UP की इस मीनार में एक साथ नहीं जा सकते भाई-बहन कहानी जानकर रह जाएंगे भौचक्के
UP की इस मीनार में एक साथ नहीं जा सकते भाई-बहन कहानी जानकर रह जाएंगे भौचक्के
Rakshabandhan 2024: लंका मीनार के निर्माण की कहानी बड़ी दिलचस्प है. दिल्ली की कुतुबमीनार के बाद यह देश की सबसे ऊंची मीनार मानी जाती है. मान्यता है कि इस मीनार में एक साथ भाई-बहन नहीं जाते हैं.
जालौन. यूपी के बुंदेलखंड के जालौन में ‘लंका मीनार’ रावण को समर्पित है. कहा जाता है कि दिल्ली के कुतुबमीनार के बाद यही सबसे ऊंची मीनार है. इसका निर्माण कराने वाला शख्स रामलीला में रावण की भूमिका निभाता था. उसे रावण से इतना लगाव था कि उसने लंका नाम से ही मीनार का निर्माण कराया. भारत कई संस्कृतियों और परंपराओं का देश है. यहां का समाज सदियों से चले आ रहे हैं, रीती-रिवाजों का प्लान करता है. इसके अलावा यहां कई अजीबों-गरीब मान्यताओं का भी खूब चलन है, जिनके बारे में जानकार हर कोई हैरान रह जाता है. भारत की एक ऐसी ही मान्यता है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जो एक मीनार से जुड़ी हई है. ऐसा कहा जाता है कि इस मीनार पर भाई-बहन एक साथ चढ़कर ऊपर जा नहीं जा सकते. चलिए इस कहानी के बारे में अच्छे से जानते हैं.
इस मीनार की अजीब मान्यता रावण को समर्पित है. उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में बुंदेलखंड के प्रवेश द्वार कालपी में स्थित इस मीनार के अंदर रावण के पूरे परिवार के चित्र बनाए गए हैं. वैसे मीनार ज्यादा बड़ी नहीं है, लेकिन अपनी अजीब मान्यता की वजह से ये जगह एक टूरिस्ट स्पॉट में बदल चुकी है. इस स्थान का अनुभव लेने के लिए लोग यहां दूर-दूर से आते हैं. हालांकि ये वहीं कालपी जहां के वेदव्यास ने रामायण ग्रन्थ लिखा है.
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लंका मीनार के निर्माण की कहानी बड़ी दिलचस्प है
जानकारी के अनुसार, यह मीनार 1857 में, मथुरा प्रसाद नामक एक व्यक्ति द्वारा बनवाई गई थी. मथुरा प्रसाद ने रावण की याद में इस मीनार का निर्माण करवाया था. इसलिए, इसका नाम ‘लंका मीनार’ रखा गया. मथुरा प्रसाद एक कलाकर के रूप में ज्यादातर रावण का किरदार करते थे. ऐसा कहा जाता है कि रावण की भूमिका ने उनपर इतनी बड़ी छाप छोड़ी कि उन्होंने रावण की याद में एक मीनार बनवा डाला. लंका मीनार को बनाने में 20 साल का समय लगा था. टॉवर की ऊंचाई 210 फीट है. इस मीनार को बनाने में उस समय लगभग 2 लाख रूपए का खर्चा आया था. यहां कुंभकरण और मेघनाथ की बड़ी मूर्तियां भी स्थापित की गई है.
कुंभकरण की मूर्ती 100 फीट ऊंची है, तो वहीं मेघनाथ की मूर्ती 65 फीट है. यहां आप भगवान शिव के साथ-साथ चित्रगुप्त की मूर्ति को भी देख सकते हैं. यहां 180 फीट लंबी नाग देवता की भी मूर्ती को स्थापित किया गया है. रावण भगवान शिव का भक्त था मंदिर होने की यह भी एक वजह हो सकती है. लंका मीनार को लेकर एक अजीब मान्यता ये भी है कि यहां मीनार में भाई-बहन एक साथ ऊपर नहीं जा सकते हैं. असल में, मीनार के ऊपर जाने के लिए 7 परिक्रमाओं को पूरा करना पड़ता है, जिसे भाई-बहन द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता. यही कारण है कि मीनार के ऊपर एक साथ भाई-बहनों का जाना मना है. इस मान्यता को आप कुछ भी कह लें, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा इसका पालन सालों से किया जा रहा है.
Tags: Jhansi news, UP newsFIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 15:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed