हिजाब नकाब बुर्का सब पर बैन मुंबई कॉलेज का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में
हिजाब नकाब बुर्का सब पर बैन मुंबई कॉलेज का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में
Supreme Court Hijab Ban: बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था कि हिजाब, नकाब और बुर्का पहनना उनके धर्म का अनिवार्य हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने 13 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक में उठे हिजाब विवाद को लेकर विरोधाभासी फैसला सुनाया था.
मुंबई. मुंबई के एक निजी कॉलेज में छात्रों के कैंपस में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी आदि पहनने पर लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है.
यह मामला मुंबई के एन. जी. आचार्य और डी. के. मराठे. कॉलेज का है, जहां के प्रशासन ने हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल और टोपी पहनने पर बैन लगाया हुआ है. इसके खिलाफ 9 लड़कियों ने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो कि शैक्षणिक संस्थान की ‘स्थापना और प्रशासन’ के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपील को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस मामले के लिए पहले ही एक पीठ तय कर दी गई है और इसे जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ संभवत: बुधवार से शुरू हो जाएंगे. शीर्ष अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों द्वारा जारी किए गए ऐसे आदेशों की वैधता पर अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया है.
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने 13 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक में उठे हिजाब विवाद को लेकर विरोधाभासी फैसला सुनाया था. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत तत्कालीन राज्य सरकार ने कर्नाटक के विद्यालयों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
जस्टिस हेमंत गुप्ता (जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं) ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था, जबकि जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा था कि राज्य के विद्यालयों और महाविद्यालयों में कहीं भी हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.
मौजूदा विवाद मुंबई के एक कॉलेज के निर्णय से जुड़ा है. बंबई हाईकोर्ट ने प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ सभी छात्राओं पर लागू है, चाहे उनकी जाति या धर्म कुछ भी हो. छात्राओं ने हाईकोर्ट का रुख कर कॉलेज द्वारा जारी उस निर्देश को चुनौती दी थी, जिसमें हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल, टोपी पहनने और किसी भी तरह का बैज लगाने पर प्रतिबंध संबंधी ‘ड्रेस कोड’ को लागू किया गया था.
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि यह नियम उनके धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार, निजता के अधिकार और ‘पसंद के अधिकार’ का उल्लंघन करता है. अदालत ने कहा था कि वह यह नहीं समझ पा रही है कि कॉलेज द्वारा ‘ड्रेस कोड’ निर्धारित करने से संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन कैसे होता है.
जजों ने कहा था, “हमारे विचार में निर्धारित ‘ड्रेस कोड’ को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) और अनुच्छेद 25 के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता है.”
Tags: Bombay high court, Iran hijab, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 16:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed