स्वीडन आखिर क्यों विदेशियों को देश छोड़ने के लिए दे रहा लाखों रुपए की मोटी रकम

स्वीडन अपने यहां रह रहे विदेशियों को देश छोड़ने के लिए खासी मोटी रकम दे रहा है, हालांकि ऐसा करने वाला वो अकेला देश नहीं है. कई यूरोपीय देश अब ऐसा कर रहे हैं.

स्वीडन आखिर क्यों विदेशियों को देश छोड़ने के लिए दे रहा लाखों रुपए की मोटी रकम
हाइलाइट्स एक जमाने में स्वीडन शरणार्थियों का स्वागत करता था लेकिन अब नहीं स्वीडन में सबसे ज्यादा अप्रवासियों के तौर पर भारतीयों की ही संख्या है स्वीडन में नए लोगों के आने से परेशानियां और मुश्किलें भी बढ़ रही हैं कुछ साल पहले आपने खबरों में पढ़ा होगा कि इटली विदेशियों को आकर उनके गांवों में बसने के लिए मुफ्त में बंगले दे रहा था लेकिन यहां बात उल्टी है. स्वीडन में बड़ी संख्या में विदेशी रहते हैं. अब वह इनकी संख्या को कम करना चाहता है, लिहाजा उसकी नई नीति ये कह रही है कि अप्रवासियों देश छोड़ो और उसके बदले लाखों रुपए की मोटी रकम ले लो. आप भी सोच रहे होंगे कि ये लाखों की मोटी रकम कितनी है. सितंबर 2024 में देश में नई नीति घोषित हुई है. जिसमें ये कहा गया है कि अगर विदेशी स्वीडन छोड़ते हैं तो उन्हें 350,000 क्रोनर (करीब 28.5 लाख रुपये) दिया जाएगा. स्वीडन के मंत्री जोहान फोर्सेल ने कहा, “हम अपनी प्रवास नीति में व्यापक बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं.” स्वीडन के इस फैसले का समर्थन विपक्षी पर्टियों ने भी किया है. अब तक क्या पैसा देती थी अब तक स्वीडन की सरकार स्वेच्छा से अपने देश लौटने वालों के लिए प्रति वयस्क 10,000 क्रोनर और प्रति बच्चे 5,000 क्रोनर प्रदान करती है, जिसमें परिवार की सीमा 40,000 क्रोनर है लेकिन जब इस योजना का बहुत असर नहीं हुआ तो उन्होंने इस रकम को आठ गुना तक एक झटके में बढ़ा दिया. स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम का सेंट्रल स्टेशन (विकी कामंस) यूरोप में और कौन से देश ऐसा कर रहे हैं हालांकि यूरोप में ऐसा करने वाला स्वीडन अकेला देश नहीं है. कई यूरोपीय देश ये काम कर रहे हैं. हालांकि इनकी राशि में काफी अंतर है – डेनमार्क प्रति व्यक्ति 15,000 डॉलर से अधिक दे रहा है – फ्रांस करीब 2,800 डॉलर देता है. – जर्मनी करीब 2,000 डॉलर की पेशकश कर रहा है स्वीडन अब क्या करेगा दरअसल यूरोप के देशों में कम कुशल कर्मचारी काम करने के लिए बरसों से पहुंच रहे थे. लेकिन अब वो इन लोगों को नहीं चाहते. इनकी संख्या कम करना चाहते हैं. स्वीडन सरकार अब ऐसा कानून लाने वाली है, जिसमें मोटे वेतन वालों को ही स्वीडन में आने देंगे. हालांकि घरेलू मेड जैसे कामों को जरूर इस नियम से अलग रखा जाएगा. अगस्त 2024 में स्वीडिश सरकार ने घोषणा की कि स्वीडन छोड़ने वाले लोगों की संख्या 50 से अधिक वर्षों में पहली बार आने वाले लोगों की संख्या को पार कर जाएगी. जनवरी और मई 2024 के बीच स्वीडन आने वाले लोगों की तुलना में 5,700 ज़्यादा लोग स्वीडन से चले गए. अब यूरोप के कई देश अपने यहां रह रहे विदेशियों को वापस अपने देश लौटने के लिए पैसा दे रहे हैं लेकिन उसमें स्वीडन की पेशकश सबसे आकर्षक है. (विकी कामंस) स्वीडन में भारतीयों का पलायन भी बढ़ा स्वीडन में भी देश छोड़ने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या में उल्लेखनीय बढोतरी हुई है. सांख्यिकी स्वीडन के अनुसार, जनवरी और जून 2024 के बीच 2,837 भारतीयों ने स्वीडन छोड़ा. पिछले साल इसी अवधि में 1,046 लोगों ने ये काम किया. स्वीडन में भारतीय सबसे बड़े अप्रवासी समूहों में एक हैं. इसके बाद यूक्रेनी लोगों का नंबर आता है. जनवरी से जून के बीच 2,461 भारतीय मूल के लोग स्वीडन जा रहे हैं. हालांकि ये संख्या अब कम हो रही है. स्वीडन में फिलहाल वर्ष 2023 में 58,094 भारतीय रह रहे थे. एक जमाने में स्वीडन ऐसा देश था जो दोनों हाथ खोलकर दुनियाभर से आए शरणार्थियों का स्वागत करता था लेकिन अब इससे वहां दिक्कतें बढ़ने लगी हैं. लिहाजा उसने अपनी नीति इसे लेकर बदली है. कभी स्वीडन शरणार्थियों का स्वागत करता था हालांकि स्वीडन को लंबे समय से शरणार्थियों के लिए स्वागत करने वाला देश माना जाता रहा है. लेकिन इससे वहां मुश्किलें भी बढ़ी हैं. हाल के वर्षों में नए लोगों को कैसे वहां जोड़ा जाए, उसमें काफी मुश्किलें देखी गईं. अब ये माना जाने लगा है कि आने वाले नए लोग मुश्किलें भी पैदा कर रहे हैं. 2014 में, स्वीडन ने 81,000 से अधिक शरणार्थियों को पंजीकृत किया, यह संख्या अगले वर्ष लगभग दोगुनी होकर 163,000 हो गई. अब इसे लेकर स्वीडन सख्त हो रहा है. क्यों स्वीडन ने अपनी नीति बदली स्वीडन के पास इतनी सुविधाएं और संसाधन नहीं कि सबको नौकरी दे सके. विशेष रूप से सीरिया और अफ़गानिस्तान जैसे संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों से आए अप्रवासियों को. जब बाहर से शरणार्थी नौकरी हासिल नहीं कर पाते या कम पैसा पाते हैं तो वो अपराध करने लगते हैं, हालांकि इतने लोगों के आने से सरकार की कल्याण प्रणाली पर भी दबाव पड़ा है. क्यों स्वीडन को रहने के लिए शानदार देश माना जाता है स्वीडन को आम तौर पर रहने के लिए एक अच्छा देश माना जाता है, जहां जीवन की गुणवत्ता उच्च है, अपराध दर कम है, और सामाजिक कल्याण प्रणाली मजबूत है. सुरक्षा – स्वीडन को दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माना जाता है. यहां अपराध दर कम है, बंदूक नियंत्रण कानून सख्त हैं. सामाजिक कल्याण प्रणाली मजबूत है. जीवन स्तर – स्वीडन में जीवन की गुणवत्ता बहुत ऊंची है, यहां जीवन प्रत्याशा 83 वर्ष है, जो ओईसीडी औसत से दो वर्ष अधिक है. यहां की आबादी भी काफी शिक्षित है. साक्षरता का स्तर भी काफी ऊंचा है. स्वास्थ्य देखभाल – स्वीडन की स्वास्थ्य सेवा विश्व प्रसिद्ध है. शिक्षा – स्वीडन में उच्च गुणवत्ता वाली स्कूल प्रणाली है. सामाजिक समानता – स्वीडन लिंग, आयु या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. उदारता – स्वीडिश लोग अपनी उदारता के लिए जाने जाते हैं, वो हर साल अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1% मानवीय सहायता के लिए दान करते हैं. व्यापार करने में आसानी – स्वीडन में पारदर्शी कारोबारी माहौल है. भ्रष्टाचार की दर कम है. नौकरशाही में आसानी – अधिकांश सरकारी वेबसाइटें अंग्रेजी में उपलब्ध हैं, जिससे नौकरशाही में नेविगेट करना आसान हो जाता है. कैसी भारतीय कम्युनिटी वहां रहती है स्वीडन में तमिल, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, तेलुगु भाषी और कन्नड़ जैसे अलग भाषा वाले भारतीय समूह रहते हैं. स्वीडन के कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने के प्रयासों के कारण यह समुदाय काफी बढ़ गया है भारतीय यहां आमतौर पर आईटी में हैं. वो बड़ी संख्या में भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर और आईटी विशेषज्ञ के रूप में काम करते हैं. कई भारतीय पेशेवर इंजीनियरिंग भूमिकाओं में काम करते हैं, वोल्वो और अन्य तकनीकी फर्मों जैसी बड़ी कंपनियों से जुड़े हैं. मेडिकल क्षेत्र में नर्सिंग और मेडिकल रिसर्च में भी भारतीय काम कर रहे हैं. स्वीडिश विश्वविद्यालयों में भारतीय शोधकर्ताओं और छात्रों की संख्या बढ़ रही है, कुछ भारतीयों ने अपना खुद का व्यवसाय स्थापित किया है या विभिन्न उद्योगों में मैनेजर जैसे पदों पर काम कर रहे हैं. Tags: European union, Sweden teamFIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 12:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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