Opinion: स्वदेशी INS विक्रांत के जरिए मोदी सरकार ने दुनिया को भारत की ताकत दिखाई
Opinion: स्वदेशी INS विक्रांत के जरिए मोदी सरकार ने दुनिया को भारत की ताकत दिखाई
DRDO ने INS विक्रांत के लिए खास स्टील का विकास किया और सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने इसे फौलादी बनाने के लिए खास मेहनत की है. कंपनी ने इसके लिए 30 हजार टन डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है.
भारत के लिए आज का दिन स्वर्णिम है. आज भारत में बने पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत का जलावतरण होने के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया को अपनी ताकत का एक और शानदार उदाहरण पेश किया है. INS विक्रांत भारत के रक्षा क्षेत्र में महाशक्ति बनने और स्वदेशीकरण को और मजबूती मिलने का जीवंत उदाहरण है. INS विक्रांत से न सिर्फ भारतीय उद्योगों बल्कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण कार्यक्रम को भी विश्व भर में एक पहचान मिली है. कोचीन में INS विक्रांत के जलावतरण समारोह को संबोधित कहते हुए पीएम मोदी ने इस बारे में एक अहम बयान में कहा कि आत्मनिर्भरता और आजादी एक दूसरे के पूरक हैं. जो देश जितना अधिक दूसरों पर निर्भर है, उतना ही उसके लिए संकट है. जो देश जितना अधिक आत्मनिर्भर है, वो उतना अधिक सशक्त है. भारत आत्मनिर्भर होने के लिए पूरी ताकत से काम कर रहा है.
मेड इन इंडिया और डिजाइन इन इंडिया का प्रतीक है INS विक्रांत
INS विक्रांत को बनाने में 70 प्रतिशत देश में बने सामान का प्रयोग किया गया. रक्षा साजो-सामान के निर्माण में बड़े स्तर पर भारतीय उद्योगों को वरीयता देने की मोदी सरकार की नीति के अनुरूप INS विक्रांत के निर्माण में भारतीय उद्योग और MSME ने बड़ी भूमिका निभाई है. इसके निर्माण में प्रमुख इंडस्ट्रियल हाउस जैसे BEL, BHEL, GRSE, केल्ट्रॉन, किर्लोस्कर, L&T, वार्टसिला इंडिया आदि के साथ-साथ 100 से अधिक MSME शामिल हुए. INS विक्रांत के निर्माण से ना सिर्फ रक्षा उपकरणों के निर्माण बल्कि बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा हुए. इसमें 2 हजार सीएसएल कर्मचारियों और सहायक उद्योगों में लगभग 13000 कर्मचारियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं और इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है. स्वदेशी विमान वाहक के निर्माण के लिए नौसेना, डीआरडीओ और सेल के बीच साझेदारी के माध्यम से स्वदेशी युद्धपोत ग्रेड स्टील का विकास और उत्पादन किया गया. जिसने देश को युद्धपोत स्टील के मामले में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाया है.
DRDO और सेल के स्पेशल स्टील ने बनाया INS विक्रांत को फौलादी
DRDO ने INS विक्रांत के लिए खास स्टील का विकास किया और सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने इसे फौलादी बनाने के लिए खास मेहनत की है. कंपनी ने इसके लिए 30 हजार टन डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की आपूर्ति की है.
मोदी सरकार ने रक्षा साजो सामान के क्षेत्र में मेक इन इंडिया नीति पर अहम काम किया.
साल 2014 में पीएम मोदी ने कार्यभार संभालने के बाद से भी रक्षा साजो सामान के क्षेत्र में मेक इन इंडिया की नीति पर अहम रूप से काम करना शुरू किया. मोदी सरकार की इस नीति के तीन मुख्य केंद्र बिंदु थे. पहला देश में रक्षा साजो सामान में स्वदेशीकरण कर विदेश पर निर्भरता को धीरे-धीरे कम करना. दूसरा स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देकर रक्षा बाजार में भारत की भागीदारी बढ़ाना और तीसरा स्वदेशीकरण से बड़े पैमाने पर देश में रोजगार के अवसरों का निर्माण करना. तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में मोदी सरकार दो नए डिफेंस कारिडोर विकसित कर रही है.
रक्षा निर्यात में भारत की बड़ी छलांग
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने रक्षा साजो सामान के निर्यात में बड़ी छलांग लगाई है. साल 2015-16 में भारत जहां सिर्फ 1500 करोड़ रुपये का साजो सामान निर्यात करता था. वहीं आज 800 प्रतिशत की अप्रत्याशित वृद्धि कर 13 हजार करोड़ के स्तर को छू रहा है. भारत से रक्षा साजो सामान का सबसे निर्यात आज अमेरिका को हो रहा है और इसमें आने वाले समय में और भी वृद्दि होने की संभावना है.
अमेरिकी नौसेना के जहाज की भारत में पहली बार मरम्मत
भारत ने हाल में रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए अमेरिका के एक जंगी जहाज चार्ल्स ड्रू की मरम्मत के काम को चेन्नई में अंजाम दिया. किसी भी अमेरिका जंगी जहाज की भारत में मरम्मत का ये पहला अवसर था
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Tags: Indian navy, PM ModiFIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 14:30 IST