उचित देखरेख के अभाव में बदहाल देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास कब बदलेगी सूरत

भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास मूलभूत सुविधाओं से उपेक्षित है. राजनीतिक और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इसकी स्थिति दयनीय होती जा रही है. शासन और प्रशासन के द्वारा पैतृक आवास को संरक्षित रखने को लेकर कई वर्षों से आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन इस दिशा में गंभीरता से कोई प्रयास नहीं हो रहा है

उचित देखरेख के अभाव में बदहाल देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास कब बदलेगी सूरत
रिपोर्ट: अंकित कुमार सीवान. बिहार के सीवान से महज 15 किलोमीटर दूर जीरादेई में भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद का पैतृक गांव स्थित है. इसको देखने और यहां भ्रमण करने के लिए दूर-दराज से लोग यहां प्रतिदिन आते हैं. मगर आजादी के 75 वर्षों के बाद भी राजेंद्र प्रसाद का पैतृक आवास मूलभूत सुविधाओं से उपेक्षित है. राजनीतिक और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण देश के प्रथम राष्ट्रपति के आवास की स्थिति दयनीय होती जा रही है. शासन और प्रशासन के द्वारा पैतृक आवास को संरक्षित रखने को लेकर कई वर्षों से आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन इस दिशा में गंभीरता से कोई प्रयास नहीं हो रहा है. रख-रखाव के अभाव में भवन की हालत जर्जर होता जा रही है. राजेंद्र बाबू के देहांत के 59 वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस स्थानीय निवासी 65 वर्षीय रामेश्वर सिंह बताते हैं कि महान शिक्षाविद्, कुशल प्रशासक और देश के पहले राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्वतंत्रता आंदोलन के समय जीरादेई में महात्मा गांधी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण सरीखे कई नेताओं की अगवानी करने का श्रेय प्राप्त है. 28 फरवरी, 1963 को राजेन्द्र बाबू का निधन हो गया. उनके देहांत के 59 वर्षों बाद भी इस भवन की स्थिति जस की तस बनी हुई है. स्थानीय लोग उनके पैतृक आवास और गांव को पर्यटन स्थल बनाने की मांग विगत कई वर्षों से कर रहे हैं. लेकिन इसे पर्यटक स्थल घोषित नहीं किया गया है. देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पैतृक आवास को देखने के लिए दिल्ली, मुंबई सहित विदेशों से भी लोग यहां आते हैं. हालांकि मूलभूत सुविधाओं के वजह से पर्यटकों को परेशानी होती है. पैतृक आवास के रख-रखाव व संरक्षित रखने की ASI की जिम्मेदारी स्थानीय इतिहासकार कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि राजेंद्र बाबू के पैतृक आवास के रख-रखाव व इसके संरक्षण की जिम्मेवारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई की है. एएसआई के नियमों के अनुसार पैतृक आवास के 200 मीटर परिधि के अंतर्गत कोई भी नवनिर्माण कार्य नहीं हो सकता. ऐसा करने वाले पर कानूनी कार्रवाई होगी, लेकिन इसके बावजूद भी 200 मीटर परिधि में कई मकानें बनी हुई हैं. पैतृक आवास का रख-रखाव बेहतर नहीं होने से यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. कई जगहों पर दीवारें टूट-फूट चुकी हैं. पर्यटक मंटू ओझा ने बताया कि पैतृक आवास पर पेयजल, लाइट और शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. दूर-दराज से आने वाले पर्यटक मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यत्र-तत्र स्थानों पर भटकते हैं. रख-रखाव और मरम्मत की व्यवस्था को लेकर भेजी गई रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व विभाग के स्टाफ और पैतृक आवास के केयरटेकर भानु प्रताप सिंह ने बताया कि मूलभूत सुविधाओं और भवन के रख-रखाव व मरम्मत की व्यवस्था को लेकर लिखित रिपोर्ट विभाग को भेजा गया है. विभाग के द्वारा इस पर आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही समस्याओं का समाधान किया जाएगा और उनको संरक्षित किया जाएगा. इसके लिए इंस्ट्रूमेंट बना लिया गया है. बजट मिलते ही हर पहलू पर काम होगा. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Archaeological Survey of India, Bihar News in hindi, Siwan newsFIRST PUBLISHED : September 11, 2022, 21:01 IST