Nainital : झीलों को खोखला कर रही है विदेशी मछली! वैज्ञानिक शोध ने कैसे बजाई खतरे की घंटी

कॉमन कार्प नाम की विदेशी मछली नैनीझील के अलावा नैनीताल की कई झीलों के लिए जी का जंजाल बनने जा रही है. अब विस्तृत अध्ययन करने की ज़रूरत पेश आ रही है, तो प्रशासन भी वैज्ञानिकों की सलाह से चिंतित है. देखिए क्या है पूरा मामला और झीलों पर खतरे की घंटी.

Nainital : झीलों को खोखला कर रही है विदेशी मछली! वैज्ञानिक शोध ने कैसे बजाई खतरे की घंटी
नैनीताल. कहावत है कि एक मछली तालाब को गंदा करती है, लेकिन नैनीताल ज़िले में एक विदेशी मछली झीलों को खोखला करने का खतरा बन रही है. उत्तराखंड की पर्यटन नगरी और उसके आस-पास मौजूद झीलें अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए देश-दुनिया में मशहूर हैं, लेकिन आपको हैरानी होगी कि एक विदेशी मछली इन झीलों के लिए संकट बन गई है. खुलासा तब हुआ, जब ठंडे पानी में शोध के लिए बनाए गए देश के सबसे बड़े संस्थान डायरक्टरेट ऑफ कोल्ड वॉटर फिशरीज़ यानी DCFR के वैज्ञानिकों ने शोध में इस तरह की बात कही. दरअसल वैज्ञानिक नैनीताल झील में कॉमन कार्प की मौजूदगी देखकर हैरान रह गए हैं. डीसीएफआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर एस पतियाल मछली और मछलियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरी पकड़ रखते हैं. डॉ. पतियाल की कई किताबें और शोध इंटरनेशनल जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं. डॉ. पतियाल के मुताबिक कॉमन कार्प नैनीझील में पाई जाने वाली मछली नहीं है, बल्कि इसे किसी ने इसमें डाला है, जो झील के लिए बड़ा खतरा है. डॉ. पतियाल के मुताबिक कॉमन कार्प एक साल में दो बार ब्रीडिंग की क्षमता रखती है और डेढ़ से दो लाख अंडे देती है. ऐसे इनकी संख्या तेजी से बढ़ती है. खतरे की बात ये है कि ये मछली भोजन न मिलने की स्थिति में मिट्टी को ही अपना भोजन बना डालती है. कैसे खतरनाक होगी काॅमन कार्प? डॉ. पतियाल के मुताबिक कभी झील में भोजन या ऑक्सीजन का स्तर कम रहा तो कॉमन कार्प झील की मिट्टी और मुलायम पत्थरों खाना शुरू कर देगी. झील को आंतरिक खतरा पैदा हो सकता है. हालांकि डॉ. पतियाल कहते हैं कि अभी अध्ययन होना बाकी है कि कॉमन कार्प नैनीताल झील में कितनी संख्या में ब्रीडिंग कर रही है. अगर ये मछली तालाब में अच्छी-खासी संख्या में ब्रीडिंग करने लगी है तो झील के लिए सबसे बड़ा खतरा है. ये बातें शोध को आगे बढ़ाने पर पता लगेंगी. राहत की बात यह है कि नैनीझील में महाशीर मछली भी अच्छी संख्या में है, जो कॉमन कार्प के अंडे खा जाती है. ऐसे में वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि झील में कॉमन कार्प की संख्या कुछ नियंत्रित होगी. डीसीएफआर के वैज्ञानिकों ने नैनीताल जि़ला प्रशासन को सलाह दी है कि जल्द से जल्द कॉमन कार्प मछली को नैनीझील से निकालने के इंतजाम करे, जिससे झील पर मंडरा रहे आंतरिक संकट को टाला जा सके. नैनीताल के डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल के मुताबिक प्रशासन वैज्ञानिकों की सलाह पर कदम उठाएगा. दरअसल अभी वैज्ञानिकों ने नैनीझील में मौजूद मछलियों पर शुरुआती रिसर्च की है और विस्तार से शोध होना बाकी है. जानकार शुरुआती शोध के नतीजों को चेतावनी भरा बता रहे हैं. नैनीताल जि़ले में नैनीझील के अलावा भी कई झीलें हैं, जो सिंचाई विभाग के अधीन हैं. भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, खुर्पाताल, हरीशताल, लोहाखाम में से भी कुछ झीलों में सूत्रों के मुताबिक कुछ साल पहले कॉमन कार्प मछली डाल दी गई है. इन झीलों के भीतर भी संकट है और अब इन पर भी स्टडी हो सकती है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Fisheries, New Study, ScientistsFIRST PUBLISHED : July 28, 2022, 12:45 IST