पवार की फिर चाणक्य वाली चाल नहीं बैठेंगे भाजपा के साथ मगर दादा के साथ सुलह!

Sharad Pawar and Ajit Pawar: एक बार फिर पवार परिवार और एनसीपी एकजुट हो सकता है. इसके लिए एक संभावित फॉर्मूला भी है. इससे साहब पर भाजपा के साथ जाने का आरोप भी नहीं लगेगा और एनसीपी एक हो जाएगी.

पवार की फिर चाणक्य वाली चाल नहीं बैठेंगे भाजपा के साथ मगर दादा के साथ सुलह!
महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार की फैमिली में एक बार फिर एकीकरण के कयास लगाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार एक बार फिर एक हो सकते हैं. इस बात की सुगबुगाहट खुद अजित पवार की मां आशाताई के एक बयान से हुई है. उन्होंने कहा था कि उनकी इच्छा है कि साहब और दादा के बीच सुलह हो जाए. परिवार एकजुट हो जाए. उनके इस बयान के बाद एनसीपी के दोनों शरद गुट और अजित गुट के कार्यकर्ताओं में उत्सुकता है. वे नए साल में कुछ नया होने की उम्मीद कर रहे हैं. बड़े नेता भी बयान देने लगे हैं. एनसीपी अजित गुट के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने भी कह दिया कि अगर पवार परिवार एकजुट होता है तो उन्हें खुशी होगी. जुलाई 2023 में एनसीपी में बगावत के बाद पार्टी और पवार परिवार में फूट पड़ गई थी. अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी के अधिकतर विधायक उनके साथ हो गए. उन्होंने भाजपा से गठबंधन किया और राज्य की महायुति सरकार में हिस्सेदार बन गए. उस वक्त अजित पवार के पास करीब 40 विधायक थे. साहब और दादा दोनों हुए विजयी! दरअसल, बीते करीब छह माह में देश और राज्य की राजनीति पूरी तरह बदल गई है. बीते साल मई-जून में हुए लोकसभा चुनाव में शरद पवार फिर से खड़े होते दिखे. उन्होंने बड़ी जीत हासिल की और भतीजे अजित पवार को बड़ी मात दी. इसको बाद नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में चीजें पलट गईं. अजित पवार ने शानदार तरीके से वापसी की. दूसरी तरफ शरद पवार मात खा गए. इन दोनों चुनावों से यह संदेश निकला कि दोनों पवार अपने-अपने हिसाब से विजयी रहे हैं. राष्ट्रीय राजनीति लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के बैनर तले विपक्ष ने अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन, उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में यह गठबंधन पटरी से उतर गया. इस कारण उसे पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में बुरी हार हुई. अब दिल्ली में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी इंडिया गठबंधन दो फाड़ हो गया है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में इसका असर महाराष्ट्र पर भी पड़ना लाजिमी है क्योंकि शरद पवार इंडिया गठबंधन के एक बड़े नेता हैं. उनको भी राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन के लिए निकट भविष्य में कोई संभावना नहीं दिख रही है. दूसरी तरफ उनकी उम्र ऐसी है कि वह अब बहुत कुछ करने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं. निकट भविष्य में कोई बड़ा चुनाव भी नहीं है. शरद पवार पर सबकी नजर जब एनसीपी एक थी तो पार्टी के भीतर एक अघोषित फॉर्मूला यह तय था. पार्टी के भीतर संगठन और महाराष्ट्र के मसलों के लिए शरद पवार के उत्तराधिकारी अजित पवार थे. वहीं दिल्ली में पार्टी का चेहरा शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले थीं. इस अघोषित फॉर्मूले पर महाराष्ट्र की जनता ने भी बीते दोनों चुनावों में मुहर लगा दी है. शरद पवार की राजनीति को बारीकी से देखें तो वह शुरू से गांधी परिवार के साथ-साथ भाजपा विरोध की रही है. हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी सहित अन्य सभी बड़े नेताओं के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे हैं. यहां ध्यान रखना होगा कि गांधी परिवार विरोधी होने का मतलब कांग्रेस विरोधी होना नहीं है. शरद पवार हमेशा से खुद को कांग्रेस यानी पीएम जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा के करीब पाते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल और केंद्रीय सवाल यही है कि क्या शरद पवार, अजित पवार के भाजपा के साथ जाने के फैसले से अब सहज हो गए हैं. क्योंकि 2023 में पार्टी में दोफाड़ केवल और केवल इसी मुद्दे पर हुआ था. आज भी यही सबसे अहम मुद्दा है. अगर शरद पवार इसके लिए तैयार हो जाते हैं तो पल भर में दोनों गुट एकजुट हो जाएंगे. तीसरा विकल्प एक कहावत है. सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. महाराष्ट्र खासकर एनसीपी की राजनीति में कुछ ऐसा देखने को मिल सकता है. दरअसल, बात यह है कि शरद पवार अब 84 साल के हो गए हैं. उनका खुद का राजनीतिक करियर करीब छह दशक का है. उधर, अजित पवार की उम्र भी 65 पार कर गई है. ऐसे में सबसे बेहतर विकल्प यह है कि शरद पवार सक्रिय राजनीति से दूर हो जाएं. वह अभी राज्यसभा के सांसद हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उनके की गुट स्थिति ऐसी नहीं है कि वह फिर से राज्यसभा आ पाएं. उनका कार्यकाल अगले साल अप्रैल में खत्म होगा. ऐसे में हो सकता है कि वह राजनीति से दूर होकर साइलेंट हो जाएं और पार्टी के मौजूदा नेतृत्व यानी सुप्रिया सुले और उनके चचेरे भाई अजित पवार पर भविष्य तय करने की जिम्मेदारी डाल दें. इससे उन पर राजनीति के अंतिम चरण में भाजपा के साथ जाने का आरोप भी नहीं लगेगा. इसके साथ सुप्रिया और अजित पुराने सेट फॉर्मूले के हिसाब से पार्टी का एकीकरण कर लेंगे. Tags: Ajit Pawar, Sharad pawarFIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 13:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed