Bombay High Court: माता-पिता बच्चों को क्रिकेट का सामान दिला सकते हैं तो पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं

एक वकील राहुल तिवारी द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में दावा किया गया है कि राज्य में कई क्रिकेट मैदानों में पीने के लिए पानी और ‘टॉयलेट’ जैसी बुनियादी सुविधायें नहीं हैं.

Bombay High Court: माता-पिता बच्चों को क्रिकेट का सामान दिला सकते हैं तो पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं
हाइलाइट्सराज्य में कई क्रिकेट मैदानों में पीने के लिए पानी और ‘टॉयलेट’ जैसी बुनियादी सुविधायें नहीं हैं.मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश एम एस कार्णिक की खंडपीठ जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी.कोर्ट ने कहा कि यह ‘लग्जरी’ वस्तुएं हैं और प्राथमिकता की सूची में यह मुद्दा 100 वें स्थान पर आएगा. मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरूवार को कहा कि अगर माता-पिता अपने बच्चों को क्रिकेट खेलने का सामान दिला सकते हैं तो वह पीने के लिए पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश एम एस कार्णिक की खंडपीठ उस जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें क्रिकेट के मैदानों में पीने के लिए पानी और ‘टॉयलेट’ की बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर अंसतोष जताया गया है. साथ ही पीठ ने कहा कि क्रिकेट तो ऐसा खेल भी नहीं है जो मूल रूप से भारत का हो. एक वकील राहुल तिवारी द्वारा दायर की गई इस जनहित याचिका में दावा किया गया है कि राज्य में कई क्रिकेट मैदानों में पीने के लिए पानी और ‘टॉयलेट’ जैसी बुनियादी सुविधायें नहीं हैं. जबकि इन पर उभरते हुए और पेशेवर क्रिकेटर, क्रिकेट खेलते हैं. इसमें दक्षिण मुंबई का एक मैदान भी शामिल है. जिसकी देखरेख मुंबई क्रिकेट संघ करता है. क्रिकेटर अपने लिए पीने का पानी क्यों नहीं ला सकते?  पीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान आगे कहा कि महाराष्ट्र के कई जिलों में आज तक भी हर रोज पीने के लिए पानी की सप्लाई नहीं होती है. न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि औरंगाबाद को हफ्ते में केवल एक बार पीने का पानी मिलता है. क्रिकेटर अपने लिए पीने का पानी क्यों नहीं ला सकते? आप क्रिकेट खेलना चाहते हो जो हमारा खेल है भी नहीं. यह मूल रूप से भारत का खेल नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि आप भाग्यशाली हो कि आपके माता-पिता आपके लिए ‘चेस्ट गार्ड’, ‘नी गार्ड’ और क्रिकेट के लिए सभी जरूरी चीजें खरीद सकते हैं. अगर आपके माता-पिता आपको यह सब सामान दिला सकते हैं तो वे आपको पीने के लिए पानी की बोतल भी खरीद सकते हैं. जरा उन गांव वालों के बारे में सोचो जो पीने का पानी खरीद नहीं सकते. कोर्ट ने कहा कि यह ‘लग्जरी’ वस्तुएं हैं और प्राथमिकता की सूची में यह मुद्दा 100 वें स्थान पर आएगा. क्या आपने उन मुद्दों की सूची देखी है जिनसे हम जूझ रहे हैं? अवैध इमारतें, बाढ़. सबसे पहले हम सुनिश्चित करें कि महाराष्ट्र के गावों को पानी मिलने लगे. पीठ ने फिर कहा कि याचिकाकर्ता को अपने मौलिक अधिकारों पर जोर देने से पहले अपने दायित्वों को निभाना चाहिए. अपने मौलिक दायित्वों का ध्यान रखें मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले अपने मौलिक दायित्वों का ध्यान रखें. क्या आपने जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव दिखाया है? जीवित प्राणियों में इंसान भी शामिल है. क्या आपने चिपलून और औरंगाबाद के लोगों के बारे में सोचा है. यह सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे नीचे आएगा. आपने अपने मौलिक दायित्वों को पूरा करने के लिए क्या किया है? हम यहां समय बर्बाद नहीं करना चाहते. कृपया इस बात को समझें. इसके बाद उन्होंने याचिका निरस्त कर दी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Bombay high court, Cricket, Mumbai CricketerFIRST PUBLISHED : July 21, 2022, 17:16 IST