ये तो गजबे हो गया! शिवाजी महाराज गढ़ से असली शिवसेना गायब सदमे में शिवसैनिक

महाराष्ट्र में चुनाव काफी दिलचस्प होते जा रहा है. जहां पर कभी तीर-धनुष का वर्चस्व हुआ करता था, आज वहां से उनके कैंडिडेट का अता पता ही नहीं है. दरअसल, महायुती में शामिल शिंदे गुट, जो चुनाव आयोग के नजर में असली शिवसेना है, वहां से उम्मीदवार नहीं उतार रही है. वहीं, उद्धव ठाकरे इस सीट से अपना कैंडिडेट उतार रहे हैं.

ये तो गजबे हो गया! शिवाजी महाराज गढ़ से असली शिवसेना गायब सदमे में शिवसैनिक
मुंबई: इस बार तो महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक होते जा रहा है. कौन किसके साथ है, आता पता ही नहीं चल रहा है. बड़े बड़े पॉलिटिकल एनालिस्ट तो छोड़िए आम जनता भी कंफ्यूज है. महायुति और महा विकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे को लेकर आपसी मतभेद भी खुलकर सामने आए. वहीं, पिछली बार के चुनाव के बाद से यहां की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है. महाविकास अघाड़ी के शिवसेना और एनसीपी दो गुटों में बंट गईं. लेकिन, इस बदली हुई राजनीति से अलग बात करें तो गिरनगांव की बड़ी चर्चा हो रही है. शिवसेना के इतिहास में पहली बार होगा कि बालेकिल्ला में शिवड़ी विधानसभा क्षेत्र से इनका कोई उम्मीदवार नहीं होगा. यहां बिना तीर-धनुष के चुनाव होगा. दोनों शिवसेना का कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं होगा. शिवडी निर्वाचन क्षेत्र में लालबाग-पारल को गिरनगांव का हिस्सा माना जाता है. इस क्षेत्र में अधिकतर मराठी भाषी, मिल मजदूर हैं. इस क्षेत्र में मराठी उत्सवों की एक महान परंपरा चलती आ रही है. कपड़ा मिलों वाले इस क्षेत्र में कम्युनिस्टों का वर्चस्व था. हालांकि, 1970 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक कृष्णा देसाई की हत्या के बाद उपचुनाव के बाद शिवसेना की वापसी हुई. उपचुनाव में वामनराव महाडिक ने जीत हासिल की. इसके बाद इस इलाके से लेफ्ट पार्टी कमजोर होती गई और यह इलाका शिवसेना का गढ़ बनता गया. तब से इस क्षेत्र में शिवसेना का उम्मीदवार चुनावी मैदान में बना हुआ है. मराठी बहुल मिलें बंद होने के बाद यहां मॉल, बड़े-बड़े आवासीय प्रोजेक्ट बनाए गए. लगातार विकास और अन्य प्रोजेक्ट के कारण यह क्षेत्र एक मिश्रित बस्ती बन गया है, फिर भई इस क्षेत्र को मराठी बहुल के क्षेत्र के रूप में देखा जाता है. शिवडी, लालबाग-पारल क्षेत्र शिवडी विधानसभा क्षेत्र में आता है. अब इस क्षेत्र में पहली बार बिना तीर-धनुष के चुनाव होगा. बिना शिवसेना उम्मीदवार के चुनाव 2022 में शिवसेना में फूट पड़ गई थी. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ठाकरे वाली पार्टी पर मुकदमा कराया गया. लंबे समय तक विवाद चलता रहा. केंद्रीय चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना की पार्टी और चुनाव चिन्ह दे दिया. ठाकरे गुट को एक अलग पार्टी और चुनाव चिन्ह की पहचान मिली. एक तरह से देखा जाए तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ही चुनाव आयोग की नजर में असली पार्टी है. ठाकरे का उम्मीदवार लेकिन शिंदे का नहीं… शिवसेना का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में इस साल के चुनाव में शिवसेना ठाकरे गुट के मौजूदा विधायक अजय चौधरी उम्मीदवार होंगे. तो उनके सामने हैं एमएनएस के बाला नंदगांवकर. इस सीट पर महागठबंधन में शामिल शिव सेना और बीजेपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. चर्चा थी कि शिंदे गुट से शिवसेना उम्मीदवार देगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी यहां से अपना उम्मीदवार उतार रही है. हालांकि, नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख तक शिवसेना-बीजेपी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है. Tags: Eknath Shinde, Maharashtra election 2024, Maharashtra Elections, Shiv Sena news, Uddhav thackerayFIRST PUBLISHED : November 1, 2024, 10:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed