सोनभद्र: फलों के राजा के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा. लेकिन क्या कभी ‘चावल की रानी’ के बारे में सुना है. जी हां, एक चावल इतना खास होता है कि उसे रानी कहा जाता है. हम बात कर रहे हैं जीरा-32 चावल की प्रजाति की. आजकल किसान इसकी बुवाई बहुत कम कर रहे हैं. जबकि कम पैदावार के बाद भी अगर चावल की बिक्री करें, तो अन्य चावल के मुकाबले अत्यधिक मुनाफा देता है. यह फसल 90 से 95 दिनों में तैयार हो जाती है.
चावल की रानी किसे कहते हैं?
जीरा-32 धान की उपज अन्य धान अनुपात में भले ही कम होती है, किंतु अगर इसके फायदे को देखें तो वो सबसे ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण है कि इसके चावल की बाजार में बेहतर कीमत मिलती है. अन्य चावल के मुकाबले दोगुना से अधिक फायदा देता है. खाने में भी बेहद स्वादिष्ट होता है. तभी तो इस चावल की रानी भी कहा जाता है.
डबल कमाई करने के लिए बेस्ट चावल
कृषि विशेषज्ञ बाबूलाल मौर्य ने लोकल18 से खास बातचीत में बताया की पहले जनपद सोनभद्र में जीरा-32 चावल की खेती बड़े पैमाने पर होती थी. किंतु लोग अब अधिक उत्पादन को देखते हुए और तुरंत चावल के बजाया धान बेचने की सोच से इसकी खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. अगर जीरा बत्तीस के काम उत्पादन के बाद भी चावल बेचकर औसत फायदे की सोचें तो इसमें मुनाफा अधिक होता है. यह चावल 70 % से अधिक एक क्विंटल धान में निकलता है, जबकि अन्य किसी धान में 65 फीसदी ही अधिकतम चावल प्राप्त हो पाता है.
तुरंत हो जाती है बिक्री
किसानों को अगर तुरंत बिक जाने वाली फसल की तलाश है, तो जीरा-32 बेस्ट है. यह चावल मार्केट में एक खास जगह रखता है. तभी लोग इस ज्यादा कीमत में भी खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैं.
Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : September 21, 2024, 15:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed