उनका वजन बहुत ज्यादा होने के साथ उनको फैटी लीवर, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम था. उनका बॉडी मास इंडेक्स 42.7kg/m स्वायर था, जो बहुत खराब स्थिति है. लेकिन, उन्होंने पहले खुद को स्वस्थ बनाया और फिर अपने जीजा की जिंदगी बचाई.
Tags: Inspiring story, Latest Medical newsFIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 12:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed