जयशंकर का पहला दौरा बहुत है खास क्या चीन को लगेगी मिर्ची
जयशंकर का पहला दौरा बहुत है खास क्या चीन को लगेगी मिर्ची
अमेरिकी नेता नेंसी पेलोसी के भारत दौरे से चीन चिढ़ा हुआ है. इसी बीच खबर आ रही है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने पहले विदेश दौरे पर श्रीलंका के दौरे पर जा रहे हैं. बीते कई वर्षों से चीन श्रीलंका में अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा है. उस लिहाज से यह दौरा काफी अहम है.
नई दिल्ली, अमेरिकी कांग्रेस की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी के धर्मशाला पहुंचने और तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा से मुलाकात करने से चीन बुरी तरह बिलबिला गया है. उसने अमेरिका को चेतावनी तक दे डाली है. इसी बीच खबर आ रही है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने पहले दौरे पर श्रीलंका जा रहे हैं. उनका यह दौरा बेहद खास है, क्योंकि चीन दशकों से श्रीलंका में अपना जाल बिछा रहा है, ताकि वह भारत को घेर सके. लेकिन अब तक भारत की कोशिशों की वजह से वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया है.
लगातार दूसरी बार विदेश मंत्री बनने के बाद जयशंकर का यह पहला द्विपक्षीय विदेश दौरा होगा. विदेश मंत्रालय ने कहा, यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ के तहत हो रहा है. यह श्रीलंका के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, क्योंकि श्रीलंका भारत का सबसे ‘‘निकटतम’’ पड़ोसी देश है. इतना ही नहीं, यह समय की हर कसौटी पर खरा उतरने वाला दोस्त है. विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि जयशंकर की यात्रा से दोनों देशों के बीच संपर्क परियोजनाओं एवं अन्य क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग को गति मिलेगी.
‘व्यापक मुद्दों’ पर बातचीत करेंगे
इससे पहले जयशंकर पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री के साथ इटली गए थे. जहां अपुलिया में G-7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने हिस्सा लिया था. 11 जून को विदेश मंत्री का पदभार संभालने के बाद जयशंकर की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय ने कहा, विदेश मंत्री इस दौरान श्रीलंका के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे और उनसे ‘व्यापक मुद्दों’ पर बातचीत करेंगे.
दौरा अहम क्यों विदेश मंत्री के दौरे का महत्व आप इस तरह समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण कर रहे थे, तो जिन सात देशों के शीर्ष नेताओं को आमंत्रित किया था, उसमें श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी थे. कोरोना महामारी के बाद जब श्रीलंका भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहा था. उसके पास कर्ज चुकाने और घरेलू खर्च तक के लिए पैसे नहीं बचे थे, तब भारत ने काफी मदद की थी. उस वक्त चीन समेत ज्यादातर देश श्रीलंका की मदद के लिए आगे नहीं आए थे. भारत और श्रीलंका के बीच संबंध आसाधारण रूप से काफी मजबूत हैं. दोनों देशों के बीच रिश्ते सदियों पुराने रहे हैं. एक भरोसेमंदर साझीदार के रूप में श्रीलंका हमेशा भारत के साथ खड़ा नजर आता है. भले ही हालात किसी भी तरह के हों. हालांकि, बीते कुछ वर्षों से चीन श्रीलंका में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है. वहां अरबों डॉलर का निवेश कर रखा है. हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी और वहां के मूलभूत ढांचे की अहम परियोजनाओं में चीन की भागीदारी ने भारत के लिए चिंताएं बढ़ाई हैं. चीन के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए भारत के लिए श्रीलंका के साथ अपने रिश्ते को बचाए रखना काफी अहम हो गया है. इसीलिए भारत हर कदम पर श्रीलंका की मदद के लिए तैयार दिखता है.
Tags: EAM S Jaishankar, Sri lankaFIRST PUBLISHED : June 19, 2024, 16:29 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed