कंगना की इमरजेंसी पहुंची HC जज बोले- कुछ लोग फिल्म देखें बिना कैसे
कंगना की इमरजेंसी पहुंची HC जज बोले- कुछ लोग फिल्म देखें बिना कैसे
कंगना की फिल्म इमरजेंसी के प्रोड्यूसर्स ने फिल्म के सर्टिफिटेक और रिलीज को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. फिल्म में कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के साथ खिलवाड़ का आरोप लगा है. हालांकि, कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ लोग फिल्म देखे बिना ही कैसे जज कर लेते हैं.
मुंबई. फिल्म एक्ट्रेस कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ को रिलीज से पहले ही विवादों में फंस गई है. फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट की मांग को लेकर ‘इमरजेंसी’ की को-प्रोड्यूसर कंपनी जी इंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका में कहा गया है कि सेंसर बोर्ड ने मनमाने तरीके और अवैध रूप से फिल्म का सेंसर सर्टिफिकेट रोका है. वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा हम आपके साथ हैं, हमें समझ में नहीं आता कि कुछ समूह बिना फिल्म देखे कैसे जान जाते हैं कि फिल्म आपत्तिजनक है.
कंगना की फिल्म इमरजेंसी की याचिका की तत्काल सुनवाई की मांग की गई है. जस्टिस बी पी कोलाबावाला और फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ इसपर सुनवाई कर रही है. पीठ ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को जल्दबाजी में फिल्म के लिए सर्टिफिकेट जारी करने पर और सिस्टम जनरेटेड ईमेल को लेकर फटकार लगाई है.
कोर्ट ने कंगना की ‘इमरजेंसी’ फिल्म को CBFC की जल्दबाजी में सर्टिफिटेक जारी करने को लेकर फटकार लगाया है. कोर्ट ने CBFC के वकील से पूछा, ‘क्या आपके अधिकारियों ने शुरू से फिल्म देखी और प्रमाण पत्र दिया तो, उन्होंने अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया? कोर्ट ने उस अधिकारी को फटकार लगाई? वहीं, जी इंटरटेनमेंट के वकील धोंड ने बताया कि प्रमाणपत्र जारी किया गया था, लेकिन फिर रोक लगा दिया. वे कह रहे हैं कि प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया.
वहीं, जी इंटरटेनमेंट जो कि इमरजेंसी फिल्म के प्रोड्यूसर हैं, के वकील ने कोर्ट के सामने CBFC के 29 अगस्त ईमेल का हवाला दिया. इस पर कोर्ट ने CBFC को फटकार लगाते हुए पूछा, ‘आप सिस्टम जनरेटेड ईमेल कैसे भेज सकते हैं? आप इसे रोक क्यों नहीं सकते… मणिकर्णिका फिल्म को मालिक मौजूदा सांसद हैं, उन्होंने हमें बताया कि वे संशोधन के लिए फिर से आवेदन करेंगे और इसलिए हमें सिस्टम जनरेटेड ईमेल भेजा गया था.’
वहीं, मुंबई हाईकोर्ट ने CBFC से पूछा कि आपने लंबित कार्यवाही के बारे में मध्य प्रदेश कोर्ट को क्यों नहीं बताया. मध्य प्रदेश कोर्ट ने सीबीएफसी द्वारा दिए गए बयान को स्वीकार कर लिया है कि उसने अभी तक फिल्म को कोई प्रमाणपत्र नहीं दिया है. और कहा है कि सेंसर बोर्ड को अभ्यावेदन पर विचार करना होगा.
FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 13:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed