एक बीघा से 60 हजार की कमाईइस फसल ने बदल दी इस महिला की किस्मत

खेती-बाड़ी में कुछ अलग करने की सोच आपको संपन्न किसान बना सकती है. फर्रुखाबाद की निवासी यह प्रगतिशील महिला किसान निशा की कहानी ऐसी है. आज यह अपने खेतों में तोरई की फसल को कम लागत में उगाकर कर रही हैं तगड़ी कमाई.

एक बीघा से 60 हजार की कमाईइस फसल ने बदल दी इस महिला की किस्मत
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: बदलते परिवेश के साथ अब जिले की महिलाएं घर की जिम्मेदारियां संभालने के साथ ही पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रोजगार और खेती किसानी में भी सफल हो रही है. ऐसे समय पर जिले के याकूतगंज निवासी प्रगतिशील महिला किसान निशा देवी भी इस समय अपने खेतों में नकदी वाली तुरई की फसल लगा कर लाभ कमा रही हैं. फर्रुखाबाद के किसान खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. अब किसान पारंपरिक खेती के अलावा नकदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. जिसके कारण कमाई के रास्ते भी खुल गए हैं ऐसे समय पर यहां के किसान अब इस खेती के जरिए मोटी कमाई भी कर रहे हैं.अपने खेतों में उगा रहे हैं तोरई की फसल. जिससे उनको हो रही है अच्छी खासी कमाई वह भी कम लागत में. प्रति बीघा दो हजार रुपए की लागत आती है. वहीं तोरई की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि वह लगातार कई दशकों से ये फसल करते आ रहे हैं इससे उन्हें कभी भी नुकसान नहीं बल्कि लाखों रुपए का फायदा ही हुआ है. प्रगतिशील महिला किसान निशा ने बताया कि वह बचपन से ही खेती किसानी वाले मध्यम परिवार से है. वहीं वह अब भी खेती करती आ रही हैं. जिससे उन्हें होती हैं तगड़ी कमाई, वहीं उनका यहां तक कहना है कि इस फसल से उन्हें आज तक नुकसान नहीं हुआ. बल्कि लागत से आठ गुना अधिक मुनाफा हो जाता है. वहीं आमतौर पर प्रति बीघा दो से तीन हजार रुपये की लागत आती है. वहीं एक बार फसल तैयार होने के बाद पहले करते हैं तोरई की बिक्री.  इसके बाद निकलने वाले पौधों की होती है जैविक खाद तैयार. तोरई की है बाजार में तगड़ी डिमांड निशा किसान ने बताया कि जब दस वर्षों से लगातार खेती करती आ रही है. वहीं जिस प्रकार उनके पर खेती के लिए थोड़ी सी ही भूमि है. ऐसे समय पर वह उसी भूमि में मिश्रित खेती करती हैं. जिससे उन्हें  एक बीघा में पचास से साठ हजार रुपये का मुनाफा हो जाता है. वहीं तोरई की फसल को उगाने में लगभग दो हजार रुपए की लागत आ रही है. लेकिन एक बार जब खेत से तोरई निकलना शुरू होती हैं तो फिर मंडी में डिमांड बढ़ जाती हैं. ऐसे समय पर उनकी तोरई मंडी में हाथों हाथ ही बिक्री हो रही है. क्या है खेती का तरीका महिला किसान ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाकर पहले से तैयार की गई तोरई के पौधों को प्रति एक मीटर पर दो पौधों को रोप देते हैं. समय से इसमें सिंचाई करते हैं. इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं तो इनको तोरई निकलती हैं जिसे मंडी में बिक्री कर देते हैं. इसके बाद जब पौधों से निकल जाती हैं. तो इसके पौधे को खेत में ही हरी खाद के रूप के प्रयोग कर लेती हैं. Tags: Agriculture, Farmer, Local18FIRST PUBLISHED : May 9, 2024, 10:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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