कारगिल युद्ध में कैसे जारी रही संचार व्यवस्था पूर्व जाबांज सैनिक ने बताई पूरी कहानी
कारगिल युद्ध में कैसे जारी रही संचार व्यवस्था पूर्व जाबांज सैनिक ने बताई पूरी कहानी
Challenging to keep communication signals working during Kargil war: पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध के दौरान संचार व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम था क्योंकि पाकिस्तान इसे हमेशा ध्वस्त करने के फिराक में रहता था. युद्ध के दौरान युवा सैनिक रहे लेफ्टिनेंट कर्नल एन त्यागराजन ने इस चुनौती से कैसे निपटा, इसके बारे पूरी कहानी बताई है.
हाइलाइट्सयुद्ध के दौरान युवा सैनिक रहे लेफ्टिनेंट कर्नल एन त्यागराजन ने बताया संचार प्रणाली की चुनौतीत्यागराजन ने कहा, संचार के बिना, सैनिक पंगु हो जाते हैं
चेन्नई. बेहद ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र करगिल में 1999 में लड़े गए युद्ध के दौरान संचार सेवाओं को बहाल रखना बड़ी चुनौती थी जिससे सेना की सिग्नल कोर के कर्मी दुश्मन की गोलाबारी के बीच बड़ी कुशलता से निपट रहे थे. युद्ध के दौरान युवा सैनिक रहे लेफ्टिनेंट कर्नल एन त्यागराजन ने बताया कि पाकिस्तान का लक्ष्य संचार प्रणाली को बाधित कर भारतीय सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकने का था. उन्होंने कहा, आमतौर पर, हम उचित संचार सुनिश्चित करने के लिए पैदल सेना के ठीक पीछे होते थे, जैसे कि लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर. या फिर आर्टिलरी (तोपखाना) रेजिमेंट, के आकार के आधार पर उनसे लगभग आठ किलोमीटर दूर.
युद्ध में हिस्सा ले चुके सैन्य अधिकारी ने कहा, तब हम भी सुरक्षित नहीं थे क्योंकि हमारे चारों ओर गोले और छर्रे बरस रहे थे. निर्बाध संचार सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिक भूमिका थी और हथियार उठाना अंतिम उपाय था.
संचार के बिना सेना पंगु
एक युवा सैनिक के रूप में, लेफ्टिनेंट कर्नल त्यागराजन को हताहतों की संख्या, गोला-बारूद या चिकित्सा सहायता की आवश्यकता और प्रगति के बारे में बेस रिपोर्टिंग के लिए संघर्ष क्षेत्र में सैनिकों के बीच महत्वपूर्ण संचार प्रदान करने के लिए वायु संरचना में तैनात किया गया था. तब इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स विंग में एक तकनीशियन के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए त्यागराजन ने कहा, संचार के बिना, सैनिक पंगु हो जाते हैं. हमें लड़ाकू विमानों और रडार सिस्टम को संचार प्रदान करने का काम सौंपा गया था. उन्होंने अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा, “हमें कभी इधर तो कभी उधर जाना पड़ रहा था क्योंकि हमारे चारों ओर गोले बरस रहे थे. सौभाग्य से, सिग्नल कोर में कोई हताहत नहीं हुआ, हालांकि मैंने अपने कई जवानों को घायल देखा.”
26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस
1999 में 26 जुलाई को कारगिल युद्ध को पूरी तरह से भारत ने जीता था. यह युद्ध करीब दो महीने चला था. पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों और आतंकियों की मदद से कारगिल के कई चोटियों पर सर्दी के मौसम में घुसपैठ कर लिया था. पता लगने पर भारतीय जाबांज सैनिकों के पराक्रम ने इतने दुरुह पहाड़ों से उसे खदेड़ दिया. इसमें संचार प्रणालियों की मजबूती का बहुत बड़ा योगदान था. हालांकि मातृभूमि की रक्षा में कई सैनिकों को सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा. इस युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान में संबंध लगभग खराब हो गया जो आज तक नहीं सुधरा. 26 जुलाई को हर साल हम अपने वीर सैनिकों की याद में कारगिल विजय दिवस मनाते हैं.
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Tags: Kargil warFIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 05:00 IST