कश्मीर में विकास की बयार जहां कभी चलते थे पत्थर वहां सजेगा बाजार पर्यटकों को मिलेगा प्राचीन शहर का अनुभव
कश्मीर में विकास की बयार जहां कभी चलते थे पत्थर वहां सजेगा बाजार पर्यटकों को मिलेगा प्राचीन शहर का अनुभव
जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर का डाउनटाउन इलाका कभी विरोध-प्रदर्शनों, पथराव और आतंकी गतिविधियों के गढ़ के रूप में बदनाम था. इस कारण यह इलाका बीते कई वर्षों से विकास के मामले में भी उपेक्षित था. हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन अब इस प्राचीन इलाके में अधिक से अधिक पर्यटकों को खींचने के मकसद यहां के पुराने बाजारों का रंग-रोगन करके इसकी पुराने रौनक को लौटाने पर काम कर रहा है.
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर प्रशासन श्रीनगर डाउनटाउन या शहर-ए-खास के ज़ैना कदल और महाराज गंज जैसी विरासत बाजारों के प्राचीन रूप और सौंदर्य-वैभव को वापस लाने की योजना पर काम कर रहा है, जिससे कि यहां अधिक से अधिक पर्यटकों को खींचा जा सके.
up24x7news.com के पास इस प्रोजेक्ट के ब्लूप्रिंट वाला एक दस्तावेज़ है, जो अगले साल के शुरुआती चार महीनों में पूरा हो जाएगा. यह परियोजना ‘लंदन आई’ की तर्ज पर डल झील के बीच स्थित एक द्वीप पर एक विशाल फेरिस व्हील स्थापित करने की हालिया योजना के बाद शुरू की गई.
आतंकी गतिविधियों के गढ़ के रूप में बदनाम थी जगह
up24x7news.com के मिले इस दस्तावेज में कहा गया है, कभी विरोध-प्रदर्शनों, पथराव और आतंकी गतिविधियों के गढ़ के रूप में बदनाम रहा यह इलाका बीते कई वर्षों से विकास के मामले में उपेक्षित रहा था. ऐसे में यह नई परियोजना इस इलाके के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. डाउनटाउन में ज़ैना कदल और महाराज गंज के आसपास के बाज़ार कुछ खास किस्म की सूखी सब्जियों, सूखी मछली के अलावा विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटियों के लिए मशहूर हैं. महाराज गंज पहले इस शहर का केंद्र हुआ था, एक ऐसी जगह जहां थोक व्यापारी अपना कारोबार करते और आसपास की मंदिरों में तीर्थयात्रियों का जमावड़ा लगा रहता था. हालांकि अब यहां प्रसिद्ध तांबे के बर्तन और मसाले बेचने वाली दुकानें आसानी से नहीं दिखतीं और पर्यटकों के लिए इन तक पहुंच पाना लगभग नामुमिक सा हो गया था. यहां न तो बुनियादी ढांचे और न ही सार्वजनिक सुविधाएं ठीक थीं. इसके अलावा जीर्ण-शीर्ण इमारतों और पार्किंग की जगह की अनुपलब्धता भी इस इलाके से पर्यटकों की दूरी की बड़ी वजह थी.
डाउनटाउन की सड़कों और इसकी साज-सज्जा में सुधार का जिक्र करते हुए इस दस्तावेज में बताया गया है, ‘श्रीनगर के इस ऐतिहासिक इलाके के अग्रभाग के सुधार में एक बहु-आयामी दृष्टिकोण होगा, जिसमें विभिन्न हितधारकों और समुदाय के सदस्यों को इस प्रक्रिया में एक साथ काम करने के लिए शामिल किया जाएगा. ये परियोजना बीते वर्षों के दौरान हुए बेतरतीब निर्माण कार्य और तोड़फोड़ के कारण इलाके की बिगड़ी सूरत को सवारने का काम करेगा.’
श्रीनगर का मौजूदा प्राचीन केंद्र शहर-ए-ख़ास झेलम नदी के दाहिने किनारे से शुरू होता है. यह क्षेत्र पुराने शहर के मंदिरों और मस्जिदों को देखने आने वाले पर्यटकों के लिए ‘जरूरी’ गंतव्य के रूप में अपना महत्व रखता है. यह काफी घनी आबादी वाला इलाका है, जहां कई इमारतें तो चौदहवीं शताब्दी की बनी हुई हैं.
रंग रूप बदलने की बड़ी योजना
प्रशासन यहां फुटपाथ, सड़क, साइनेज, स्ट्रीट फर्नीचर, स्ट्रीट लाइट, शहरी कलाकृतियां आदि लगाने पर काम कर रहा है, जिससे कि डाउनटाउन इलाके का रूप सुधर जाए.
न्यूज़ 18 को मिले इस दस्तावेज़ में कहा गया है, ‘स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने और इस प्रकार क्षेत्र को सक्रिय करने के लिए शिल्प ट्रेल्स, हेरिटेज ट्रेल्स, रिवरफ्रंट ट्रेल्स को लागू किया जाएगा. एसआर गंज बाजार और बादशाह दुमठ के किनारे की मुख्य गलियों का रंग-रोगन किया जाएगा, कियोस्क और अन्य सॉफ्ट कॉमर्स सुविधाओं तथा लाइटें लगाकर इसे नया रूप दिया जाएगा.’
इस दस्तावेज़ के अनुसार, इस परियोजना के पीछे का बड़ा मकसद ‘झेलम नदी के साथ (पुराने श्रीनगर) शहर के खोए हुए कनेक्शन को फिर से हासिल करने में मदद करना’ है और इसके लिए स्ट्रीट फ़िनिश, स्ट्रीट फ़र्नीचर, कियोस्क, लाइटिंग और साइनबोर्ड के जरिये एक संपूर्ण शहर का रूप दिया जाएगा.
दस्तावेज़ में परियोजना के स्वरूप का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘अग्रभाग की सफाई, बिजली के तारों के मकड़जाल को ठीक करना, रोशनी की व्यवस्था जैसे छोटे-मोटे काम से ही इस जगह की पुरानी रौनक लौटाई जा सकती है.’
इसके साथ ही यहां की दुकानों के दरवाजे लोहे की शटर की जगह लकड़ी के बनवाए जाएंगे तथा इन दुकानों के बोर्ड के लिए भी एक निश्चित आकार-प्रचार तय किया जाएगा, जिससे कि यहां आने वाले पर्यटकों को प्राचीन शहर का मनोरम अनुभव मिल सके.
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Tags: Jammu kashmir, Srinagar NewsFIRST PUBLISHED : December 06, 2022, 19:34 IST