साल में 2 बार जुड़वां बच्चों को जन्म देती है ये बकरीमांस-दूध के लिए है बेस्ट

इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि सिरोही नस्ल की बकरी वर्ष में दो बार जुड़वा बच्चों को जन्म देने के लिए जानी जाती है. यह बकरी एक से दो लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन देती है. अधिकांश तौर पर यह बकरियां 12 से 15 महीने की उम्र में प्रजनन योग्य हो जाती हैं.

साल में 2 बार जुड़वां बच्चों को जन्म देती है ये बकरीमांस-दूध के लिए है बेस्ट
रायबरेली. हमारे देश की 80% आबादी खेती पर ही निर्भर है. लोग खेती के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए पशुपालन का काम भी कर रहे हैं. इन दिनों किसान बकरी, मुर्गी, सूअर पालन के साथ ही गाय, भैंस का पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. पशु पालन धीरे-धीरे ग्रामीण भारत के साथ ही शहरी क्षेत्रों में बिजनेस का रूप ले रहा है.अब किसानों के अलावा पढ़े-लिखे युवा भी गाय, भैंस, बकरी पालन में रुचि ले रहे हैं. देश में आपको हजारों की संख्या में पढ़े-लिखे युवा मिल जाएंगे, जो अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर गाय, भैंस, बकरी पालन का रुख कर रहे हैं. बकरी पालन का कारोबार ग्रामीण स्तर से लेकर शहरी क्षेत्र के लोगों का प्रमुख व्यवसाय बनता जा रहा है. क्योंकि बकरी पालन करके पशुपालक दोहरा मुनाफा कमा रहे हैं. आपको बताते चलें कि बकरियों का इस्तेमाल दूध और मांस दोनों के लिए किया जाता है. इसीलिए बाजारों में बकरी की मांग बढ़ती जा रही है.इसे देखते हुए लोग बकरी पालन का काम बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. परंतु लोगों को सही नस्ल के बारे में जानकारी न होने के कारण उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इसीलिए आज हम उन्हें बकरी की उन्नत नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसका पालन करके किस काम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. किसी भी वातावरण में में पालन संभव रायबरेली जिले के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत वर्मा (एमवीएससी वेटरिनरी) बताते हैं कि सिरोही नस्ल मुख्य तौर पर राजस्थान में पाई जाती हैं. इसकी उत्पत्ति सिरोही जिले से ही हुई है. इसलिए इसका नाम भी सिरोही पड़ गया है. परंतु अब देश के अन्य राज्यों के लोग भी इस बकरी का पालन कर रहे हैं. यह बकरी अपनी कई खूबियों के लिए जानी जाती है. जिसमें प्रमुख रूप से इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. साथ ही यह बकरी किसी भी वातावरण में रह लेती है . सिरोही नस्ल की बकरी की पहचान इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि सिरोही नस्ल की बकरी का रंग गहरा भूरा होता है. इस पर सफेद-भूरे रंग के निशान होते हैं. इसकी कद-काठी मजबूत होती है. इन बकरियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है. सिरोही नस्ल का एक बकरा औसतन करीब 50-60 किलोग्राम और बकरी करीब 30 से 40 किलोग्राम वजनी होती है. सिरोही नस्ल की बकरी वर्ष में दो बार जुड़वा बच्चों को जन्म देने के लिए जानी जाती है. यह बकरी एक से दो लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन देती है. अधिकांश तौर पर यह बकरियां 12 से 15 महीने की उम्र में प्रजनन योग्य हो जाती हैं. सिरोही नस्ल की बकरी की खासियत इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि सिरोही नस्ल की बकरी अपने उच्च गुणवत्ता युक्त मांस एवं औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है. यही वजह है कि बाजारों में इसकी खूब डिमांड रहती है. इसीलिए सिरोही नस्ल की बकरी को ATM कहा जाता है .क्योंकि बाजारों में इसका मांस 600 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम तक मिलता है. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 15:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed