कोलकाता रेप केस: बंगाल सरकार का अपराजिता बिल पॉस्को कानून से कितना अलग
कोलकाता रेप केस: बंगाल सरकार का अपराजिता बिल पॉस्को कानून से कितना अलग
Bengal Anti Rape Bill: पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को एंटी रेप विधेयक को विधानसभा से पारित करवा लिया. अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. लेकिन, इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि इस विधेयक के प्रावधान पॉस्को कानून से कितने अलग हैं.
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर बिटिया के साथ रेप और उसकी बर्बर हत्या मामले को लेकर भड़के आक्रोश के बीच पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) 2024 पास करवा लिया. इस विधेयक में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट 2012 (पॉस्को) के कई प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है. विधेयक अगर कानून बनता है तो यह हर उम्र के पीड़ित पर लागू होगा.
एंटी रेप बिल में 10 साल की सजा
प्रस्तावित एंटी रेप विधेयक में न्यूनतम सजा तीन साल से बढ़ाकर सात साल कर दी गई है. इस विधेयक के तहत यौन शोषण के मामले में न्यूनतम सजा को सात से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है.
7 दिन दर्ज होंगे बयान
प्रस्तावित विधेयक में पीड़ित बच्चों के बयान सात दिन के भीतर रिकॉर्ड किए जाएंगे. पॉस्को में इसके लिए 30 दिन का समय है.
सुनवाई
इस विधेयक के तहत विशेष अदालत को सुनवाई 30 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी. जबकि पॉस्को कानून में कहा गया है कि विशेष अदालत को जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करनी होगी. यह अवधि घटना की तारीख से एक साल हो सकती है.
सजा का प्रावधान
इस विधेयक में यौन उत्पीड़न में न्यूनतम सजा की अवधि को पांच साल से बढ़ाकर सात साल करने का प्रावधान है. वहीं रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. पॉस्को कानून में ऐसे अपराध में 20 साल की सजा का प्रावधान है. उसे अदालत चाहे तो आजीवन कारावास तक बढ़ा सकती है. बंगाल सरकार के एंटी रेप बिल में पीड़ित के परिवार वालों को मुआवजा देने का भी प्रावधान है.
पॉस्को में यह भी प्रावधान है कि 16 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ कोई रेप होता है तो वैसे मामले में दोषी को 20 साल से कम सजा नहीं दी जा सकती. उसे बढ़ाकर उम्र कैद में भी बदला जा सकता है.
हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार के इस विधेयक के कानून बनने की संभावना कम है. क्योंकि इस विधेयक को कानून बनाने के लिए राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को भेजना होगा. दूसरी तरफ राज्य में विपक्षी भाजपा और केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है कि ममता बनर्जी जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह विधेयक ला रही हैं. पहले ही देश में रेप के खिलाफ सख्त कानून हैं. पुलिस और प्रशासन की नाकामी छिपाने के लिए वह विधेयक लेकर आई हैं.
Tags: Mamata banerjee, West bengalFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 19:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed