नैनीताल: काल को टालने वाले मार्कंडेय ऋषि के पापनाशक कुंड और उनकी पुण्य कहानी जानिए यहां
नैनीताल: काल को टालने वाले मार्कंडेय ऋषि के पापनाशक कुंड और उनकी पुण्य कहानी जानिए यहां
नैनीताल के भुजियाघाट से लगभग 10 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद बलमधुरा नामक जगह पर यह जलकुंड स्थित है. सदियों से यह कुंड यहां पर है. इसकी खास बात यही है कि इसमें सालभर पानी भरा रहता है.
(रिपोर्ट- हिमांशु जोशी)
नैनीताल. हिन्दू धर्मशास्त्रों में मार्कंडेय ऋषि का जिक्र बार-बार आता है. महाभारत में मार्कंडेय ऋषि धर्मराज युधिष्ठिर के गुरु के रूप उन्हें धर्म के मार्ग के बारे में दिखने वाले बताए गए हैं. कहते हैं कि ब्रम्हा का लिखा कोई नहीं टाल सकता और काल से कोई नहीं जीत सकता, लेकिन मार्कंडेय ऋषि ने ये दोनों काम कर दिखाए थे.
इन्हीं मार्कंडेय ऋषि की तपोस्थली उत्तराखंड के नैनीताल के बलमधुरा के जंगल में है. यहां एक जलकुंड भी अभी तक है. कहा जाता है कि इस स्थान पर महर्षि मार्कंडेय ने वर्षों तक तपस्या की थी. जबकि नैनीताल के भुजियाघाट से लगभग 10 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद बलमधुरा नामक जगह पर यह जलकुंड स्थित है. सदियों से यह कुंड यहां पर है. इसकी खास बात यही है कि इसमें सालभर पानी भरा रहता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस कुंड की गहराई लगभग 7 से 8 फीट तक है. इसके नजदीक में ही पीपल के छोटे से पेड़ के नीचे मार्कंडेय महाराज को पाषाण रूप में स्थापित किया गया है. जंगल के बीचों-बीच यह कुंड काफल, बांज, चीड़ जैसी वनस्पतियों से घिरा है.
मार्कंडेय ऋषि की जन्मकथा भी अद्भुत
वहीं, मार्कंडेय ऋषि की जन्मकथा भी अद्भुत है. स्थानीय पुजारी मार्कंडेय जोशी बताते हैं कि महामुनि मृकुंडू और मरुदमति की कोई संतान नहीं थी, तो उन्होंने भोलेनाथ की तपस्या की. उनकी भक्ति देख भोलेनाथ प्रकट हुए और उन्हें दो विकल्प दिए. एक धार्मिक अत्यंत ज्ञानवान पुत्र, लेकिन कम आयु का या फिर कम बुद्धि का बच्चा लेकिन लंबे जीवन वाला. महामुनि ने कम जीवन वाले अत्यंत ज्ञानवान पुत्र को विकल्प के रूप में चुना. तब महामुनि को मार्कंडेय पुत्र रूप में प्राप्त हुए. महामुनि ने उन्हें 16 साल तक हर किस्म का ज्ञान दिया और मार्कंडेय कम उम्र में ही उसमें पारंगत भी हो गए.
जब वह 16 साल के होने वाले थे, तो उनके माता-पिता दुखी रहने लगे. बहुत पूछने पर उनकी माता ने भोलेनाथ के वरदान और उनकी मृत्यु के बारे में उन्हें बताया. इस बात से मार्कंडेय दुखी नहीं हुए बल्कि बोले कि अब वह अपना बचा हुआ जीवन तपस्या में व्यतीत करेंगे और फिर वह भगवान भोलेनाथ की आराधना में पूरी तरह लीन हो गए.
जब यमराज उनके प्राण हरने…
नियत समय पर जब यमराज उनके प्राण हरने के लिए आए, तो मार्कंडेय की आराधना अधूरी थी. उन्होंने शिवलिंग को अपनी बाहों से जकड़ लिया. यमपाश डाल कर यमराज उन्हें ले जाने के लिए खींचने लगे और बोले कि चलो तुम्हारा समय पूरा हुआ. मार्कंडेय बिना आराधना समाप्त किए जाने को तैयार नहीं थे. वह अपनी सामर्थ्य अनुसार शिवलिंग को जकड़े रहे.
इस खींचतान में भगवान भोलेनाथ स्वयं महाकाल रूप में उनके सामने प्रकट हो गए और यमराज को लौटा दिया. साथ ही उन्होंने मार्कंडेय को अमरता का वरदान दिया. उन्हीं मार्कण्डेय ने देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में तपस्या की. मान्यता है कि भुजियाघाट के पास इस बलमधुरा कुंड में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है. अगर आप यहां आना चाहें तो इसकी लोकेशन यह है.
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Tags: Nainital news, Nainital tourist placesFIRST PUBLISHED : June 29, 2022, 19:23 IST