जिंदगी बचाने का जज्बा! घने जंगल उफनती नदी 5 घंटे में लांघ दी 16KM की दूरी
जिंदगी बचाने का जज्बा! घने जंगल उफनती नदी 5 घंटे में लांघ दी 16KM की दूरी
Telangana News: तेलंगाना में एक हेल्थ अफसर मिसाल पेश की है. उन्होने ऐसा काम किया है, जिसके लिए उन्हें एक सलाम तो बनता है. जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अल्लेम अप्पैया ने उफनती नदी में छलांग लगाई, पहाड़ियों पर चढ़ाई की और 5 घंटे से अधिक समय तक 16 किलोमीटर की दूरी तय करके वाजे मंडल के एक सुदूरवर्ती इलाके में पहुंचे.
हैदराबाद: आज के वक्त में जहां हर तरफ अफसरशाही हावी है, वहां आम लोगों की खातिर अपनी जिंदगी दांव पर लगा देना बड़ी बात है. ऐसे कम ही अफसर मिलते हैं, जो आम आदमी की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए सजग रहते हैं. तेलंगाना में एक सरकारी अफसर ने वह काम किया है, जिसके लिए उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए. हेल्थ अफसर ने न केवल अपनी ड्यूटी निभाई, बल्कि दवा पहुंचाने के लिए उफनती नदी को पार कर दिलेरी भी दिखाई. तेलंगाना के मुलुगु में जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (DMHO) अल्लेम अप्पैया ने एक मिसाल पेश की है. उन्होंने उफनती नदी में छलांग लगाई, पहाड़ियों पर चढ़ाई की और 5 घंटे से अधिक समय तक 16 किलोमीटर की दूरी तय करके वाजे मंडल के एक सुदूरवर्ती इलाके में पहुंचे.
इस दौरान उनके साथ और भी कई लोग थे. वह नदी और जंगल के रास्तों को पार कर वह 16 किलोमीटर की ट्रेकिंग के बाद आदिवासी गांव पहुंचे थे. नदी को पार करना इतना आसान नहीं था. नदी उफान मार रही थी. घना जंगल डरा रहा था. मगर उनके हौसले बुलंद थे. उन्होंने गांव में दवा पहुंचाने की ठान ली थी. यही वजह है कि हाथ में डंडा लेकर अन्य साथियों के साथ वह निकल पड़े. करीब 5 घंटे तक चलने के बाद वह आदिवासी परिवारों के पास पहुंचे जहां, उन्हें दवा पहुंचानी थी और उन्हें शिफ्ट होने के लिए समझाना था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, अपने इस कठिन सफर का मकसद बताते हुए उन्होंने कहा कि वो 11 आदिवासी परिवारों तक दवाइयां, मच्छरदानी और जरूरत का सामान पहुंचाने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें मैदानी इलाकों में शिफ्ट होने के लिए मनाने भी गए थे. गुथि कोया जनजाति परिवारों की रहन-सहन और रोजाना की मुश्किलों को समझने के लिए हेल्थ अफसर अल्लेम अप्पैया ने 16 जुलाई की रात पेनूगोलू गांव के एक छोटी बस्ती थंडा में बिताई. उन्होंने बताया, ‘परिवारों के लिए वहां रहना खतरनाक है. इस मानसून में अगर कोई आपात स्थिति आती है तो उन्हें चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराना बेहद मुश्किल होगा.’
कैसी बस्ती है
रिपोर्ट के मुताबिक, गांव की छोटी सी बस्ती थंडा में दो साल से कम उम्र के बच्चों सहित 39 लोग रहते हैं, जो यहीं रहना पसंद करते हैं. जिला प्रशासन के अनुरोध पर गांव में रहने वाले 151 परिवारों में से 140 परिवार पिछले कुछ सालों में मैदानी इलाकों में शिफ्ट हो गए हैं. हालांकि, बाकी बचे 11 परिवारों का कहना है कि अगर उन्हें सड़क के पास मकान और खेती के लिए जमीन दी जाए तो वे शिफ्ट होने के प्रस्ताव पर विचार कर सकते हैं.
मोबाइल नेटवर्क भी नहीं
आदिवासी इलाके की यात्रा के बाद अप्पैया ने बताया कि वहां खुद जाकर उन्हें यह समझ आया कि स्वास्थ्य सहायक चिन्ना वेंकटेश को दवाइयां पहुंचाने के लिए कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा. 16 जुलाई को अप्पैया मुलुगु से निकले और वाजे पहुंचे. वहां से उन्होंने 16 किलोमीटर का पैदल सफर शुरू किया. उनका कहना है कि वहां मोबाइल सिग्नल मिलना भी मुश्किल है. इसलिए मैंने गुथि कोया परिवारों से मैदानी इलाकों में शिफ्ट होने का अनुरोध किया था, लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी दिलचस्पी नहीं है.
तीन पहाड़ियों और नदी को किया पार
इस थंडा तक पहुंचने के लिए हेल्थ अफसर अप्पैया को तीन जगह कंचेरा वागु नदी पार करनी पड़ी. यह नदी भोगाथा झरनों में मिलती है. इस दौरान अप्पैया ने तीन पहाड़ियों को भी पार किया. उनके साथ उनके स्टाफ समेत छह अन्य लोग भी थे. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजा नरसिम्हा ने आदिवासी परिवारों तक पहुंचने के लिए डीएमएचओ और उनकी टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की है.
Tags: Health News, Telangana, Telangana NewsFIRST PUBLISHED : July 20, 2024, 07:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed