कैंसर से भी ज्यादा है घातक बच्चों को होने वाली ये बीमारी ये हैं लक्षण

डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि छोटे थैलेसीमिया की बीमारी छोटे बच्चों में ज्यादा सामने आ रही है. ये कोई संक्रमित बीमारी नहीं है. जेनेटिक और अनुवांशिक बीमारी है. वे कहते हैं कि थैलेसीमिया महिलाएं कैरी करती हैं और पुरुष में इसके लक्षण दिखते हैं.

कैंसर से भी ज्यादा है घातक बच्चों को होने वाली ये बीमारी ये हैं लक्षण
नोएडा. वर्तमान दौर की लाइफ स्टाइल से बच्चें हो या बड़े कई बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं. हालांकि, कुछ बीमारियां ऐसी हैं आनुवंशिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आ जाती हैं. लेकिन, इन बीमारियों के बारे में लोगों काफी बाद में पता चलता है. ऐसी ही एक बीमारी है थैलेसीमिया, जो रक्त संबंधी है. ये बीमारी कोई छुआछूत की नही बल्कि जेनेटिक और आनुवंशिक है. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (पीजीआईसीएच) नोएडा के डायरेक्टर डॉ. अरुण कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि इस बीमारी को लेकर लोगों में कई बार भ्रम रहता है कि ये कैसे हो गई वे बिल्कुल हेल्दी जीवन जीते हैं. लेकिन, उनको नहीं पता होता कि ये बीमारी उन्हें आनुवंशिक तौर पर ​मिली है. डॉ. अरुण ने बताया कि इस बीमारी को जड़ से तब ही खत्म किया जा सकता है जब कुंडली मिलवाने की जगह शादी से लड़के—लड़की की थैलेसीमिया की जांच हो. अब लोगों में जागरूकता बढ़ी डॉ. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि छोटे थैलेसीमिया की बीमारी छोटे बच्चों में ज्यादा सामने आ रही है. ये कोई संक्रमित बीमारी नहीं है. जेनेटिक और अनुवांशिक बीमारी है. वे कहते हैं कि थैलेसीमिया महिलाएं कैरी करती हैं और पुरुष में इसके लक्षण दिखते है. ये अनुवांशिक है तो एक पीढ़ी से दूसरी और दूसरी से तीसरी में ऐसे ही बढ़ता जाता है. पहले के मुकाबले अब इस बीमारी के पेसेंट ज्यादा आने लगे है. उसके दो कारण है एक तो जागरूकता बढ़ी है और दूसरी उपचार बेहतर मिल रहा है. दूसरा ब्लड से ब्लड ट्रांसफ़्यूजन के साथ बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी हो जाता है. यह बीमारी बच्चों में न हो उसके लिए शादी से पहले लड़के व लड़कियों को इसकी जांच करानी चाहिए. ये हैं थैलेसिमिया के लक्षण डॉ. अरुण कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि अगर पति पत्नी में से एक में ये लक्षण हैं तो कोई दिक्कत नही है. लेकिन दोनो में हैं तो बच्चो में ये बीमारी आ ही जाती है. ये कैंसर तो नही हैं. लेकिन, उसी की तरह इसका इलाज कराना होता है. अगर इलाज के दौरान जरा भी चूक हुई तो बच्चे की जान भी जा सकती है. वहीं इसके लक्षण की बात करें तो शुरुआती बच्चे के जन्म के बाद से ही बच्चे को लगातार बार बार फीवर, लूज मोशन, खांसी, वजन नही बढ़ना जैसी समस्याएं लगातार आती रहती हैं. Tags: Greater noida news, Heath, Hindi news, Local18, Noida newsFIRST PUBLISHED : May 18, 2024, 09:18 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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